केरल के कथित लव जिहाद मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (30 अक्टूबर) को सुनवाई करते हुए लड़की (अखिला उर्फ़ हदिया) की सहमति को महत्वपूर्ण बताया है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि अगर लड़की बालिग है, तो ऐसे मामलों में उसकी सहमति सबसे ज्यादा अहमियत रखती है। साथ ही शीर्ष अदालत ने लड़की हादिया को कोर्ट में पेश करने के लिए कहा है।हदिया के पिता ने कॉन्फ्रेंस के जरिए हदिया की पेशी की गुजारिश की थी, जिसको सुप्रीम कोर्ट ने खारिज करते हुए कहा कि उसे कोर्ट में ही आना होगा और मामले की सुनवाई खुली अदालत में होगी। कोर्ट ने हदिया के पिता से कहा है कि वह 27 नवंबर को अगली सुनवाई के दौरान हदिया को भी उसके समक्ष पेश करें।
साथ ही अदालत ने एनआईए से पूछा है कि क्या कोई ऐसा कानून है कि किसी अपराधी से साथ बालिग लडकी प्यार नहीं कर सकती या शादी नहीं कर सकती? हाईकोर्ट कैसे हैबियस कारपस याचिका पर शादी को शून्य करार दे सकती है। इसके साथ ही अदालत ने हादिया के पिता से भी पूछा है कि वह एक बालिग को बंधक बनाकर रख कैसे सकते हैं?
बता दें कि इससे पहले इस मामले में 9 अक्टूबर को सुनवाई के दौरान राजनीतिक रंग देने पर सुप्रीम कोर्ट ने गहरी नाराजगी जताई थी। दरअसल, कथित लव जिहाद मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान दो वकीलों के बीच तीखी बहस हो गई थी। इस दौरान भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के अध्यक्ष अमित शाह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का नाम लेने पर सुप्रीम कोर्ट ने गहरी नाराजगी जताई थी।
केरल के मुस्लिम युवक शफीन की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने बीजेपी नेताओं पर केरल में सांप्रदायिक सद्भाव को खराब करने की कोशिश का आरोप लगाया था। जिस पर कोर्ट ने कहा कि वह उन दलीलों को स्वीकार नहीं करेगा जो मामले से नहीं जुड़ी हैं और मामले की सुनवाई 30 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दी थी।
क्या है मामला?
बता दें कि केरल हाई कोर्ट ने मुस्लिम युवक के हिंदू युवती के साथ विवाह को लव जिहाद का नमूना बताते हुए इसे अमान्य घोषित कर दिया था। जिसके बाद ये मामला सुप्रीम कोर्ट के सामने आया है। युवक का दावा है कि महिला ने स्पष्ट किया है कि उसने अपनी मर्जी से इस्लाम धर्म कबूल किया है, लेकिन हाई कोर्ट के 24 मई के आदेश के बाद से उसे उसकी मर्जी के खिलाफ पिता के घर में नजरबंद करके रखा गया है।
24 वर्षीय हदिया शेफिन का जन्म केरल के हिंदू परिवार में हुआ था और उसका नाम अखिला अशोकन था। उसने परिवार की इजाजत के बिना मुस्लिम युवक से विवाह किया था। जबकि युवक का कहना है कि यह विवाह आपसी सहमति से हुई थी।