‘सच्चाई सुनने का स्वभाव विकसित करें’, अर्थव्यवस्था पर BJP सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने पीएम मोदी को दी सलाह

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अपनी टिप्‍पणियों को लेकर अक्‍सर सुखिर्यों में रहने वाले केन्द्र में सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सदस्य सुब्रह्मण्यम स्वामी ने सोमवार (30 सितंबर) को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को सलाह दी है कि उन्हें अप्रिय सच्चाई सुनने का स्वभाव विकसित करना चाहिए और यदि वह अर्थव्यवस्था को संकट से बाहर निकालना चाहते हैं तो उन्हें अपनी सरकार के अर्थशास्त्रियों को ‘‘डराना’’ बंद करना चाहिए।

समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि, ‘‘जिस तरह से मोदी सरकार चला रहे हैं उस तौर तरीके में बहुत कम लोग ही तय सोच के दायरे से बाहर निकल सकते हैं। उन्हें लोगों को इसके लिए प्रोत्साहित करना चाहिए कि वे उनके सामने कह सकें कि नहीं यह नहीं हो सकता है। लेकिन मुझे लगता है कि वह अभी इस तरह की सोच विकसित नहीं कर पाये हैं।’’

सत्ताधारी दल के राज्यसभा सदस्य की तरफ से ये टिप्पणियां ऐसे समय आईं हैं जब देश की आर्थिक वृद्धि छह साल के निम्न स्तर पांच प्रतिशत पर आ गई है और सरकार इस सुस्ती से बाहर निकलने के लिए कई गैर-परंपरागत उपाय कर रही है। बता दें कि, सरकार ने हाल ही में कंपनियों के लिए कर दर में बड़ी कटौती की है।

सुब्रमण्यम स्वामी ने अर्थव्यवस्था में मौजूदा संकट के लिए नोटबंदी को भी दोषी ठहराया है। इस मामले में उन्होंने खासतौर से भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और वित्त मंत्रालय की भूमिका पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि इन्होंने वास्तविक मुद्दों को नहीं उठाया और न ही ठीक से तैयारी की। इसके साथ ही उन्होंने माल एवं सेवाकर (जीएसटी) को जल्दबाजी में लागू करने को भी अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति के लिए जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने यह भी कहा कि उच्च वृद्धि के लिए कौन सी नीतियों की जरूरत है सरकार उसे नहीं समझ पाई हैं।

स्वामी यहां एक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने कहा, ‘आज हमें ऐसे तरीकों की आवश्यकता है जिसमें हमारी अर्थव्यवस्था के लिए एक अल्पकालिक, एक मध्यम अवधि और एक दीर्घ अवधि की नीति होनी हो। लेकिन आज ऐसा नहीं है। मुझे लगता है कि जो भी अर्थशास्त्री सरकार ने रखे हैं वे इतने डरे हुए हैं कि सच्चाई प्रधानमंत्री के समक्ष नहीं रख सकते हैं, जबकि प्रधानमंत्री का ध्यान खुद छोटी-परियोजनाओं पर है।’ उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का ध्यान छोटे और एकतरफा मुद्दों पर है जैसे कि गरीब महिलाओं को खाने पकाने की गैस वितरण वाली उज्ज्वला योजना। लेकिन उन्होंने इस मौके पर बहुपक्षीय नजरिया अपनाने की जरूरत पर जोर दिया जो कि विभिन्न पहलुओं को छुए।

सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि ऐसा जरूरी नहीं है कि अर्थशास्त्र का ज्ञाता प्रधानमंत्री हो। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री पी वी नरंसिंह राव को याद करते हुए कहा कि उनके पास मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाला वित्त मंत्रालय था जिसने 1991 के सुधारों को आगे बढ़ाया। स्वामी ने एतिहासिक आर्थिक सुधारों के लिए नरंसिह राव की भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा कि मनमोहन सिंह वित्त मंत्री रहते जितना कुछ कर पाए प्रधानमंत्री रहते हुए आर्थिक सुधारों के मोर्चे पर वह ज्यादा कुछ नहीं कर पाए।

स्वामी ने कहा, ‘1991 के सुधारों के लिए राव को 95 प्रतिशत श्रेय मिलना चाहिए और कहा कि दिवंगत प्रधानमंत्री को आगामी गणतंत्र दिवस पर भारत रत्न से सम्मानित किया जाना चाहिये।’ पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के बारे में स्वामी ने कहा कि वह चिदंबरम को व्यक्तिगत रूप से बहुत कम जानते हैं। चिदंबरम के बारे में उन्हें केवल इतना पता है कि एक छात्र जो कि हार्वर्ड बिजनेस स्कूल में एक कक्षा में फेल हो गया था। सुब्रमण्यम स्वामी ने आयकर समाप्त करने की अपनी मांग को भी दोहराया और कहा कि इससे घरेलू बचत बढ़ेगी और वृद्धि तेज होगी। इससे कर आकलन से जुड़ा भ्रष्टाचार भी कम होगा।

उन्होंने कहा कि ईमानदार करदाताओं के बीच अब भी एक भावना है कि उन पर छापा मारा जाएगा और एक अधिकारी को गिरफ्तार किया जाएगा जो भ्रष्ट आचरण करने की कोशिश करेगा।

बता दें कि, इससे पहले शनिवार को सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा था कि देश सही आर्थिक नीतियां नहीं अपना रहा है। पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वामी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ बहुत अच्छे कार्यक्रम जैसे कि ‘मेक इन इंडिया’ शुरू किए हैं लेकिन देश वृहद आर्थिक नीतियों के मोर्चे पर पिछड़ रहा है। सुब्रह्मण्यम स्वामी ने मुंबई में एक कार्यक्रम में देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू पर आरोप लगाया कि उन्होंने देश पर सोवियत संघ का आर्थिक मॉडल ‘थोपा’ और इसी वजह से हमारी अर्थव्यवस्था पीछे है। उन्होंने कहा, ‘‘क्या आज हम सही आर्थिक नीतियां अपना रहे हैं, मैं माफी चाहूंगा, लेकिन नहीं हम ऐसा नहीं कर रहे हैं।’’

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