चुनाव आयोग ने लाभ के पद वाले मामले में आम आदमी पार्टी (आप) को बड़ा झटका देते हुए 20 विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, चुनाव आयोग ने शुक्रवार (19 जनवरी) को अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भेज दी है। अब सबकी नजरें राष्ट्रपति पर हैं, जो इस मामले पर अंतिम मुहर लगाएंगे।

बता दें कि केजरीवाल सरकार पर 20 विधायकों को संसदीय सचिव बनाकर लाभ का पद देने का आरोप लगा है। अगर राष्ट्रपति AAP के विधायकों के विरुद्ध फैसला देते हैं, तो 70 सदस्यीय दिल्ली विधानसभा में आप पार्टी के विधायकों की संख्या 66 से घटकर सीधे 46 पर आ जाएगी।
लाभ के पद का मामला में आम आदमी पार्टी ने चुनाव आयोग द्वारा उसके 20 विधायकों को अयोग्य ठहराने की सिफारिश के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया है। न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक, आम आदमी पार्टी चुनाव आयोग के इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट जाने का फैसला किया है। रिपोर्ट के मुताबिक, चुनाव आयोग के फैसले को AAP ने दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती भी दी है। पार्टी के विधायक मदन लाल ने हाई कोर्ट में अर्जी दी है।
Aam Aadmi Party approached Delhi High Court against Election Commission's recommendation to disqualify their 20 MLAs in Office of Profit case.
— ANI (@ANI) January 19, 2018
चुनाव आयोग द्वारा AAP के 20 विधायकों की सदस्यता रद्द करने की सिफारिश की खबरों के बीच पार्टी ने पूरे मामले पर सफाई दी है। इस मामले में आम आदमी पार्टी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि मीडिया के हवाले से खबर मिली है कि चुनाव आयोग लाभ के पद के मामले में राष्ट्रपति को चिट्ठी भेजी है, लेकिन इसकी अभी कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है। अभी यह मीडिया के हवाले खबर आई है।
AAP नेता सौरभ भारद्वाज ने चुनाव आयोग के फैसले को AAP के खिलाफ ‘साजिश’ करार दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग में AAP के किसी विधायक की गवाही नहीं हुई है। सौरभ ने मुख्य चुनाव आयुक्त अचल कुमार ज्योति पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि मुख्य चुनाव आयुक्त का 23 जनवरी को जन्मदिन है। वह 65 साल के हो रहे हैं। ज्योति रिटायर होने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कर्ज उतारना चाहते हैं।
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि किसी विधायक के पास सरकारी गाड़ी और बंगाल नहीं है। उनके पास कोई अकाउंट ऐसा नहीं है, जिसमें एक रुपये की भी तनख्वाह मिली है। भारद्वाज ने कहा कि आप के किसी भी विधायक के पास लाभ को कोई पद नहीं था। न ही उन्हें कोई बंगला या गाड़ी मिली थी और न ही उन्हें किसी तरह की कोई सैलरी मिली थी।
आप नेता ने यह भी कहा कि चूंकि हाई कोर्ट ने इन विधायकों को संसदीय सेक्रेटरी मानने से ही इनकार कर दिया, ऐसे में इनकी सदस्यता रद्द करने का सवाल कहां से उठता है। आप नेता ने साफ तौर पर आरोप लगाया कि मोदी सरकार के इशारे पर मुख्य चुनाव आयुक्त ने दिल्ली की चुनी हुई सरकार के खिलाफ साजिश रची है।
विपक्ष ने मांगा केजरीवाल का इस्तीफा
दिल्ली में सत्तारुढ़ AAP के 20 सदस्यों की सदस्यता जाने संबंधी खबर आने के फौरन बाद तमाम राजनीतिक दलों में इसकी तीव्र प्रतिक्रिया आने लगी है। कांग्रेस और बीजेपी ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से इस्तीफा मांगा है। बीजेपी ने केजरीवाल सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सीएम को अब नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे देना चाहिए उन्हे इस पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है।
बीजेपी नेता सतीश उपाध्याय ने आजतक से कहा कि जनता को आप पार्टी का भ्रष्टाचार दिख रहा है। सरकार का भ्रष्टाचार बेनकाब हुआ है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अब पद पर बने रहने का कोई औचित्य नहीं रह गया है। वहीं, बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि आम आदमी पार्टी के कई विधायकों पर केस चल रहा है, कई जेल जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि केजरीवाल को सरकार में बने रहने का नैतिक अधिकार नहीं है। नैतिकता और अरविंद केजरीवाल का दूर-दूर तक रिश्ता नहीं है।
वहीं दिल्ली कांग्रेस ने भी चुनाव आयोग के फैसले का स्वागत किया है। कांग्रेस नेता और पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने भी केजरीवाल से इस्तीफा देने की मांग की है। वहीं, कांग्रेस के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन ने कहा कि नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इन विधायकों को इस्तीफा दे देना चाहिए। माकन ने कहा कि दिल्ली में हमारी पार्टी विरोध प्रदर्शन करेगी और केजरीवाल के इस्तीफे की मांग करेगी।
Kejriwal Ji does't have the moral right to stay on his post, he must resign. Congress will carry out a 'jan aandolan' regarding the same: Ajay Maken, Congress on reports of disqualification of 20 AAP MLAs in Office of Profit case pic.twitter.com/TrEZrMBO1c
— ANI (@ANI) January 19, 2018
वहीं, AAP नेता आशुतोष ने ट्वीट कर आरोप लगाया है कि चुनाव आयोग सत्ताधारी बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आगे नतमस्तक हो चुका है।
EC SHOULD NOT BE THE LETTER BOX OF THE PMO.. but that is a reality today.
— ashutosh (@ashutosh83B) January 19, 2018
भाजपा नेता विजेंदर गुप्ता ने ट्वीट कर कहा कि राष्ट्रपति को इस पर जल्द फैसला लेना चाहिए। वहीं दिल्ली के बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी का कहना है कि बीजेपी चुनाव आयोग के इस फैसले का स्वागत करती है। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी ने कभी भी कानून का पालन नहीं किया।
Better late than never, EC Election disqualifies 20 AAP MLAs for holding 'office of profit'. The AAP govt has much to answer to the public for their political impropriety as Delhi is headed for mid-term #elections. Will request Hon'ble President for speedy approval.
— Vijender Gupta (@Gupta_vijender) January 19, 2018
वहीं दूसरी ओर, आप के बागी विधायक कपिल मिश्रा ने इसके पीछे एक आदमी की लालच को जिम्मेदार ठहराया। मिश्रा ने ट्वीट करते हुए लिखा कि एक आदमी के लालच के कारण 20 विधायकों की सदस्यता खत्म हुई। अरविंद केजरीवाल पैसों के लालच में अंधे हो चुके हैं।
एक आदमी के लालच के कारण खत्म हुई 20 MLAs की सदस्यता – केजरीवाल पैसों के लालच में अंधे हो चुके थे।
— Kapil Mishra (@KapilMishra_IND) January 19, 2018
क्या है मामला?
बता दें कि केजरीवाल सरकार पर 20 विधायकों को संसदीय सचिव बनाकर लाभ का पद देने का आरोप लगा है। आम आदमी पार्टी ने 13 मार्च 2015 को अपने 21 विधायकों को संसदीय सचिव के पद पर नियुक्त किया था। इसके बाद 19 जून को वकील प्रशात पटेल ने राष्ट्रपति के पास इन सचिवों की सदस्यता रद करने के लिए आवेदन किया था। राष्ट्रपति ने शिकायत चुनाव आयोग भेज दी थी।
चुनाव आयोग ने आप के 21 विधायकों को ‘लाभ का पद’ मामले में कारण बताओ नोटिस दिया था। इस मामले में पहले 21 विधायकों की संख्या थी। हालांकि विधायक जनरैल सिंह के पिछले साल विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद इस मामले में फंसे विधायकों की संख्या 20 हो गई है। ‘लाभ के पद’ का हवाला देकर इस मामले में सदस्यों की सदस्यता भंग करने की याचिका डाली गई थी।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, चुनाव आयोग ने केजरीवाल सरकार के खिलाफ फैसला दिया है। आयोग ने रिपोर्ट बनाकर राष्ट्रपति के पास अंतिम मुहर के लिए भेज दी है। माना जा रहा है कि आयोग इन 20 विधायकों की सदस्यता रद करने की बात कह सकता है। आगामी 14 फरवरी को आम आदमी पार्टी सरकार के तीन वर्ष पूरे हो रहे हैं। ऐसे में यह दिल्ली की केजरीवाल सरकार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
दिल्ली सरकार ने दिल्ली असेंबली रिमूवल ऑफ डिस्क्वॉलिफिकेशन ऐक्ट-1997 में संशोधन किया था। इस विधेयक का मकसद संसदीय सचिव के पद को लाभ के पद से छूट दिलाना था, जिसे तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने नामंजूर कर दिया था। इस विधेयक को केंद्र सरकार से आज तक मंजूरी नहीं मिली है। आप के विधायक 13 मार्च 2015 से आठ सितंबर 2016 तक संसदीय सचिव के पद पर थे।