राजस्थान के भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सरकार के एक आईएएस (IAS) अधिकारी ने ‘जनता का रिपोर्टर’ न्यूज़ वेबसाइट के खिलाफ अविश्वसनीय रूप से मानहानिकारक टिप्पणी की है। साथ ही ‘जनता का रिपोर्टर’ के एडिटर-इन-चीफ, रिफ़त जावेद के सार्वजनिक आवासीय पते की मांग की है।
संजय दीक्षित जो कि बीजेपी समर्थक और सोशल साइट ट्विटर पर इस्लाम विरोधी ट्वीट्स के लिए जाने जाते है। संजय दीक्षित वर्तमान में राजस्थान सरकार में विभागीय जांच के आयुक्त के रूप में काम कर रहे हैं। उन्होंने वसुंधरा राजे सरकार के संस्कृत शिक्षा विभाग में एक प्रमुख सचिव के रूप में काम किया था।
संजय दीक्षित ने शनिवार (5 अगस्त) को ‘जनता का रिपोर्टर’ न्यूज़ वेबसाइट और रिफ़त जावेद को आम आदमी पार्टी (आप) का मुखपत्र बताया। साथ ही वेबसाइट को इस्लामी लिंक से जुड़ा होने का आरोप लगाया।
दरअसल, वह कनाडाई यूनिवर्सिटी के एक कार्यक्रम में तारेक फतह को बुलाए जाने की अनुमति न मिलने की एक रिपोर्ट पर पर प्रतिक्रिया दे रहे थे।
संजय दीक्षित की अपमानजनक टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया देते हुए रिफ़त जावेद ने वसुंधरा राजे को ट्वीट करके पूछा कि क्या बदनामी की टिप्पणी करने के लिए उनकी सरकार के तहत आने वाले सिविल सेवक के लिए उपयुक्त है? साथ ही रिफ़त ने पूछा कि क्या दीक्षित को कृत्यों से बार-बार लोगों को अपमानित करने और इस्लाम को बदनाम करने की मंजूरी है।
इससे दीक्षित और रिफ़त के बीच ट्विटर पर विवाद शुरु हो गया। जिसके बाद दीक्षित ने एक ट्वीट पोस्ट करते हुए सार्वजनिक रुप से रिफ़त के निजी पते की मांग की।
उसके कुछ देर के बाद ही दीक्षित के अनुयायियों में से एक ने एक पता ट्वीट किया जिसे रिफ़त के होने का दावा किया गया, जिसे तुरंत आईएएस अधिकारी ने ट्विट किया।
जिसके जवाब में रिफ़त ने कहा कि, एक सिविल सेवक अधिकारी ऑल इंडिया सर्विस के नियमों का उल्लंघन कर रहा है और वह हमारी सुरक्षा के साथ समझौता करने की धमकी दे रहा है। दक्षिणपंथी समूहों द्वारा मुसलमानों के मारे जाने के बीच यह आईएएस (IAS) अधिकारी की गैर जिम्मेदाराना कार्रवाई निंदनीय है। मैंने उनके शनिवार के सभी ट्वीट्स के स्क्रीनशॉट ले लिए हैं।”
दीक्षित ऑल इंडिया सर्विसेज (आचरण) नियमों का निरंतर उल्लंघन करते हुए निरपेक्षता और अच्छे व्यवहार का पालन नहीं कर रहे हैं। जिसे एक आईएएस (IAS) अधिकारी के सार्वजनिक जीवन में होने की अपेक्षा की जाती है।
सत्ता में आने के दो महीने के बाद ही मोदी सरकार ने नौकरशाहों के लिए सेवा आचरण के नियमों में संशोधन करने का निर्णय लिया था ताकि उन्हें उच्च नैतिक स्तर बनाए रखने और निर्दोषता के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने के अलावा उनके लिए राजनीतिक तटस्थ रहना अनिवार्य हो।
देखे दीक्षित द्वारा पोस्ट की गई कुछ ट्विट्स:
Those who profess to oppose caste have the greatest stakes in seeing caste everywhere- in their shirts, pants, brooms and even their bottoms https://t.co/eIMdfgpVud
— Sanjay Dixit ಸಂಜಯ್ ದೀಕ್ಷಿತ್ संजय दीक्षित (@Sanjay_Dixit) August 5, 2017
‘जनता का रिपोर्टर’ और रिफ़त जावेद के खिलाफ किए गए ट्वीट।
Didn't you know that @RifatJawaid is an AAP mouthpiece and his @JantaKaReporter is Shari'a compliant https://t.co/e1Z04X2Xwt
— Sanjay Dixit ಸಂಜಯ್ ದೀಕ್ಷಿತ್ संजय दीक्षित (@Sanjay_Dixit) August 5, 2017
उनके ट्वीट आरएसएस(RSS) के पक्ष में हैं और भारत की एक मान्यता प्राप्त राजनीतिक पार्टी सीपीआई-एम(CPI-M) पर हमला कर रहें हैं।
And Marxists have that as an excuse to continue politics of murder forever https://t.co/72PKWMpdBa
— Sanjay Dixit ಸಂಜಯ್ ದೀಕ್ಷಿತ್ संजय दीक्षित (@Sanjay_Dixit) August 4, 2017
देखिए कुछ और ऐसे ही ट्विट्स जो एक सिविल सेवक अधिकारी के कार्य पर सवाल उठाते है।
All Abrahamic faiths are based on an apartheid model of believers and non-believers. Hindus are the only ones who see Ishwar in all https://t.co/Lp3SRtjsT7
— Sanjay Dixit ಸಂಜಯ್ ದೀಕ್ಷಿತ್ संजय दीक्षित (@Sanjay_Dixit) July 30, 2017
Absolutely. Allahabad, Aurangabad and Ahmedabad should be next. https://t.co/WGteI9BIW0
— Sanjay Dixit ಸಂಜಯ್ ದೀಕ್ಷಿತ್ संजय दीक्षित (@Sanjay_Dixit) August 4, 2017
वह इस्लाम के लिए अपमानजनक शब्द का प्रयोग कर रहें है।
Islamo-Fascism going strong in Canada https://t.co/HlZhF9Uv8H
— Sanjay Dixit ಸಂಜಯ್ ದೀಕ್ಷಿತ್ संजय दीक्षित (@Sanjay_Dixit) August 4, 2017
रिफ़त को ‘इस्लामवादी’ कहकर बुलाया। जो ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी के अनुसार ‘इस्लामी आतंकवाद या कट्टरवाद के समर्थक होते हैं।’
Agreed. This lowlife is an admirer of the Islamist @RifatJawaid https://t.co/VCVhrZstgV
— Sanjay Dixit ಸಂಜಯ್ ದೀಕ್ಷಿತ್ संजय दीक्षित (@Sanjay_Dixit) September 25, 2016
जनता का रिपोर्टर एक स्वतंत्र मीडिया प्लेटफॉर्म है और इसे रिफ़त ने लॉन्च किया था, जिन्हें सक्रिय पत्रकारिता में 22 साल का अनुभव है। उन्होंने ब्रिटेन में बीबीसी के साथ डिवीजनों और प्लेटफार्मों में एक बहुत ही वरिष्ठ स्तर पर काम किया है। जहां उन्होंने एशिया, अफ्रीका, यूरोप और अरब विश्व में 400 से अधिक कर्मचारियों के लिए संपादकीय नेतृत्व प्रदान किया। साथ ही उन्होंने इंडिया टुडे समूह में भी कार्य किया है। जहां पर उन्होंने आज तक, इंडिया टुडे, दिल्ली आज तक और तेज़ के लिए प्रबंध संपादक के रूप में काम किया है। उन्होंने जनता का रिपोर्टर को 3 मई 2015 को शुरू किया था।