पंजाब, गोवा और उत्तर प्रदेश के चुनावी नतीजों पर इन दिनों ‘जनता का रिपोर्टर’ अपनी विशेष कवरेज कर रहा है। ‘जनता का रिपोर्टर’ के प्रधान संपादक रिफत जावेद ने पंजाब व गोवा में कई सौ किलोमीटर से अधिक की यात्रा की और मतदाताओं की नब्ज टलोटते हुए ये पता लगाने का प्रयास किया कि इस बार पंजाब व गोवा में मतदाता किसे सत्ता का ताज सौंपने वाले है? जबकि उत्तर प्रदेश चुनावों पर हमारी विशेष कवरेज लगातार प्रकाशित की जा रही है।
रिफत जावेद ने अपने फेसबुक लाइव के दौरान एक सवाल का जवाब देते हुए कहा था कि एक महीने तक रखी जाने वाली ईवीएम मशीनों के साथ क्या छेड़छाड़ सम्भव है? उन्होंने अगाह किया था कि बहुत सारे लोगों ने गोवा और पंजाब में बताया था कि चुनाव तो अपने तय समय पर खत्म हो जाएगें लेकिन वोटों का गिनती शुरू की जाएगी 11 तारीख में, इस दौरान जो 1 माह से अधिक का समय है वहां ये ईवीएम मशीन कहीं ना कहीं तो रखी जाएगी?
अब इसी खबर का संज्ञान लेते हुए आम आदमी पार्टी ने ईवीएम मशीनों की निगरानी के लिए अपने तबूं पंजाब में लगा दिए हैं। वोटिंग मशीनों की सुरक्षा के मद्देनज़र अब आम आदमी पार्टी ने 15-15 कार्यकर्ताओं की टीमें बनाई हैं, जो तंबू लगाकर स्ट्रांग रूम के बाहर चौकसी करने में लगे हुए है। आम आदमी पार्टी ने प्रदेश के सभी स्ट्रांग रूम में अपने कार्यकर्ताओं की ड्यूटी लगाई है।
चौबीसों घंटे निगरानी करते हुए पटियाला फिजिकल एजुकेशन कॉलेज के बाहर तंबू में गीत गाकर और हंसी मजाक करते हुए आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता 11 मार्च का इंतजार कर रहे है। जबकि रिफत जावेद ने कहा था कि अगर चैबीसों घंटे इन ईवीएम मशीनों की निगरानी करनी पड़े तो करी जाए। उन्होंने कांगे्रस व अन्य दलों को भी सवाल का जवाब देते हुए अगाह किया था।
चुनाव आयोग ने वोटिंग मशीनों को सुरक्षित रखने के लिए हर ज़िले में स्ट्रांग रूम बनाए हैं, जहां कड़ी सुरक्षा के बीच सीलबंद वोटिंग मशीनों को रखा गया है।
जबकि ईवीएम मशीनों की सुरक्षा को लेकर चुनाव आयोग भी हल्के में नज़र नहीं आता। चुनाव आयोग ने वोटिंग मशीनों को सुरक्षित रखने के लिए हर जिले में स्ट्रांग रूम बनाए जहां पर कड़ी सुरक्षा के बीच सीलबंद वोटिंग मशीनों को रखा गया है।
रिफत जावेद ने आगे इस पर बोलते हुए कहा था कि पूर्व में जब दिल्ली में विधानसभा चुनाव हुए थे तो आम आदमी पार्टी ने पूरी तरह से इन मशीनों की निगरानी की थी क्योंकि उस समय एक-दो दिन की ही बात थी। लेकिन इस बार तो पूरे एक महीने का समय इसमेें लगने जा रहा है।
कौन इनकी निगरानी करेगा? और अगर इन मशीनों की निगरानी नहीं कि गई तो क्या ये मुमकिन है की इन मशीनों से साथ छेड़छाड़ सम्भव हैं। अगर ऐसा होता है तो ये एक बुरी खबर होगी। ये पंजाब और गोवा के मतदाताओं के साथ धोखा होगा। क्योंकि पूरे एक महीने का प्रश्न है। एक महीने तक निगरानी कैसे सम्भव है।
ये बात अब चुनाव में भाग ले रही इन पार्टियों पर निर्भर करती है कि वह किस प्रकार से इन मशीनों की निगरानी करने की व्यवस्था तैयार करेगी। जहां पर भी ये ईवीएम मशीनें रखी जाए वहां ये पार्टिया अपने स्वयसेवक और कार्यकर्ताओं को निगरानी के लिए रखें।
ये सिर्फ आम आदमी पार्टी के लिए ही नहीं बल्कि कांग्रेस भी इसमें दखल दे। इसके अगर 24 घटें तक निगरानी करनी पड़े तो करें। वर्ना इनके लिए खुद अपने पांव में कुल्हाड़ी मारने वाली बात होगी।