कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और सांसद राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर किसान आंदोलन की अनदेखी करने का आरोप लगते हुए मंगलवार को कहा कि वह जनता की समस्याओं का समाधान करने की बजाय सिर्फ अपने पूंजीपति मित्रों के हितों को महत्व देती है। उन्होंने कहा कि सरकार की नीतियों के खिलाफ अपने हितों के लिए समाज का जो भी वर्ग विरोध करता है सरकार उनकी चिंता को दूर करने की बजाय उन्हें देशद्रोही, नक्सली, कोरोना वाहक या खालिस्तानी कहकर उनकी आवाज दबाने का प्रयास करती है।

राहुल गांधी ने मंगलवार को सरकार पर निशाना साधते हुए ट्वीट किया, “मोदी सरकार के लिए -विरोध प्रदर्शन करने वाले छात्र राष्ट्रविरोधी हैं। अपनी समस्याओं को लेकर चिंतित नागरिक शहरी नक्सली हैं। प्रवासी मजदूर कोविड महामारी के वाहक हैं। दुष्कर्म पीड़ित कुछ भी नहीं हैं। विरोध करने वाले किसान खालिस्तानी हैं और पूंजीपति सबसे अच्छे दोस्त हैं।”
केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन को लेकर विपक्षी पार्टियां लगातार मोदी सरकार पर निशाना साध रही हैं। मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस किसानों के प्रदर्शन के मुद्दे को जोर-शोर से उठा रही है और लगातार सरकार को घेरने की कोशिश कर रही है।
For Modi Govt:
Dissenting students are anti-nationals.
Concerned citizens are urban naxals.
Migrant labourers are Covid carriers.
Rape victims are nobody.
Protesting farmers are Khalistani.And
Crony capitalists are best friends.— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) December 15, 2020
गौरतलब है कि, केन्द्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब और हरियाणा के अंदरूनी इलाकों से आए हजारों किसान दिल्ली की सीमाओं पर 26 नवंबर से विरोध प्रदर्शन पर बैठे हैं। वे हरियाणा की सिंघु, टिकरी सीमा और उत्तर प्रदेश की गाजीपुर और चिल्ला सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं। किसानों के इस आंदोलन को कई संगठनों और राजनितिक दलों का समर्थन मिल चुका है। किसानों के मुद्दे को लेकर केंद्र सरकार विपक्ष के साथ-साथ अपनी सहयोगी पार्टियों के भी निशाने पर आ गई है।
बता दें कि कृषि कानूनों के विरोध में किसान आंदोलन कर रहे हैं. किसानों का आंदोलन मंगलवार को 20वें दिन में प्रवेश कर गया है। कृषि कानूनों को रद्द करवाने की मांग को लेकर दिल्ली बॉर्डर पर हजारों की संख्या में किसान प्रदर्शन कर रहे हैं। किसानों का कहना है कि जब तक सरकार कानून वापस नहीं लेती है वे एक इंच भी पीछे नहीं हटेंगे। सरकार किसानों को मनाने में जुटी है, विपक्षी पार्टियों ने केंद्र के कृषि कानूनों को “काला कानून” करार दिया है।