‘जनता का रिपोर्टर’ द्वारा राफेल डील पर किए गए एक खुलासे के बाद राजनीतिक गलियारों में हड़कंप मच गया है। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने गुरुवार (16 नवंबर) को ‘जनता का रिपोर्टर’ के खबर को शेयर करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जोरदार हमला बोला है।कांग्रेस उपाध्यक्ष ने मंगलवार को ‘जनता का रिपोर्टर’ के खबर को शेयर करते हुए ट्वीट कर लिखा है, ‘मोदी जी- अच्छा है सूट तो आपने उतार दिया, लेकिन लूट का क्या?’
Modi ji – nice touch removing the suit. What about the loot?https://t.co/4rGsBtNJ2D
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) November 16, 2017
इसके साथ ही कांग्रेस उपाध्यक्ष ने रिलायंस से भी इस मामले में जवाब मांगा है। साथ ही उन्होंने मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए ट्वीट में रिलायंस का नाम लेकर कहा कि वह ‘मेक इन इंडिया’ का जरूरी हिस्सा है।
Self "Reliance" is obviously a critical aspect of "Make in India."
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) November 16, 2017
वहीं, मीडिया से सवाल पूछते हुए राहुल गांधी ने कहा कि आप (पत्रकार) मुझसे सवाल पूछते हैं मैं ठीक से जवाब देता हूं। आप पीएम से राफेल डील के बारे में क्यों नहीं पूछते? सिर्फ एक बिजनसमैन के लिए उन्होंने पूरी डील बदल दी थी। आप अमित शाह के बेटे के बारे में क्यों नहीं पूछते? यह सवाल मैं आपसे पूछता हूं।
You ask me so many questions & I answer you properly, why don't you ask the PM about Rafale deal? He changed the whole deal for benefit of one businessman. Why don't you ask questions about Amit Shah's son? These are the questions I wanted to ask you: Rahul Gandhi pic.twitter.com/p5S3nPMecR
— ANI (@ANI) November 16, 2017
बता दें कि इससे पहले मंगलवार (14 नवंबर) को ‘जनता का रिपोर्टर’ द्वारा राफेल डील पर किए गए एक खुलासे के बाद आनन-फानन में प्रेस कॉन्फेंस कर मोदी सरकार से कई तीखे सवाल पूछे। ‘जनता का रिपोर्टर’ का हवाला देते हुए कांग्रेस ने प्रेस कॉन्फेंस कर आरोप लगाया है कि राफेल डील पर मोदी सरकार ने ‘राष्ट्रीय हित और राष्ट्रीय सुरक्षा’ के साथ खिलवाड़ किया है, जिसे माफ नहीं किया जा सकता है।
कांग्रेस के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने राफेल एयरक्राफ्ट खरीद में मोदी सरकार पर घोटाले का आरोप लगाया है। सुरजेवाला का कहना है कि राफेल खरीद में कोई पारदर्शिता नहीं है। कांग्रेस ने मंगलवार को राफेल लड़ाकू विमान सौदे पर सवाल उठाते हुए कहा कि मोदी सरकार ‘क्रोनी कैपिटलिज्म’ (सरकारी सांठगांठ वाले पूंजीवाद) को बढ़ावा देकर राष्ट्रीय और सुरक्षा हितों से समझौता कर रही है।
हालांकि बीजेपी ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलीकॉप्टर घोटाले में संभावित पूछताछ के डर से कांग्रेस लोगों का ध्यान भटकाना चाहती है। वहीं, रिलायंस डिफेंस लिमिटेड ने भी कांग्रेस के आरोपों को आधारहीन करार दिया है। इस बीच सोशल मीडिया पर यह मामला गर्म होता दिखाई दे रहा है।
वहीं, मंगलवार (14 नवंबर) को ‘जनता का रिपोर्टर’ द्वारा इस खुलासे के बाद ट्विटर पर मोदी सरकार लोगों के निशाने पर आ गई है। बुधवार (15 नवंबर) को ट्विटर पर हैशटैग #ModiRafaleScam ट्रेंड कर रहा है। इस हैशटैग के जरिए लोग मोदी सरकार पर निशाना साध रहे हैं।
कांग्रेस ने लगाया गंभीर आरोप
कांग्रेस ने फ्रांस के साथ राफेल लड़ाकू विमान की खरीद में घोटाले तथा केंद्र की मोदी सरकार द्वारा राष्ट्रीय हितों एवं सुरक्षा के साथ समझौता करने का आरोप लगाते हुए दावा किया कि इसके कारण सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचा। साथ ही सुरजेवाला ने सौदे में सांठगांठ वाले पूंजीवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया।
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने संवाददाताओं को संबोधित करते हुए सरकार से सवाल किया कि वह यूपीए सरकार के दौरान बातचीत के जरिये तय मूल्य से कहीं अधिक मूल्य पर विमान खरीदकर एक व्यापार समूह के हितों को आगे क्यों बढ़ा रहे हैं। उन्होंने इस सौदे में रक्षा खरीद प्रक्रिया तथा हिन्दुस्तान एयरनोटिक्स लि. के हितों की अनदेखी करने का आरोप लगाया।
सुरजेवाला ने कहा कि यूपीए शासनकाल में 12 दिसंबर, 2012 को राफेल से 10.2 अरब अमेरिकी डॉलर (तब के 54 हजार करोड़ रुपये) में 126 लड़ाकू विमान खरीदने का फैसला लिया गया था। इनमें से 18 विमान को तैयार स्थिति में और 108 को भारत में ही हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) द्वारा तकनीक हस्तांतरण के साथ निर्मित किया जाना था।
लेकिन, मोदी सरकार ने 30 जुलाई, 2015 को यह सौदा रद कर दिया और अगले ही साल 23 सितंबर 2016 को 8.7 अरब अमेरिकी डॉलर में 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने का सौदा किया। बाद में अनिल अंबानी की रिलांयस डिफेंस लिमिटेड ने राफेल की निर्माता कंपनी दासौत एविएशन के साथ भारत में रक्षा उत्पादन के लिए संयुक्त उपक्रम समझौता कर लिया।
कांग्रेस नेता ने दावा किया कि यूपीए काल में किए गए सौदे में हर विमान का मूल्य 526.10 करोड़ आता, लेकिन अब हर विमान का मूल्य 1570.80 करोड़ रुपये आएगा। इससे सरकारी खजाने को काफी बड़ा नुकसान होगा। यही नहीं, फ्रेंच विमान निर्माता कंपनी ने तकनीक हस्तांतरण (ट्रांसफर ऑफ टेक्नॉली) से भी इनकार कर दिया और एचएएल के स्थान पर रिलायंस डिफेंस के साथ समझौता कर लिया।
कांग्रेस नेता ने प्रधानमंत्री मोदी से पांच सवाल किये। उन्होंने पूछा कि विमान को ऊंचे दाम पर क्यों खरीदा जा रहा है तथा एक निजी प्रतिष्ठान के व्यापारिक हितों को एक सार्वजनिक निकाय की अनदेखी कर क्यों बढ़ाया जा रहा है। सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि सरकार द्वारा 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद में पूरी तरह अपारदर्शी रखा गया, रक्षा खरीद प्रक्रिया के अनिवार्य प्रावधानों का प्रत्यक्ष उल्लंघन हुआ।
‘जनता का रिपोर्टर’ के खुलासे के बाद हड़कंप
आपको बता दें कि ‘जनता का रिपोर्टर’ ने लड़ाकू विमानों के समझौते को लेकर बड़ा खुलासा किया है कि मोदी सरकार ने अपने कुछ करीबी उद्योगपतियों (अनिल अंबानी) को फायदा पहुंचाने के लिए यूपीए सरकार के दौरान किए गए 126 विमानों के समझौते को रद्द कर महंगे दामों पर 36 लड़ाकू विमानों का सौदा किया।
दरअसल, राफेल की शुरुआती डील यूपीए सरकार के समय में आगे बढ़ी थी। जिसमें भारत व फ्रांस की कंपनी देसाल्त एविएशन के साथ 126 राफेल क्राफ्ट का सौदा हुआ। जिसमें से भारत को 18 क्राफ्ट बने बनाए खरीदने थे और बाकी बचे हुए क्राफ्ट बनाने के लिए कंपनी को वह तकनीक भारत को देनी थी। यह क्राफ्ट भारत की सरकारी पीएसयू हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड को बनाने थे।
लेकिन पीएम मोदी ने सत्ता में आने के बाद न सिर्फ बने हुए क्राफ्ट की तादाद 18 से 36 कर दी, बल्कि बचे हुए क्राफ्ट बनाने की जिम्मेदारी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) से लेकर एक निजी कंपनी रिलायंस डिफेंस लिमिटेड को सौंप दी गई, जिसके मालिक अनिल अंबानी हैं। साथ ही हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स के साथ फ्रांसीसी कंपनी की डील भी रद्द कर दी गई।
अगर आकड़ों पर नजर डाले तो इस पूरी प्रक्रिया में देश के खजाने का जबरदस्त नुकसान हुआ। जहां यूपीए सरकार ने 126 जहाजों का सौदा कुल 10.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर में किया था। जबकि मोदी सरकार मात्र 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने का सौदा किया जिसके लिए 8.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर देने पड़ेंगे, जिसमें ट्रांसफर ऑफ टेक्नॉली शामिल नहीं हैं।
जबकि यूपीए के समय में हुए सौदे में तय हुआ था कि फ्रांसीसी कंपनी के साथ हुए कुल मसौदे की आधी रकम के बराबर पैसा भारत में निवेश होगा। साथ ही बचे हुए क्राफ्ट के निर्माण का लगभग 70 फीसदी काम हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स को करना था, जबकि 30 फीसदी काम फ्रांसीसी कंपनी को। लेकिन पीएम मोदी ने आते ही इस पूरे सौदे को ही पलट दिया।
पीएम मोदी 10 अप्रैल 2015 को फ्रांस गए और उन्होंने अचानक 36 विमान खरीदने का ऐलान कर दिया। जिसके बाद 23 सितंबर 2016 को 18 की जगह 36 बने बनाए जहाज खरीदने का समझौता हो गया। पीएम ने ऐसा करने से पहले न तो देश के रक्षा मंत्री और न ही देश के रक्षा सचिव को भरोसे में लिया। जब वह (पीएम मोदी) फ्रांस गए तो उनके साथ एक और बड़े उद्योगपति और उनके मित्र अनिल अंबानी (रिलायंस डिफेंस के मालिक) उस समय मौजूद थे।
इस ऐलान के 10 दिन के अंदर ही 3 अक्टूबर 2016 को अनिल अंबानी की कंपनी ने देसाल्त एविएशन से लड़ाकू विमानों के प्रोडक्शन को लेकर समझौता कर लिया। अब सवाल उठता है कि मोदी सरकार ने 36 लड़ाकू विमान क्यों ऊंची कीमतों पर खरीदें? जबकि मनमोहन सरकार के दौरान इनकी कीमत काफी कम थी।
यूपीए सरकार के दौरान 126 विमानों की बेस कीमत 10.2 बिलियन अमेरिका डालर थी और इसमें तकनीकी का आदान प्रदान भी था। क्या यह सही है कि मोदी सरकार ने 36 राफेल विमान बिना तकनीकी के 8.7 बिलियन अमेरिकी डालर में खरीदे हैं।
क्या यही सही नहीं है कि यूपीए के सौदे में एक विमान की कीमत 80.95 मिलियन यानी 526.1 करोड़ रुपये कीमत थी, जबकि मोदी सरकार के समय में खरीदे गए प्रति विमान की कीमत 241.66 मिलियन यानी 1570.8 करोड़ रुपये है। इस नुकसान के लिए कौन जिम्मेदार है?