उपज के वाजिब दाम, कर्ज माफी एवं अन्य मांगों को लेकर शुक्रवार (1 जून) को देश के करीब सात राज्यों के किसान सड़कों पर उतर आए। 10 दिवसीय ‘गांव बंद आंदोलन’ के पहले दिन कई जगह किसानों ने सड़कों पर दूध बहाया और सब्जियां फेंकी। आंदोलन का असर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, कर्नाटक, राजस्थान, हरियाणा और पंजाब में सबसे ज्यादा देखने को मिला। किसानों की हड़ताल 1 जून को शुरू हुई, जो 10 जून तक चलने वाली है।

लाखों किसानों के ‘गांव बंद’ का आज यानी शनिवार (2 जून) को दूसरा दिन है। शहरों में सप्लाई होने वाले दूध फल सब्जी की सप्लाई आज से प्रभावित होनी शुरु हो गई है। शनिवार को पंजाब के लुधियाना में किसानों ने सड़कों पर सब्जियां फेंक दी और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। बता दें कि देश के आठ राज्यों में जारी इस हड़ताल में 130 संगठन शामिल हैं।
इस बीच केंद्रीय मंत्री राधामोहन सिंह ने देश में किसानों के आंदोलन को लेकर बेतुका बयान दिया है। किसानों के आंदोलन को ‘पब्लिसिटी स्टंट’ करार देते हुए उन्होंने कहा कि मीडिया में आने के लिए कुछ किसान तरह-तरह के उपक्रम कर रहे हैं। देश में करोड़ों की संख्या में किसान हैं और उसमें कुछ किसानों का ये प्रदर्शन मायने नहीं रखता।
टाइम्स नाउ के मुताबिक केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के चार साल पूरे होने पर पटना में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधन के दौरान किसान आंंदोलन पर पूछे गए सवाल के जवाब में कृषि मंत्री राधामोहन सिंह है कि मीडिया में आने के लिए कुछ अनोखे काम करने पड़ते हैं। उन्होंने कहा है कि कि देश में 12-14 करोड़ों किसान हैं। हर किसान संगठन में 1000-500 किसान होंगे और इनको मीडिया में आने के लिए अनोखे काम करने पड़ते हैं।
Distressed farmers protest, hundreds out on the street. But NDA mantri mock their pain and tags stir as 'gimmick' More details by Shyam #StopMockingFarmers pic.twitter.com/ZRGOMFGmJG
— TIMES NOW (@TimesNow) June 2, 2018
वहीं, हरियाणा के मुख्यमंत्री का कहना है कि किसानों के पास कोई मुद्दा नहीं है और वे खामखां अनावश्यक चीजें कर रहे हैं। खट्टर ने यह भी कहा कि सब्जियां और दूध नहीं बेचने के फैसले से अंतत: किसानों का ही नुकसान होगा। समाचार एजेंसी ANI के बातचीत में खट्टर ने कहा कि उनके (किसानों) पास कोई मुद्द नहीं है। वे सिर्फ गैर जरूरी चीजों पर फोकस कर रहे हैं। सामानों को नहीं बेचने से किसानों को ही नुकसान होगा।
#WATCH: Haryana CM Manohar Lal Khattar speaks on farmers' strike, says, 'they don't have any issues, they are just focusing on unnecessary things, not selling produce will bring losses to farmers.' (01.06.2018) pic.twitter.com/CFY7dzgj2g
— ANI (@ANI) June 2, 2018
हरियाणा के मुख्यमंत्री ही नहीं, मध्य प्रदेश के कृषि मंत्री बालकृष्ण पाटीदार ने भी किसानों की हड़ताल पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, ‘आज दो जून है, कहां है हड़ताल? कोई भी किसान इसमें हिस्सा नहीं ले रहा। सीएम ने जो भी योजनाएं लॉन्च की है, उससे किसान खुश हैं। उन्हें पूरा भरोसा है कि केंद्र व राज्य सरकारें उनकी समस्याओं का समाधान करेंगी।’
Its 2nd June today,where is the strike happening? No farmers are participating in the strike. Farmers are happy with the schemes CM has launched for them.They have faith that state¢ral govt will solve their problems: Balkrishna Patidar, Madhya Pradesh minister for Agriculture pic.twitter.com/EKmKVowGAJ
— ANI (@ANI) June 2, 2018
किसानों का ‘गांव बंद आंदोलन’ दूसरे दिन भी जारी
बता दें कि केंद्र सरकार की किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ किसानों का राष्ट्रव्यापी आंदोलन आज यानी शनिवार को भी जारी है। देश के 7 राज्यों में किसान ‘गांव बंद’ कर लगातार दूसरे दिन विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं और धरने पर बैठ गए हैं। किसान आंदोलन के चलते सब्जियों और फलों के दाम दोगुने हो गए हैं। किसान बड़ी संख्या में अपनी फसल और सब्जी लेकर मंडी पहुंच रहे हैं, लेकिन ग्राहकों की शिकायत है कि सब्जियों के दाम 25 से 50 प्रतिशत तक बढ़ा दिए गए हैं।
किसानों का कहना है कि गांव बंद के दौरान 1 जून से 10 जून तक किसान अपने उत्पादन, फल, सब्जी, दूध और अनाज समेत दूसरे उत्पाद शहर नहीं भजेंगे। राष्ट्रीय किसान महासंघ के संयोजक शिवकुमार शर्मा ‘कक्काजी’ ने कहा कि मध्य प्रदेश सहित देश के 22 राज्यों में देशव्यापी ‘गांव बंद आंदोलन’ शुरू हो गया है। इस आंदोलन के अंतिम दिन 10 जून को ‘भारत बंद’ का आह्वान पूरे देश के किसान संगठनों द्वारा किया जाएगा। इसमें सभी दुकानें बंद रहेंगी।
शुक्रवार को यूपी के कई शहरों में किसान सड़क पर उतर आए। अमरोहा में किसानों ने सड़क पर टमाटर फेंक दिया। वहीं संभल में किसानों ने दूध बहाया। मुरादाबाद में भारतीय किसान यूनियन ने बिलारी के खनुपुरा में दूध और सब्जियों की आपूर्ति रोक दी। वहीं मध्यप्रदेश के इंदौर में फल-सब्जियों की आवक कम हो गई। मंदसौर के किसानों ने सब्जी और दूध को शहर से बाहर भेजने से इनकार कर दिया।
इसके अलावा पंजाब और हरियाणा में किसानों ने चक्का जाम किया। जबकि फरीदकोट में किसानों ने सब्जी, फल सप्लाई रोक दी। किसान यूनियन ने यह आंदोलन मध्य प्रदेश के मंदसौर किसान आंदोलन के एक साल पूरे होने पर बुलाया है। पिछले साल मंदसौर में 6 जून को पुलिस की गोलीबारी में 6 किसानों की मौत हो गई थी।
क्या है किसानों की मांग?
- देश के समस्त किसानों का सम्पूर्ण कर्ज मुक्त करना।
- किसानों को उनकी उपज का डेढ़ गुना लाभकारी मूल्य मिले।
- अत्यंत लघु किसान, जो अपने उत्पादन विक्रय करने मंडी तक नहीं पहुंच पाते, उनके परिवार के जीवनयापन हेतु उनकी आय सुनिश्चित हो।
- दूध, फल, सब्जियों का लागत के आधार पर डेढ़ गुना लाभकारी समर्थन मूल्य मिले।
आंदोलन के दौरान कब क्या होगा?
- मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 1 से 4 जून तक गांवों में युवाओं के सांस्कृतिक कार्यक्रम और पुरानी खेल गतिविधियां होगी।
- जबकि 5 जून को किसान धिक्कार दिवस मनाया जाएगा।
- 6 जून को किसान श्रद्धांजलि दिवस मनाएंगे। साथ ही 6 जून को ही कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की मंदसौर में सभा करेंगे। उस दिन हार्दिक पटेल भी उनके साथ होंगे।
- किसान 8 जून को असहयोग दिवस के रूप में मनाएंगे।
- जबकि 10 जून को भारत बंद रहेगा।