PNB और रोटोमैक के बाद एक और बैंकिंग घोटाले का हुआ पर्दाफाश, पंजाब के CM कैप्टन अमरिंदर सिंह के दामाद सहित 13 के खिलाफ केस दर्ज

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सार्वजनिक क्षेत्र के पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) में लेनदेन में 11,400 करोड़ रुपये धोखाधड़ी का मामला सामने आने के बाद देश में सनसनी मची हुई है। हीरा कारोबारी नीरव मोदी के बैंक घोटाले के बाद किंग ऑफ पेन के नाम से मशहूर उद्योगपति और रोटोमैक कंपनी के मालिक विक्रम कोठारी पर भी कई बैंकों को 3,695 का चूना लगाने का आरोप है। इस बीच पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) और रोटोमैक के बाद एक और बड़ा बैंकिंग घोटाला सामने आया है।

File Photo: Indian Express

ताजा घोटाला देश की सबसे बड़ी चीनी मिलों में से एक उत्तर प्रदेश के हापुड़ की सिंभावली शुगर्स लिमिटेड से जुड़ा है। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने हापुड़ की एक शुगर मिल और उसके अधिकारियों के खिलाफ करीब 110 (109.08cr) करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का केस दर्ज किया है। इस मामले में पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के दामाद भी घोटाले के लपेटे में आ गए हैं।

जनसत्ता की रिपोर्ट के मुताबिक सिंभावली शुगर्स लिमिटेड से जुड़े बैंक फ्रॉड मामले में सीबीआई ने पंजाब के मुख्यमंत्री के दामाद और सिंभावली शुगर्स के डीजीएम गुरपाल सिंह के खिलाफ केस दर्ज किया है। उनके अलावा 12 अन्य आरोपियों के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज की गई है। ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स (ओबीसी) ने 17 नवंबर, 2017 को सीबीआई के समक्ष शिकायत दी थी, लेकिन इस साल 22 फरवरी को सभी आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज किया गया।

NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक, सीबीआई की एफआईआर में सिंभावली शुगर मिल- हापुड़, गुरमीत सिंह मान- चेयरमैन एंड मैनेजिंग डायरेक्टर, गुरपाल सिंह- डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर, जीएससी- सीईओ, संजय टपरिया- सीएफओ, गुरसिमरन कौर मान- एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर- कमर्शियल, 5 नॉन एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर और अन्य के खिलाफ केस दर्ज किया है।

सीबीआई ने ये मुकदमा ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स की शिकायत पर दर्ज किया है। सीबीआई की एफआईआर में कंपनी के डिप्टी डायरेक्टर और पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के दामाद गुरपाल सिंह का नाम भी है। रिपोर्ट के मुताबिक इस मिल के डायरेक्टर पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के दामाद गुरपाल सिंह भी हैं। इनके खिलाफ भी केस दर्ज किया गया है।

क्या है आरोप?

दैनिक जागरण के मुताबिक, आरोप है कि सिंभावली शुगर्स लिमिटेड ने 2012 में 5700 गन्ना किसानों को पैसे देने के नाम पर ओरिएंटल बैंक से 150 करोड़ रुपये का लोन लिया, लेकिन इस पैसे को किसानों को देने की बजाय निजी इस्तेमाल में खर्च किया। इसके बाद मार्च 2015 में लोन एनपीए (नॉन परफार्मिंग एसेट) में बदल गया। उसके बाद भी बैंक ने इस मिल को 109 करोड़ का कॉरपोरेट लोन भी मंज़ूर कर दिया, जो पिछला बकाया चुकाने के लिए लिया गया। इसके बाद में लोन की यह रकम भी एनपीए में बदल गई।

शिकायत में क्या कहा गया?

सीबीआइ में दर्ज शिकायत में लिखा गया है कि ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स ने सिंभावली शुगर्स को गन्ना किसानों को ईख की खेती करने के लिए कर्ज देने की मंजूरी दी थी। बीएसई में सूचीबद्ध सिंभावली शुगर्स अब तक शुद्ध चीनी, सफेद चीनी, क्रिस्टल चीनी और विशेष चीनी का उत्पादन करती है। भारतीय रिजर्व बैंक (जुलाई 2011) के जारी परिपत्र के आधार पर वर्ष 2012 में बैंक ने इस लोन को स्वीकृति दे दी थी।

NDTV के मुताबिक 8 नवंबर, 2011 को कंपनी द्वारा ओबीसी बैंक को एक प्रस्ताव पेश किया गया था। जिसमे कहा गया था कि शुगर मिल ने बैंक को बताया था कि इस लोन से हर किसान एक स्कीम के तहत शुगर मिल से ही अच्छी पैदावार के लिए बीज, उर्वरक और खाद खरीदेगा। शुगर मिल ने 5762 परिवारों की एक सूची बैंक में जमा की। इस लोन की सीमा प्रति किसान 3 लाख रुपये रखी गई और कंपनी कुल निवेश 159 करोड़ रुपये से अधिक नहीं हो सकता था।

इस योजना के अनुमोदन के बाद, कंपनी ने किसानों के नाम के साथ उनकी जमीन के दस्तावेज और रिकॉर्ड भी बैंक को मुहैया कराए थे। साथ ही कंपनी को KYC फॉर्म भी जमा करने थे। 25 जनवरी 2012 से 13 मार्च 2012 के दौरान 5762 किसानों को ऋण दे दिया गया और करीब 148.59 करोड़ रुपये का कुल ऋण की राशि का भुगतान किया गया था। पूरे 5762 खाते खोले गए और लोन ट्रांसफर किया गया। लेकिन ये पूरी राशि कुछ दिन बाद वापस कंपनी के एकाउंट में चली गयी और कंपनी ने इसे किसी दूसरे बैंक एकाउंट में ट्रांसफर कर दिया।

हालांकि, करीब 60करोड़ रुपये कंपनी ने किश्तों के जरिये बैंक को लौटा दिए थे लेकिन बाकी 90 करोड़ वापस नही किया गया. जिसका ब्याज लगाकर कुल बकाया करीब 110 करोड़ रुपये का हो गया। उसके बाद बैंक द्वारा की गई जांच से पता चला (ए) कंपनी ने किसानों के नाम पर गलत केवाईसी प्रमाण पत्र जारी किया। (बी) कंपनी ने ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स के खाते से दूसरे बैंकों को धन हस्तांतरित कर दिया है, इसलिए धनराशि का दुरूपयोग हुआ(सी) प्राप्त ऋण पहले से आपूर्ति की गई गन्ने के बकाया का भुगतान करने के लिए इस्तेमाल किया गया था।

शिकायत में ओबीसी बैंक का कहना है कि एसबीआई की अगुवाई में कई बैंको के समूह द्वारा 110 करोड़ रुपए का कॉरपोरेट लोन कंपनी द्वारा किश्तों का भुगतान न करने के कारण 29 नवंबर 2015 को एनपीए (नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स) में आ गया था। जांच एजेंसी ने इस मामले में रविवार (25 फरवरी) को दिल्ली, हापुड़ और नोएडा के आठ ठिकानों पर छापे मारे। सीबीआई के प्रवक्ता अभिषेक दयाल ने बताया कि निदेशकों के आवास के अलावा फैक्ट्री और कंपनी के कार्यालय को भी खंगाला गया।

 

 

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