सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार(10 नवंबर) को उस वक़्त बड़ा हंगामा खड़ा हो गया जब मशहूर वकील प्रशांत भूषण ग़ुस्से में एक मामले की सुनवाई के दौरान ही कोर्ट रूम से बाहर निकल गए।
कोर्ट रूम से बाहर जाने से पहले उनके और मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के बीच नोक झोंक हुई जो खुद अपने आप में अप्रत्याशित था। भूषण ने चीफ जस्टिस मिश्रा से कहा, “आपके खिलाफ FIR दायर हो चुकी है।”
चीफ जस्टिस मिश्रा ने आग बबूला होते हुए कहा कि, “ये क्या बकवास है, FIR में न तो मेरा नाम है न ही कोई ज़िक्र। पहले हमारा आर्डर पढ़िए। अब आप पर अदालत की तौहीन का केस चल सकता है।”
भूषण ने चीफ जस्टिस मिश्रा को चैलेंज करते हुए कहा कि, “तो कीजिये मेरे खिलाफ अदालत की तौहीन का मुक़दमा।” इस पर चीफ जस्टिस मिश्रा ने बस इतना कहा, “आप इस लायक नहीं हैं।”
क्या है पूरा मामला?
मेडिकल कॉलेज के लिए घूस लेने के मामले में सीबीआई ने ओडिशा हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज इशरत मसरूर सिद्दीकी समेत कई लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। कैंपेन फॉर ज्यूडिशियल अकाउंटेबिलिटी एंड रिफॉर्म्स नामी ग़ैर सरकारी संस्था की ओर से इस मामले की सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड चीफ जस्टिस की देखरेख में SIT से जांच कराने की मांग की गई है।
इस मामले पर सुनवाई करते हुए गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस चेलमेश्वर ने इस मामले को सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों वाली न्यायिक खंडपीठ के हवाले कर दिया था। लेकिन जस्टिस चेलमेश्वर के इस फैसले पर चीफ जस्टिस मिश्रा ने तीखी प्रतिक्रिया व्यकत की और कहा कि खंडपीठ के चयन का अधिकार सिर्फ उनके पास है। दूसरी ओर पांच जजों वाली एक खंडपीठ ने जस्टिस चेलमेश्वर के फैसले को ये कह कर बदल दिया था कि खंडपीठ गठित करने का अधिकार सिर्फ चीफ जस्टिस के पास है।
सुप्रीम कोर्ट के एक और प्रसिद्द वकील दुष्यंत दवे ने भी उस खंडपीठ में चीफ जस्टिस मिश्रा के होने पर आपत्ति जताई थी। कुद्दुसी पर आरोप है उन्होंने जज रहते उन्होंने आरोपी मेडिकल कॉलेजों की क़ानूनी तौर पर मदद की थी और उन्हें आश्वासन दिया था कि सुप्रीम कोर्ट में अपने जान पहचान के जजों की मदद से वो इस मामले का ठीक ठाक अंत करवा देंगे। दुसरे आरोपियों पर इल्ज़ाम है कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के जजों का नाम लेकर रिश्वत लिए थे।