पूर्व सैन्य अधिकारियों की चिट्ठी पर विवाद, बंटे सेना के पूर्व अफसर, राष्‍ट्रपति भवन ने भी नकारा

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तीनों सेनाओं के 8 पूर्व प्रमुखों सहित 156 पूर्व सैन्य अधिकारियों की ओर से कथित तौर पर मोदी सरकार के सेना के राजनीतिक इस्तेमाल को लेकर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (तीनों सेनाओं का सुप्रीम कमांडर) को चिट्ठी लिखे जाने की खबरों पर विवाद शुरू हो गया है। तीन पूर्व सर्विस चीफ ने ऐसी किसी चिट्ठी की जानकारी से इनकार किया है। वहीं राष्ट्रपति भवन ने भी इस मुद्दे से जुड़ी चिट्ठी मिलने से इनकार किया है।

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फाइल फोटो: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद

मीडिया रिपोर्ट में इस पत्र के आने के बाद जब राष्ट्रपति भवन से इसके बारे में पूछा गया तो एक अधिकारी ने बताया कि राष्ट्रपति भवन को अब तक इस तरह का कोई पत्र नहीं मिला है। दरअसल, ऐसी खबरें थीं कि देश के तीनों सेनाओं के 8 पूर्व प्रमुखों सहित 156 पूर्व सैन्य अधिकारियों ने राष्ट्रपति को खत लिखा है। उधर इस पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले तीन सैन्य प्रमुखों ने भी इंकार किया है कि उन्होंने इस तरह के किसी पत्र पर हस्ताक्षर किये हैं।

पूर्व आर्मी चीफ एस.एफ रॉड्रिग्स और एयर चीफ मार्शल एनसी सूरी ने ऐसी किसी चिट्ठी के लिए अपनी सहमति से इनकार किया है। दूसरी तरफ मेजर जनरल हर्ष कक्कड़ ने कहा है कि उन्होंने चिट्ठी को पढ़ने के बाद अपना नाम शामिल करने पर सहमति दी थी। इसके अलावा पूर्व आर्मी चीफ शंकर रॉय चौधरी ने भी खत लिखे जाने की बात स्वीकारी है।

पूर्व आर्मी चीफ एस.एफ रॉड्रिग्स ने ऐसी किसी चिट्ठी के बारे में जानकारी से ही इनकार किया है। बता दें कि पूर्व सैन्य अधिकारियों के नाम से सर्कुलेट हो रही चिट्ठी में उनका पहला नाम बताया जा रहा था। यही नहीं एयर चीफ मार्शल एनसी सूरी ने भी ऐसी किसी चिट्ठी पर साइन करने की बात से इनकार किया है।

पूर्व आर्मी चीफ रॉड्रिग्स ने कहा, ‘मैं नहीं जानता कि यह सब क्या है। मैं अपनी पूरी जिंदगी राजनीति से दूर रहा हूं। 42 साल तक अधिकारी के तौर पर काम करने के बाद अब ऐसा हो भी नहीं सकता। मैं हमेशा भारत को प्रथम रखा है। मैं नहीं जानता कि यह कौन फैला रहा है। यह फेक न्यूज का क्लासिक उदाहरण है।’ पूर्व उप सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल एम.एल नायडू ने भी कहा है कि ऐसे किसी पत्र के लिए उनकी ओर से सहमति नहीं ली गई थी और न ही मैंने ऐसा कोई पत्र लिखा है।

एयर चीफ मार्शल एनसी सूरी ने कहा, ‘यह एडमिरल रामदास की ओर से लिखा लेटर नहीं है। इसे किसी मेजर चौधरी ने लिखा है। उन्होंने इसे लिखा है और यह वॉट्सऐप और ईमेल किया जा रहा है। ऐसे किसी भी खत के लिए मेरी सहमति नहीं ली गई थी। इस चिट्ठी में जो कुछ भी लिखा है, मैं उससे सहमति नहीं हूं। हमारी राय को गलत ढंग से पेश किया गया है।’

पूर्व आर्मी वाइस चीफ लेफ्टिनेंट जनरल एमएल नायडू ने कहा, “नहीं, इस तरह के किसी भी पत्र के लिए मेरी सहमति नहीं ली गई है और न ही मैंने ऐसा कोई पत्र लिखा है।”

हालांकि, मेजर जनरल हर्ष कक्कड़ ने कहा है कि चिट्ठी में लिखी बातें जानने के बाद उन्होंने पत्र में नाम दिए जाने पर सहमति जताई थी।

रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बारे में संवाददाताओं के सवालों के जवाब में कहा कि दो पूर्व सैन्य अधिकारियों ने कहा है कि उन्होंने इस पत्र के लिए समर्थन नहीं दिया है। रक्षा मंत्री ने कहा कि फर्जी पत्र लिखे जा रहे हैं। वह इसकी कड़ी निंदा करती हैं। उन्होंने कहा कि यह पत्र राष्ट्रपति भवन तक भी नहीं पहुंचा है।

अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि इस पत्र को कांग्रेस पार्टी की फेक एंड फेब्रिकेटिड न्यूज फैक्ट्री में तैयार किया गया है। यह चिट्ठी राष्ट्रपति भवन पहुंचने से पहले कांग्रेस के नेताओं के हाथ में पहुंच चुकी थी।

पत्र में राष्ट्रपति से हस्तक्षेप का अनुरोध किया गया है और राजनीतिक दलों को चुनावी प्रचार के दौरान सैन्य वर्दियों, चिन्हों,पोस्टरों और पाकिस्तान का लड़ाकू विमान गिराने वाले वायु सेना के विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान के फोटो का इस्तेमाल ने करने की हिदायत देने के लिए कहा गया है।

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