सर्जिकल स्ट्राइक पर जरूरत से ज्यादा प्रचार और की गई राजनीति: रिटायर्ड जनरल डीएस हुड्डा

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सितंबर 2016 में भारतीय सेना की ओर से नियंत्रण रेखा के पार जाकर आतंकियों के लॉन्‍च पैड्स पर सर्जिकल स्ट्राइक के समय उत्तरी सेना के कमांडर रहे लेफ्टिंनेंट जनरल (रिटायर्ड) डीएस हुड्डा ने कहा है कि स्ट्राइक का ढिंढोरा पीटने से मदद नहीं मिली। उन्होंने कहा कि सैन्य ऑपरेशंस का राजनीतिकरण होना ठीक नहीं है।

बता दें कि कश्‍मीर के उड़ी में 2 साल पहले सैन्‍य शिविर पर हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने नियंत्रण रेखा पार कर सर्जिकल स्‍ट्राइक किया था और पाक‍िस्‍तान के कब्जे वाले कश्‍मीर में आतंकियों के कई लॉन्‍च पैड्स ध्वस्‍त कर दिए थे। जिसके बाद केंद्र की मोदी सरकार ने सेना की इस सफलता का श्रेय लेने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, लेफ्टिंनेंट जनरल (रिटायर्ड) डीएस हुड्डा ने कहा कि सर्जिकल स्ट्राइक के बाद आरोप थे कि मुद्दे का राजनीतिकरण किया जा रहा है, और चुनिंदा वीडियोज, फोटो ग्राफ्स को लीक करके एक मिलिट्री ऑपरेशन को राजनीतिक चर्चा में बनाए रखने का प्रयास हुआ। डीएस हुड्डा ने ये बात चंडीगढ़ लेक क्लब में शुरू हुए आर्मी मिलिट्री लिटरेचर फेस्टिवल में रोल ऑफ क्रॉस बॉर्डर ऑपरेशन एंड सर्जिकल स्ट्राइक पर शुक्रवार को कही।

उन्होंने कहा, क्या अतिव्यापी मदद मिली? मैं कहता हूं, बिल्कुल नहीं हुआ। अगर आप सैन्यन ऑपरेशंस में राजनैतिक फायदे लेना शुरू कर देंगे तो यह अच्छा नहीं है। (उस समय) दोनों तरफ से, बहुत सारी राजनैतिक बयानबाजी हुई। सेना के ऑपरेशंस का राजनीतिकरण होना यह अच्छा नहीं है। भविष्य के ऑपरेशंस के लिए फैसला लेने वालों की सोच पर सर्जिकल स्ट्राइक के प्रभाव पर पूर्व सैन्य कमांडर ने कहा, यदि आप एक सफल ऑपरेशन का महिमामंडन करेंगे तो सफलता का भी एक बोझ होता है।

उन्‍होंने यह भी कहा कि नियंत्रण रेखा पर पाकिस्‍तान की ओर से होने वाली उकसावे की कार्रवाई और निरंतर संघर्ष विराम उल्‍लंघन को देखते हुए सेना का सतर्क व सक्रिय रहना जरूरी है। हुड्डा 29 सितंबर 2016 को नियंत्रण रेखा के पार की गई सर्जिकल स्ट्राइक के वक्त उत्तरी सैन्य कमान के कमांडर थे।

बता दें कि पठानकोट हमले के बाद से ही सेना नाराज थी और इसके बाद उरी हमला हो गया। इसके अलावा पाकिस्तान अपनी नापाक हरकतें करते ही रहता है। इन्हीं सबको ध्यान में रखते हुए उरी हमला के एकदम बाद सर्जिकल स्ट्राइक का फैसला ले लिया गया और कई दिनों की प्लानिंग के बाद 29 सितंबर, 2016 को सर्जिकल स्ट्राइक कर पाकिस्तान को सबक सिखाया गया था।

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