कोहिनूर वापसी के मामले में सरकार ने अब अपना पक्ष कोर्ट के समक्ष रखते हुए कहा कि कोहीनूर को भारत वापस लाने की मांग पर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि भारत को कोहीनूर हीरे पर दावा नहीं करना चाहिए। क्योंकि यह न तो ब्रिटेन ने चुराया और न इसे जबरदस्ती ले जाया गया।
सरकार की ओर से उच्चतम कोर्ट में पेश हुए साॅलिसीटर जनरल रंजीत कुमार ने कहा कि संस्कृति मंत्रालय का ये विचार है। उन्होंने कहा कि 1849 में सिख युद्ध में हर्जाने के तौर पर दिलीप सिंह ने कोहिनूर को अंग्रेजों के हवाले किया था। अगर उसे वापस मांगेंगे तो दुसरे मुल्कों की जो चीज़ें भारत के संग्रहालयों में हैं उन पर भी विदेशों से दावा किया जा सकता है।
सरकार की और से दिए गए इस अजीब से मत पर कोर्ट ने एतराज जताया और कहा कि हिन्दुस्तान ने तो कभी भी कोई उपनिवेश नहीं बनाया न दूसरे की चीज़ें अपने यहां छीन कर रखी। जबकि सॉलिसीटर जनरल ने सोमवार जानकारी देते हुए बताया कि इस मामले में अभी सरकार की ओर से विदेश मंत्रालय का जवाब आना बाकी है। जबकि कोर्ट ने इसपर जवाब देने की समय सीमा भी तय कर दी है। इस मामले में केंद्र से छह सप्ताह के भीतर विस्तार से जवाब देने को कहा है।
इस कोहिनूर के मामले में मामले में ऑल इंडिया ह्यूमन राइट्स एंड सोशल जस्टिस फ्रंट ने याचिका दायर कर रखी है। जिस पर कोर्ट ने 9 अप्रैल को केंद्र से कोहीनूर को वापस लाने पर अपनी स्थिति साफ करने को कहा था। ब्रिटिश सरकार ने 2013 में कोहिनूर वापस देने की मांगों को खारिज कर दिया था।