कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने बिहार विधानसभा चुनाव में पार्टी के बेहद खराब प्रदर्शन पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। कपिल सिब्बल ने कांग्रेस नेतृत्व की आलोचना करते हुए पार्टी में अनुभवी ज्ञान रखने वाला, सांगठनिक स्तर पर अनुभवी और राजनीतिक हकीकत को समझने वाले लोगों को आगे लाने की मांग की है। उन्होंने यहां तक कह दिया कि पार्टी ने शायद हर चुनाव में पराजय को ही अपनी नियती मान ली है।
सिब्बल ने अंग्रेजी अखबार ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ को दिए इंटरव्यू में कहा, ‘बिहार (चुनाव) और उपचुनावों में हालिया प्रदर्शन पर कांग्रेस पार्टी (के शीर्ष नेतृत्व) के विचार अब तक सामने नहीं आए हैं। शायद उन्हें लगता हो कि सब ठीक है और इसे सामान्य घटना ही माना जाना चाहिए।’ सिब्बल से सवाल था कि क्या आपको लगता है कि कांग्रेस लीडरशिप एक और हार को सामान्य घटना मान रही है? उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं पता। मैं सिर्फ अपनी बात कर रहा हूं। मैंने लीडरशिप को कुछ कहते नहीं सुना। इसलिए मुझे नहीं पता। मुझ तक सिर्फ नेतृत्व के ईर्द-गीर्द के लोगों की आवाज पहुंचती है। मुझे सिर्फ इतना ही पता होता है।’
कपिल सिब्बल ने कहा, हमें कई स्तरों पर कई चीजें करनी हैं. संगठन के स्तर पर, मीडिया में पार्टी की राय रखने को लेकर, उन लोगों को आगे लाना-जिन्हें जनता सुनना चाहती है। साथ ही सतर्क नेतृत्व की जरूरत है, जो बेहद एहितयात के साथ अपनी बातों को जनता के सामने रखे। सिब्बल ने कहा, पार्टी को स्वीकार करना होगा कि हम कमजोर हो रहे हैं।
बता दें कि, बिहार चुनाव में कांग्रेस ने 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था लेकिन पार्टी सिर्फ 19 सीटें ही जीतने में कामयाब हो पाई। नतीजों में राजद 75 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी और वाम दलों ने भी आश्चर्यजनक रूप से अच्छा प्रदर्शन किया।
बिहार विधानसभा चुनाव के साथ ही गुजरात और मध्य प्रदेश के उपचुनाव में कांग्रेस के निराशानजक प्रदर्शन पर भी उन्होंने अपनी बात रखी हैं। सिब्बल ने कहा कि बिहार ही नहीं, उपचुनावों रिजल्ट से भी ऐसा लग रहा है कि देश के लोग कांग्रेस पार्टी को प्रभावी विकल्प नहीं मान रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘बिहार में विकल्प तो आरजेडी ही है। गुजरात उपचुनाव में हमें एक सीट नहीं मिली। लोकसभा चुनाव में भी यही हाल रहा था। उत्तर प्रदेश के उपचुनाव में कुछ सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशियों को 2% से भी कम वोट आए। गुजरात में हमारे तीन प्रत्याशियों के जमानत जब्त हो गए। इसलिए दीवार पर इबारत लिखी हुई है।’
सिब्बल ने कहा कि, “जिन राज्यों में सत्तापक्ष का विकल्प हैं, वहां भी जनता ने कांग्रेस के प्रति उस स्तर का विश्वास नहीं जताया, जितना होना चाहिए था। लिहाजा आत्मचिंतन का वक्त खत्म हो चुका है। हम उत्तर जानते हैं। कांग्रेस में इतना साहस और इच्छा होनी चाहिए कि सच्चाई को स्वीकार करे।
उन्होंने तारीक अनवर के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि एक सहयोगी ने कांग्रेस के अंदर मंथन की उम्मीद जताई। सिब्बल ने कहा, ‘अगर छह सालों में कांग्रेस ने आत्ममंथन नहीं किया तो अब इसकी उम्मीद कैसे करें? हमें कांग्रेस की कमजोरियां पता है। हमें पता है सांगठनिक तौर पर क्या समस्या है। मुझे लगता है कि इसका समाधान भी सबको पता है। कांग्रेस पार्टी भी जानती है, लेकिन वो इन समाधान को अपनाने से कतराते हैं। अगर वो ऐसा करते रहेंगे को ग्राफ यूं ही गिरता रहेगा। यह कांग्रेस की दुर्दशा की स्थिति है जिससे हम सब चिंतित हैं।’
बता दें कि, सिब्बल पार्टी के उन 23 नेताओं में से एक हैं, जिन्होंने अगस्त में पार्टी नेतृत्व को विरोध पत्र लिखा था। इसको लेकर पार्टी के भीतर काफी घमासान मचा था। हालांकि, इसके बावजूद कांग्रेस में कोई बदलाव नहीं दिखा, बल्कि पत्र लिखने वाले नेताओं का कद कम कर दिया गया।
बता दें कि, इससे पहले बिहार कांग्रेस के बड़े नेता तारीक अनवर ने भी कहा था कि बिहार चुनाव परिणाम पर पार्टी के अंदर मंथन होना चाहिए। उधर, आरजेडी के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने भी इशारों-इशारों में कह दिया कि कांग्रेस देशभर में अपने गठबंधन सहयोगियों पर बोझ बनती जा रही है और उसकी वजह से हर जगह गठबंधन का खेल खराब हो रहा है।
गौरतलब है कि, 243 सदस्यों वाली बिहार विधान सभा के चुनाव नतीजों में 75 सीटों के साथ राजद सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है, जबकि 74 सीटों के साथ भाजपा दूसरे नंबर पर रही है। नीतीश कुमार की पार्टी 43 सीटों के साथ तीसरे नंबर पर है। सत्तारूढ़ गठबंधन एनडीए को 125 सीटों के साथ बहुमत हासिल हुआ है। वहीं, विपक्षी महागठबंधन 110 सीटें जीतने में कामयाब रहा है।