JNU में रिसर्च सीटों में 83% कटौती, MPhil/Phd की सीटें 1174 से घटाकर 194 की गईं

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जेएनयू में रिसर्च सीटों को लेकर भारी फेरबदल किया गया है। 83 प्रतिशत की कटौती के साथ इस बार विश्वविद्यालय केवल 194 रिसर्च सीटों पर ही प्रवेश देगी जबकि पिछले वर्ष यह संख्या 1174 थी। प्रवेश-सत्र 2017-2018 के लिए विश्वविद्यालय ने प्रॉस्पेक्टस जारी किया है।

इस सत्र में विश्वविद्यालय ने MPhil/Phd में प्रवेश के लिए 2016 के यूजीसी गजट नोटिफिकेशन को फॉलो किया है। यहीं नहीं विश्वविद्यालय ने कमजोर तबके के लिए एमफिल-पीएचडी के लिए डिप्रिवेशन पॉइंट भी बंद कर दिया हैं। डिप्रिवेशन प्वाइंट का फायदा सिर्फ M.A. और B.A. के लिए आवेदन करने वाले छात्रों को ही मिलेगा।

इसके साथ ही विश्वविद्यालय ने इस बार लिखित और मौखिक परीक्षा के अंकों में भी बदलाव किया है। अब छात्रों को 70 अंकों की बजाय 80 अंकों की लिखित परीक्षा देनी होगी। जबकि मौखिक परीक्षा 30 की बजाय 20 अंकों की ली जाएगी।

जबकि इस नई दाखिला नीति के खिलाफ पिछले तीन माह से आंदोलनरत जेएनयू छात्रों ने MPhil/Phd पाठ्यक्रमों की सीटों में भारी कटौती के विरोध में बुधवार को विश्वविद्यालय परिसर में एक दिन की हड़ताल की।

आपको बता दे कि पिछले सप्ताह दिल्ली उच्च न्यायालय ने एमफिल और पीएचडी पाठ्यक्रमों को लेकर जेएनयू की नयी दाखिला नीति को चुनौती देने वाली कुछ छात्राों की याचिका खारिज करते हुए कहा कि इन पाठ्यक्रमों के लिए यूजीसी के दिशा-निदर्ेश सभी विश्वविद्यालयों पर लागू होते हैं। इससे विश्वविद्यालय के दाखिला प्रक्रिया शुरू करने का मार्ग प्रशस्त हो गया।

जेएनयू छात्रा संघ के अध्यक्ष मोहित पाण्डेय ने कहा, कुलपति ने दावा किया है कि व्यापक स्तर पर विचार-विमर्श किया जाएगा और उपेक्षित समुदायों के छात्राों के लिए सीट नहीं घटाई जाएंगी, लेकिन उन्होंने प्राॅस्पेक्टस में ही अपने इरादे जाहिर कर दिये हैं।

उन्होंने कहा, आज की हड़ताल एक दिन की थी लेकिन हम अपनी आगे की कार्रवाई की नीति जल्द तय करेंगे।

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