जम्मू कश्मीर में तेजी से बदले राजनीतिक घटनाक्रम के तहत पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती द्वारा सरकार बनाने का दावा पेश किए जाने के कुछ ही देर बाद जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने बुधवार (21 नवम्बर) की रात राज्य विधानसभा को भंग कर दिया और साथ ही कहा कि जम्मू कश्मीर के संविधान के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत यह कार्रवाई की गयी है।
राज्यपाल सत्यपाल मलिक की ओर से विधानसभा भंग करने की कार्रवाई के बाद राज भवन ने देर रात एक बयान जारी कर इस पर राज्यपाल का रुख स्पष्ट किया है। बयान में कहा गया है कि राज्यपाल ने चार अहम कारणों से तत्काल प्रभाव से विधानसभा भंग करने का निर्णय लिया जिनमें ‘व्यापक खरीद फरोख्त’ की आशंका और ‘विरोधी राजनीतिक विचारधाराओं वाली पार्टियों के साथ आने से स्थिर सरकार बनना असंभव’ जैसी बातें शामिल हैं। राज्यपाल ने एक आधिकारिक विज्ञप्ति के जरिए विधानसभा भंग करने की सूचना दी। राजभवन ने बाद में एक बयान में कहा,‘राज्यपाल ने यह निर्णय अनेक सूत्रों के हवाले से प्राप्त सामग्री के आधार पर लिया।’
बता दें कि विधानसभा भंग करने की कार्रवाई से कुछ ही समय जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कांग्रेस और नेशनल कान्फ्रेंस के समर्थन से जम्मू कश्मीर में सरकार बनाने का दावा पेश किया था। मुफ्ती ने बुधवार को राज्यपाल सत्यपाल मलिक को लिखे पत्र में कहा था कि राज्य विधानसभा में पीडीपी सबसे बड़ी पार्टी है जिसके 29 सदस्य हैं।
उन्होंने लिखा, ‘आपको मीडिया की खबरों में पता चला होगा कि कांग्रेस और नेशनल कान्फ्रेंस ने भी राज्य में सरकार बनाने के लिए हमारी पार्टी को समर्थन देने का फैसला किया है। नेशनल कान्फ्रेंस के सदस्यों की संख्या 15 है और कांग्रेस के 12 विधायक हैं। अत: हमारी सामूहिक संख्या 56 हो जाती है।’
महबूबा ने अपने पत्र में कहा, ‘चूंकि इस समय मैं श्रीनगर में हूं, इसलिए मेरा आपसे तत्काल मुलाकात करना संभव नहीं होगा और यह आपको इस बाबत सूचित करने के लिए है कि हम जल्द ही राज्य में सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए आपकी सुविधानुसार मिलना चाहेंगे।’
Have been trying to send this letter to Rajbhavan. Strangely the fax is not received. Tried to contact HE Governor on phone. Not available. Hope you see it @jandkgovernor pic.twitter.com/wpsMx6HTa8
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) November 21, 2018
समाचार एजेंसी भाषा की रिपोर्ट के मुताबिक, विधानसभा भंग किए जाने की घोषणा से कुछ ही देर पहले पीपुल्स कान्फ्रेंस के नेता सज्जाद लोन ने भी बीजेपी के 25 विधायकों तथा 18 से अधिक अन्य विधायकों के समर्थन से जम्मू कश्मीर में सरकार बनाने का दावा बुधवार को पेश किया था। लोन ने राज्यपाल को एक पत्र लिख कर कहा था कि उनके पास सरकार बनाने के लिए जरूरी आंकड़ें से अधिक विधायकों का समर्थन है।
उनका कहना था, ‘जम्मू कश्मीर में सरकार गठन के लिए फोन पर हुई हमारी बातचीत के बाद मैं जम्मू कश्मीर राज्य विधानसभा में बीजेपी और 18 अन्य निर्वाचित सदस्यों के समर्थन से सरकार बनाने का औपचारिक रूप से दावा पेश करता हूं…।’ लोन ने कहा था कि जब उनसे कहा जाएगा तब वह भाजपा विधायक दल तथा अन्य सदस्यों के समर्थन का पत्र पेश करेंगे।
विधानसभा भंग करने के राज्पाल के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा है कि महागठबंधन की आहट से ही बीजेपी खौफजदा हो गई है, इसीलिए ऐसा फैसला किया है। उन्होंने एक साथ कई ट्वीट कर राज्यपाल के फैसले पर हैरानी जताई।
PS – In todays age of technology, it is very strange that the fax machine at HE Governor’s residence didn’t receive our fax but swiftly issued one regarding the assembly dissolution. ?4/4
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) November 21, 2018
Oddly enough our pleas fell on deaf ears. But who would have thought that the very idea of a grand coalition would give such jitters. 3/4
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) November 21, 2018
Since the past five months, regardless of political affiliations, we shared the view that the state assembly be dissolved immediately to avert horse trading & defections. 2/4
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) November 21, 2018
In my twenty six year old career as a politician, I thought I had seen it all! But like they say never say never! Nevertheless, I would like to express my heartfelt gratitude to @OmarAbdullah and @Ambikasoni4 ji for helping us achieve the seemingly impossible. 1/4
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) November 21, 2018
एनसी अध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट में लिखा, ‘जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस पांच महीनों से लगातार विधानसभा भंग करने की मांग कर रही थी। इसे संयोग नहीं मान सकते कि इधर महबूबा मुफ्ती सरकार बनाने का दावा पेश करने जा रही थीं और उधर राज्यपाल ने विधानसभा भंग कर दी।’
JKNC has been pressing for assembly dissolution for 5 months now. It can’t be a coincidence that within minutes of Mehbooba Mufti Sahiba letter staking claim the order to dissolve the assembly suddenly appears.
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) November 21, 2018
वहीं, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि गठबंधन पर अभी कोई अंतिम फैसला नहीं लिया गया था और बीजेपी ने घबराहट में विधानसभा भंग करने का फैसला ले लिया। उन्होंने कहा कि अभी सिर्फ गठबंधन बनाने के प्रस्ताव दिया गया था, इस पर कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ था।
I said this afternoon also that it's a suggestion & no final decision has been taken yet (on PDP-NC-Congress alliance). BJP dissolved the assembly even though only a proposal was made: Ghulam Nabi Azad, Congress on #JammuAndKashmir Governor dissolves J&K Legislative Assembly. pic.twitter.com/MUveg301gI
— ANI (@ANI) November 21, 2018
प्रोफेसर सैफुद्दीन सोज ने विधानसभा भंग को केंद्र के इशारे पर उठाया कदम बताते हुए महबूबा मुफ्ती को कोर्ट जाने की राय दे डाली।
Mehbooba Ji should move court as what Governor has done on Centre's instructions is undemocratic & unconstitutional. Mehbooba Mufti wrote to Governor only after Congress & NC supported PDP & Guv should've given her a chance: Prof Saifuddin Soz, Congress, on J&K assembly dissolved pic.twitter.com/4EyP3Pnjdz
— ANI (@ANI) November 21, 2018
जम्मू-कश्मीर विधानसभा भंग कर दिए जाने के बाद राज्य में सियासत गरम हो गई है। ताजा सियासी हालातों पर चर्चा करने के लिए बीजेपी की राज्य इकाई ने विधायकों की महत्वपूर्ण बैठक बुलाई है। जम्मू-कश्मीर बीजेपी के अध्यक्ष रविंद्र रैना ने बताया कि इस बैठक में मौजूदा सियासी हालातों को देखते हुए भविष्य की रणनीति तय की जाएगी।
The Bharatiya Janata Party (BJP) has called for an important meeting with all its MLAs today and we will decide the future course of action. We wish that the Assembly elections in J&K should be conducted along with the Parliament elections: BJP State president Ravinder Raina pic.twitter.com/1PNTl4G2OH
— ANI (@ANI) November 22, 2018
गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर में भगवा पार्टी द्वारा समर्थन वापस लिये जाने के बाद पीडीपी-भाजपा गठबंधन टूट गया था जिसके बाद 19 जून को राज्य में छह महीने के लिए राज्यपाल शासन लगा दिया गया था। राज्य विधानसभा को भी निलंबित रखा गया था ताकि राजनीतिक पार्टियां नई सरकार गठन के लिए संभावनाएं तलाश सकें।