मणिपुर: इरोम शर्मिला को नोटा से भी कम वोट मिले

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16 साल तक मणिपुर की जनता के लिए अनशन करने वाली मानवाधिकार कार्यकर्ता इरोम शर्मिला का राजनीतिक कॅरियर 11 मार्च को विधानसभा चुनावों के नतीजे आने के बाद महज 144 दिन में ही खत्म हो गया। दरअसल, पीपुल्स रिसर्जेजेंस एंड जस्टिस अलायंस (पीआरएजेए) की उम्मीदवार इरोम शर्मिला चुनाव हार गई हैं।

मणिपुर की थउबल सीट से पीपुल्स रिसर्जेजेंस एंड जस्टिस अलायंस की प्रत्याशी इरोम मुख्यमंत्री इबोबी सिंह के खिलाफ लड़ रही थीं। लेकिन उन्हें सिर्फ 90 वोट मिले। इससे ज्यादा 143 वोट तो नोटा (वैसे मतदाता जिन्हें कोई भी उम्मीदवार पसंद नहीं था) को मिले।

शर्मिला ने मणिपुर से अफ्स्पा हटाने को लेकर अपना 16 वर्षो का अनशन पिछले साल समाप्त करते हुए राजनीति में प्रवेश किया था। कांग्रेस के इबोबी सिंह ने भाजपा के एल बसंत सिंह को 10470 वोटों से हराया। बता दें कि मणिपुर लंबे समय से कांग्रेस का गढ़ रहा है। अनशन तोड़ने के बाद पिछले साल 18 अक्टूबर को उन्होंने अपनी पार्टी बनाई थी।

विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद इरोम शर्मिला ने कहा कि मुझे नतीजों से कोई फर्क नहीं पड़ता। यह लोगों की सोच पर निर्भर है। वह कहती हैं कि इन चुनावों में तमाम राजनीतिक दलों ने खुल कर बाहुबल और धनबल का इस्तेमाल किया है। मीडिया रिपोर्टो के मुताबिक इरोम ने भविष्य में कभी चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया है।

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