भले ही कुछ सुधारों के कारण देश की GDP वृद्धि दर प्रभावित हुई हो लेकिन मध्यम अवधि में संभावना उत्साहजनक दिखायी देती है। वृद्धि प्रवृत्ति को देखते हुए भारत अगले दशक में तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश बन सकता है। HSBC की एक रिपोर्ट में यह कहा गया है।
Photo Courtesy: Livemintवैश्विक वित्तीय सेवा कंपनी के अनुसार हालांकि पिछले साल के कुछ सुधारों से आर्थिक वृद्धि के रास्ते में बाधा उत्पन्न हुई है जिससे संभवत: अल्पकाल में सकल घरेलू उत्पाद GDP वृद्धि दर कम हुई है। लेकिन मध्यम अवधि में उन सुधारों से भारत की क्षमता का पूरा उपयोग होना चाहिए।
मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, HSBC ने एक शोध रिपोर्ट में कहा, हालांकि आज वैकि GDP का केवल 3 प्रतिशत है, लेकिन भारत की वृद्धि की प्रवृत्ति को देखने से लगता है कि यह अगले दशक में जापान और जर्मनी को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।
रिपोर्ट के अनुसार भारत दो दुनिया में फंसा है। एक जहां वृद्धि धीमी है, दूसरे जहां आर्थिक वृद्धि सुधर रही है। HSBC ने कहा, पहला भारत को चालू वित्तीय वर्ष और अगले विा वर्ष 2017-18, 2018-19 में देखा जाएगा। यहां भारत मुख्य क्षेत्रों में कमजोर वृद्धि का सामना कर रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक, हमारे विचार से दूसरा भारत वित्तीय वर्ष 2019-20 और उसके बाद दिखेगा। यहां भारत और आकर्षक होगा।
इसके आधार पर HSBC का मानना है कि भारत की वृद्धि दर चालू वित्तीय वर्ष में 6.5 प्रतिशत रहेगी जो पिछले वित्तीय वर्ष 2016-17 के 7.1 प्रतिशत के मुकाबले कम है। वहीं 2018-19 में इसके 7.0 प्रतिशत रहने का अनुमान है। वहीं 2019-20 में यह बढ़कर 7.6 प्रतिशत हो जाएगी।
उल्लेखनीय है कि देश की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में 5.7 प्रतिशत पर आ गयी जो तीन साल का न्यूनतम स्तर है। इसका मुख्य कारण विनिर्माण क्षेत्र में नरमी के बीच नोटबंदी का प्रभाव है। HSBC का मानना है कि 2019-20 के बाद मौजूदा सुधारों के कारण उत्पन्न अल्पकालीन बाधाएं दूर हो जाएंगी।
आपको बता दे कि इससे पूर्व मोदी सरकार की खराब आर्थिक नीतियों पर हो रहे हमलों के बीच अब बीजेपी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने यशवंत सिन्हा का समर्थन करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाने पर लिया था। सिन्हा ने कहा है कि प्रधानमंत्री को सामने आना चाहिए और सवालों के जवाब देने चाहिए।
देश में गिरती और अर्थ व्यवस्था और मंदी को लेकर बड़ी बहस छिड़ी हुई है। पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने विकत्त मंत्री अरुण जेटली पर देश की अर्थ व्यवस्था को चौपट करने का आरोप लगाया है। पूर्व वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा के द्वारा अर्थव्यवस्था को लेकर उठाए गए सवालों से मोदी सरकार बैकफुट पर हैं।
जबकि यशवंत सिन्हा अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित एक लेख में नोटबंदी के फैसले पर मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा था कि नोटबंदी ने गिरती जीडीपी में आग में तेल डालने की तरह काम किया। सिन्हा ने कहा था कि पीएम मोदी कहते हैं कि उन्होंने गरीबी को काफी नजदीक से देखा है, लेकिन ऐसा लगता है कि उनके वित्तमंत्री इस तरह का काम में लगे हैं कि वह सभी भारतीयों को गरीबी काफी करीब से दिखाएंगे।
वित्त मंत्री अरुण जेटली पर हमला बोलते हुए यशवंत सिन्हा ने कहा कि यदि मैं अपने राष्ट्रीय कर्तव्यों में असफल रहूंगा यदि मैंने अभी वित्त मंत्री अरुण जेटली के खिलाफ नहीं बोलूंगा, जिन्होंने अर्थव्यवस्था का यह हाल बना दिया। उन्होंने कहा कि लगातार गिरती जीडीपी और चरमा रही अर्थव्यवस्था के कारण सरकार की मुश्किलें बढ़ रही हैं।
जबकि इससे पहले गिरी हुई विकास दर और आर्थिक मंदी पर जारी पूर्व रिर्पोट्स में कहा गया है कि नोटबंदी के चलते भारत में इस प्रकार की परिस्थितियों ने जन्म लिया है। नोटबंदी को मोदी सरकार का गलत फैसला बताते हुए पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा था कि सरकार को इसे स्वीकार करने का साहस होना चाहिए।
आपको बताते इससे पूर्व भारत में आई आर्थिक मंदी पर चिंता व्यक्त करते हुए विश्व बैंक के पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री कौशिक बसु ने जीडीपी के नवीनतम आंकड़ों पर गंभीर चिंता व्यक्त की थी, जिसमें कहा गया था कि भारत के विकास में गिरावट “बहुत चिंताजनक” हैं। बसु ने कहा नोटबंदी के इस राजनीतिक फैसले की देश को एक भारी कीमत चुकानी होगी जिसका भुगतान देशवासियों को करना पड़ेगा।