देशभर में विरोध के बीच संसद की एक समिति ने ‘पद्मावती’ फिल्म के निर्देशक संजय लीला भंसाली और सेंसर बोर्ड के प्रमुख प्रसून जोशी को तलब किया है। समिति फिल्म से जुड़े विवाद पर उनके विचारों को सुनना चाहती है। सूचना प्रौद्योगिकी पर संसदीय समिति के अध्यक्ष अनुराग ठाकुर ने बताया कि समिति ने ‘पद्मावती’ के निर्देशक को बुलाया है। उनका विचार जानना जरूरी है। समिति की बैठक गुरुवार को होना प्रस्तावित है।समिति ने सूचना प्रसारण मंत्रालय एवं सेंसर बोर्ड के प्रमुख प्रसून जोशी सहित अन्य अधिकारियों को भी चर्चा के लिए बुलाया है। हालांकि अधिकारियों ने बताया कि भंसाली ने अभी उपस्थित होने की पुष्टि नहीं की है। बता दें कि कई राज्यों में उग्र विरोध के कारण एक दिसंबर को फिल्म का प्रदर्शन टल गया है। ऐसे आरोप लगाए जा रहे हैं कि फिल्म में ऐतिहासिक तथ्यों के साथ छेड़छाड़ की गई है।
बिहार में भी रिलीज नहीं होगी पद्मावती
‘पद्मावती’ के लिए मुश्किलें खत्म होने का नाम नहीं ले रहीं। राजस्थान, गुजरात, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में फिल्म पर पहले से ही तलवार लटक रही है। अब बिहार में फिल्म को बैन कर दिया गया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विधानसभा स्थित अपने कक्ष में पत्रकारों से कहा कि फिल्मकार को लोगों की भावनाओं के मद्देनजर अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। यदि किसी विवादित अंश से लोगों की भावनाएं आहत हो रही हैं, उस बाबत उनको एक्सप्लेन करना चाहिए।
नीतीश कुमार ने कहा कि ‘पद्मावती’ को लेकर चल रहे विवाद पर जब तक फिल्म बनाने वाले का विचार नहीं आ जाता, तब तक यह फिल्म बिहार में प्रदर्शित नहीं होगी। इस बाबत उन्होंने अधिकारियों को भी निर्देश दिया। वहीं, पत्रकारों से कहा कि फिल्म में पद्मावती के डांस वाले दृश्य पर निर्देशक को स्पष्ट कर देना चाहिए था कि इसे क्या सपने में दिखाया जा रहा है।
नेताओं की टिप्पणियों से सुप्रीम कोर्ट नाराज
‘पद्मावती’ पर जारी विवाद के बीच मंगलवार (28 नवंबर) को सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई। उच्चतम न्यायालय ने सार्वजनिक पदों पर आसीन व्यक्तियों से कहा कि ‘पद्मावती’ पर प्रतिक्रिया से बचें, क्योंकि ऐसे बयान कानून का उल्लंघन करते हैं और सेंसर बोर्ड के फैसले को प्रभावित कर सकते हैं। बता दें कि कुछ मुख्यमंत्रियों सहित कई राजनेताओं ने पिछले दिनों फिल्म पर जारी विवाद को लेकर सार्वजनिक बयान दिए थे।
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्र, न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड़ की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने कहा कि यह मामला केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के समक्ष विचारार्थ लंबित है तो सार्वजनिक पदों पर आसीन व्यक्ति कैसे यह टिप्पणी कर सकते हैं कि बोर्ड को प्रमाण पत्र देना चाहिए या नहीं? कोर्ट ने कहा कि यह बोर्ड के फैसले को प्रभावित करेगा। पीठ ने फिल्म निर्माता वायकॉम-18 व अन्य को विदेश में फिल्म प्रदर्शित करने से रोकने को वकील मनोहर लाल शर्मा की याचिका खारिज कर दी।