पश्चिम बंगाल में दुर्गा प्रतिमा विसर्जन पर रोक को लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट ने ममता सरकार का फैसला पलट दिया है। कोर्ट ने मुहर्रम के दिन मूर्ति विसर्जन से रोक को हटा दिया है।
कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुनाने से पहले गुरुवार को कहा कि सरकार लोगों की आस्था में दखल नहीं दे सकती है। बिना किसी आधार के ताकत का इस्तेमाल बिल्कुल गलत है। अदालत ने कहा, ‘सरकार के पास अधिकार है, लेकिन असीमित नहीं है। बिना किसी आधार के ताकत का इस्तेमाल गलत है।
कोर्ट ने मुहर्रम के दिन भी रात 12 बजे तक विसर्जन की अनुमति दे दी है। साथ ही पुलिस से कहा है कि वो विसर्जन और ताजिया के रूट को तय करे। इस बार दुर्गा पूजा और मुहर्रम एक ही दिन 1 अक्टूबर को पड़ रहे हैं। पश्चिम बंगाल सरकार ने फैसला लिया कि मुहर्रम के दिन को छोड़कर 2, 3 और 4 अक्टूबर को दुर्गा प्रतिमा का विसर्जन किया जा सकता है।
मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, इस साल दशहरा के अगले दिन ही मुहर्रम है। दशहरे के अगले दिन दुर्गा प्रतिमा भी विसर्जित की जाती है। इसको देखते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विसर्जन की तारीख बढ़ाने का फैसला किया था, यानी बंगाल में दुर्गा प्रतिमा का विसर्जन 1 अक्टूबर की जगह 2 अक्टूबर को होगा।
इससे नाराज होकर 14 सितंबर को अधिवक्ता अमरजीत रायचौधरी ने कलकत्ता हाई कोर्ट में PIL दाखिल की थी। उन्होंने यह तर्क दिया था कि दुर्गा पूजा बंगाल का सबसे बड़ा उत्सव है। इस पूजा में अंजलि समेत सभी विधियां शुभ समय के अनुसार होती है। मुख्यमंत्री के निर्देश से ऐसा लग रहा है जैसे यहां धार्मिक अधिकारों का हनन किया जा रहा है।
इस मामले में फैसला सुनाने से पहले अदालत ने कहा कि बिना किसी आधार के ताकत का इस्तेमाल करना गलत है।कोर्ट ने कहा, ‘आप सरकार हैं इसका ये अर्थ नहीं कि आप कोई भी फैसला ले लें।’ कोर्ट ने कहा, ‘बिना किसी आधार के ताकत का इस्तेमाल गलत है।