भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर वाईवी रेड्डी ने शनिवार को कहा कि नोटबंदी का कालेधन और भ्रष्टाचार पर काफी मामूली असर पड़ा है। रेड्डी ने कहा कि नोटबंदी अभियान से एक नई पीढ़ी की डिजिटल अर्थव्यवस्था सामने आ रही है। यह इस अभियान के आकस्मिक प्रभाव स्वरूप हुआ है।

पीटीआई की ख़बर के अनुसार, रेड्डी ने हैदराबाद विश्वविद्यालय में एक व्याख्यान में कहा, ‘अभी तक उपलब्ध आंकड़ों से पता चलता है कि नोटबंदी का लघु अवधि का आर्थिक प्रभाव काफी सीमित है। वहीं कालेधन और भ्रष्टाचार पर भी इसका सीधा असर सीमित है।’
साथ ही उन्होंने कहा कि 8 नवंबर, 2016 को नोटबंदी की घोषणा के बाद डिजिटलीकरण में कई गुना का इजाफा हुआ है। उसके बाद बजट में जो प्रावधान किए गए हैं उनसे टैक्स प्रशासन के नियामकीय अधिकार बढ़े हैं।
रेड्डी ने कहा, ‘आपने ऐसी स्थिति देखी है, जिसमें एक अरब लोगों को दो महीने तक उनकी कोई गलती नहीं होने के बावजूद असुविधा दी गई। देश में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। निर्दोष लोगों को हुए सामूहिक नुकसान के बावजूद जनता चुप रही।’
उन्होंने कहा कि डिजिटलीकरण के कुछ जोखिम भी हैं, जिसमें काफी ऊंची सतर्कता बरतने की जरूरत है। बैंकिंग क्षेत्र के डूबे कर्ज पर उन्होंने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में सरकार को सिर्फ पूंजी नहीं डालनी चाहिए, क्योंकि इससे निजी शेयरधारकों को अप्रत्याशित लाभ होता है।