कश्मीर घाटी में सोमवार (14 अक्टूबर) को सभी नेटवर्क की पोस्टपेड मोबाइल सेवा बहाल कर दी गई। सोमवार को दोपहर तक करीब 40 लाख मोबाइल फोन पर पोस्टपेड सेवा काम करने लगी। हालांकि, पोस्ट पेड मोबाइल सेवा बहाल होने के कुछ ही घंटों बाद एहतियात के तौर पर एसएमएस सेवा बंद कर दी गई। अधिकारियों ने बताया कि शाम 5 बजे एसएमएस सेवा बंद कर दी गई।

हालांकि, कश्मीर घाटी में पोस्ट-पेड मोबाइल फोन सेवा को बहाल किए हुए 24 घंटे ही हुए हैं। लेकिन इसी बीच, एक दिल दहला देने वाली कहानी सामने आई है, जो अब सशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है। बता दें कि, कश्मीर में सोमवार दोपहर को 72 दिनों बाद पोस्ट पेड मोबाइल सेवा बहाल कर दी गई थी जबकि इंटरनेट अभी भी बंद है। सोशल मीडिया पर एक पूर्व कश्मीरी पत्रकार ने दावा किया है कि, 40 दिन पहले उसके एक दोस्त का निधन हो गया था। और राज्य में मोबाइल फोन पर बैन के कारण उसे इस बात की जानकारी तक नहीं मिल पाई थी।
पहले हिंदुस्तान टाइम्स के लिए काम करने वाले पत्रकार इरफान रशीद ने अपने फेसबुक पोस्ट पर लिखा, उन्होंने अपने दोस्त (बसरा के) नंबर पर 70 दिनों के बाद सभी ऊर्जा, विचित्रता, उत्सुकता के साथ दोपहर के 3 बजे कॉल किया था। दूसरी तरफ से एक अलग आवाज आया। मैं समझ गया था कि यह उसकी मां है। मैंने मौसी को सलाम कहा और बसरा के बारे में पूछा।”
राशिद के अनुसार, इसके बाद दूसरी तरफ से एक भयानक चुप्पी दिखाई दी। राशिद ने अपने पोस्ट में आगे लिखा, मुझे लगता है कि फोन नेटवर्क कमजोर है यही कारण है कि उन्होंने यह नहीं सुना कि मैंने क्या कहा। मैंने अपना वाक्य फिर से दोहराया, जिसके बाद वह फूट-फूट कर (चीखकर) रोने लगी। उन्होंने कहा, बसरा मर चुका है और आज उसका 40 वां दिन है।
इरफान रशीद का यह फेसबुक पोस्ट अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। वहीं, उनके इस पोस्ट पर सोशल मीडिया यूजर्स भी जमकर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे है। उनके पोस्ट का स्क्रीनशॉट माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर भी खूब वायरल हो रहा है।
This was the first thing I saw this morning. And cried.
Irfan is a former journalist who was in Delhi, preparing for IAS. Basra was the love of his life.
And don't you dare come do whataboutery here. Don't you dare. pic.twitter.com/qLQLxUIAhp
— Sania Ahmad (@SaniaAhmad1111) October 15, 2019
गौरतलब है कि, केंद्र सरकार ने बीती 5 अगस्त को अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर मिला हुआ विशेष राज्य का दर्जा खत्म कर और इसको दो भागों में बांट दिया है। केंद्र सरकार का दावा है कि इस फैसले राज्य की जनता की स्थिति और बेहतर होगी साथ ही केंद्र सरकार की योजनाओं का सीधा लाभ मिल सकेगा। इस फैसले की गंभीरता को देखते हुए सरकार ने साथ ही कई अहम कदम भी उठाए। भारी संख्या में सुरक्षाबलों की तैनाती, मोबाइल फोन और इंटरनेट सेवाओं पर रोक और राज्य के नेताओं को नजरबंद कर दिया गया।
सरकार की दलील थी कि नेताओं की बयानबाजी से हालात बिगड़ सकते हैं और साथ में इंटरनेट सेवाओं का आतंकवादी गलत इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके साथ ही राज्य में स्कूल और कॉलेजों को भी सुरक्षा के लिहाज से बंद कर दिया गया था।