मध्य प्रदेश में फसलों के वाजिब दाम सहित अन्य मांगों को लेकर चल रहा किसानों का आंदोलन मंगलवार(7 जून) को हिंसक हो गया। मंदसौर जिले में आंदोलन कर रहे किसानों पर हुई फायरिंग में 6 की मौत हो गई। मुख्यमंत्री ने गोलीबारी में किसानों की मौत की न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं। हालांकि, डीएम का कहना है कि उन्होंने किसानों पर गोली चलाने का कोई आदेश नहीं दिया था।लेकिन एक बार फिर जिले में किसानों का प्रदर्शन उग्र हो गया है। बुधवार(7 जून) को किसानों ने पुलिस फायरिंग में मारे गए किसान के शव से साथ रास्ता जाम कर दिया। सुबह जब किसान की शवयात्रा निकाली गई, इस दौरान उसके शव को तिरंगे से लपेटा गया था।
DM के साथ मारपीट
इस बीच मंदसौर में किसानों को समझाने के लिए पहुंचे डीएम स्वतंत्र कुमार पर भी किसानों का गुस्सा फूट पड़ा। फायरिंग से नाराज किसानों ने उनके साथ धक्का-मुक्की की। जिसके बाद किसी तरह कुछ किसानों ने जिलाधिकारी को वहां से निकाल कर उनकी कार में बैठाया और उन्हें रवाना किया।
Madhya Pradesh: Protesting farmers got into a scuffled with #Mandsaur collector and SP for delay in their visit, demand presence of MP CM. pic.twitter.com/H6Q9W2kWIi
— ANI (@ANI) June 7, 2017
साथ ही किसानों की नाराजगी को देखते हुए DM के अलावा SP सहित सभी आलाधिकारी वहां से भाग खड़े हुए। किसानों ने कलेक्टर के कपड़े तक फाड़ दिए और उनके साथ मारपीट की। साथ ही पत्रकारों से भी मारपीट की गई। इसके अलावा उग्र किसानों ने 8-10 वाहनों में आग लगा दी।
Farmers's agitation further intensifies in Madhya Pradesh's Mandsaur, 8-10 vehicles set on fire pic.twitter.com/xPe4ZFBlJM
— ANI (@ANI) June 7, 2017
गोली चलाने का नहीं दिया आदेश
कलेक्टर एस के सिंह ने इस घटना में पांच लोगों की मौत की पुष्टि करते हुए बताया कि इसकी न्यायिक जांच कराने के आदेश दिये गये हैं। उन्होंने बताया कि पुलिस को आंदोलन कर रहे किसानों पर किसी भी स्थिति में गोली नहीं चलाने के आदेश दिये गये थे।
मरने वालों की पहचान मंदसौर के रहने वाले कन्हैयालाल पाटीदार, बबलू पाटीदार, चेन सिंह सिंह पाटीदार, अभिषेक पाटीदार और सत्यनारायण के तौर पर की गई है। अभिषेक और सत्यनारायण ने इलाज के लिये इन्दौर ले जाते वक्त दम तोड़ दिया।
मंदसौर में कर्फ्यू और इंटरनेट सेवाएं बंद
मंदसौर जिला कलेक्टर ने बताया कि हालात बेकाबू देख मंदसौर में अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगा दिया गया है। वहीं अफवाहों को रोकने के लिए जिले में इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है। मंदसौर, रतलाम और उज्जैन में इंटरनेट सेवा पूरी तरह बंद कर दी गई है। साथ ही बल्क मैसेज करने पर भी पाबंदी लगा दी गई है।
एक करोड़ मुआवजा
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने घटना की न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं। सीएम ने जान गंवाने वालों के परिजनों को एक करोड़ रुपये सहायता और परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने की घोषणा की है। वहीं, घायलों को 10-10 लाख रुपये और मुफ्त इलाज की बात कही है।
किसानों के साथ युद्ध कर रही है सरकार
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने शिवराज सरकार पर निशाना साधा है। राहुल ने ट्वीट कर कहा, ‘भाजपा सरकार देश के किसानों के साथ ‘युद्ध’ जैसी स्थिति में है। भाजपा के ‘न्यू इंडिया’ में अपना हक मांगने पर अन्नदाताओं को गोली मिलती है।’
इसके अलावा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शिवराज सरकार को किसानों का हत्यारा बताते हुए जमकर निशाना साधा है। केजरीवाल ने ट्वीट किया, मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार किसानों की हत्यारी है। देश भर के किसान चुप नहीं रहेंगे। पूरा देश किसानों के साथ है।
किसान याद दिला रहे हैं PM मोदी का वादा
प्रदर्शन कर रहे किसान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस वादे की याद दिला रहे हैं जो उन्होंने 2014 के लोकसभा चुनाव के वक्त अपने भाषण में एलान किया था कि सरकार बनने के बाद वो स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट के हिसाब से लागत पर 50 प्रतिशत मुनाफा देंगे। लेकिन सरकार बनने के बाद तीन साल बाद पीएम मोदी इसका जिक्र भी नहीं करते।पीएम में रैली में वादा किया था कि वह जल्द ही स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू करेंगे। मोदी सरकार का तीन साल हो गया है, लेकिन अभी तक इस दिशा में सरकार ने एक कदम तक नहीं बढ़ाया है। बता दें कि स्वामीनाथन आयोग ने वर्ष 2006 में अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। रिपोर्ट में किसानों को फसल की उत्पादन लागत जमा 50 प्रतिशत मूल्य देने की संस्तुति की थी।
किसानों की आत्महत्या
हिंदुस्तान में छपि एक रिपोर्ट के मुताबिक, नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट के अनुसार 2009 से 2015 के दौरान 97847 किसानों और खेतीहर मजदूरों ने आत्महत्या की है। वहीं, साल 1995 के बाद से 300,000 से अधिक भारतीय किसान आत्महत्या कर चुके हैं। किसानों द्वारा आत्महत्या का मुख्य कारण कर्ज रहा है, जबकि खेतिहर मजदूरों के लिए ‘पारिवारिक समस्याएं’ एक बड़ी वजह है।
प्रतीकात्मक तस्वीर- news18 hindiमोदी सरकार बनने के बाद साल 2015 में किसानों और खेतिहर मजदूरों द्वारा की गई आत्महत्याओं में संयुक्त रुप से 2 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है। वर्ष 2014 में आत्महत्या की संख्या 12,360 थी जो कि 2015 में बढ़कर 12,602 हुआ है। एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक 2014 से 2015 के बीच देश में किसानों की आत्महत्या के मामले 42 फीसदी बढ़े हैं। 2014 में देश में 5,650 किसानों ने आत्महत्या की थी जो 2015 में बढ़कर 8007 हो गई।
इंडियास्पेंड द्वारा जुटाए गए आंकड़ों के मुताबिक, 2009 में 17368, 2010 में 15964, 2011 में 14027, 2012 में 13754, 2013 में 11772, 2014 में 12360 और 2015 में 12602 किसानों और खेतीहर मजदूरों ने आत्महत्या की है। वर्ष 2009 से 2013 के बीच किसानों की आत्महत्या में 32 फीसदी की गिरावट हुई है। यह अवधि ‘अच्छे मानसून’ का साल था। लेकिन इसके बाद हर साल आंकड़ों में वृद्धि हुई है।
साल 2015 में बढ़ें किसानों के आत्महत्या के मामले
साल 2015 में किसानों और खेतिहर मजदूरों द्वारा की गई आत्महत्याओं में संयुक्त रुप से 2 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है। वर्ष 2014 में आत्महत्या की संख्या 12,360 थी जो कि 2015 में बढ़ कर 12,602 हुआ है। एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक 2014 से 2015 के बीच देश में किसानों की आत्महत्या के मामले 42 फीसदी बढ़े हैं। 2014 में देश में 5,650 किसानों ने आत्महत्या की थी जो 2015 में बढ़कर 8007 हो गई।
HT Photo1 जून आंदोलन कर रहे हैं किसान
बता दें कि मध्यप्रदेश में किसानों ने गुरुवार(1 जून) को शिवराज सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। कर्ज माफी और अपनी फसल के वाजिब दाम की मांग को लेकर किसानों की हड़ताल अभी भी जारी है। किसानों ने पश्चिमी मध्य प्रदेश में अपनी तरह के पहले आंदोलन की शुरूआत करते हुए अनाज, दूध और फल-सब्जियों की आपूर्ति रोक दी है। सोशल मीडिया के जरिए शुरू हुआ किसानों का आंदोलन 10 दिन तक चलेगा।
किसानों की प्रमुख मांगे
- स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू की जाएं।
- किसानों को फसलों का उचित दाम मिले और समर्थन मूल्य बढ़ाया जाए।
- आलू, प्याज सहित सभी प्रकार की फसलों का समर्थन मूल्य घोषित किया जाए।
- आलू, प्याज की कीमत 1500 रुपये प्रति क्वंटल हो।
- बिजली की बढ़ी हुई दरें सरकार जल्द से जल्द वापस लें।
- आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज सभी मुकदमे वापस लिए जाएं।
- मंडी शुल्क वापस लिया जाए।
- फसलीय कृषि कर्ज की सीमा 10 लाख रुपए की जाए।
- वसूली की समय-सीमा नवंबर और मई की जाए।
- किसानों की कर्ज माफी हो।
- मध्यप्रदेश में दूध उत्पादक किसानों को 52 रुपये प्रति लीटर दूध का भाव तय हो।