चुनाव आयोग ने गुरुवार को जनता का रिपोर्टर की उस खबर का खंडन किया है कि 20 लाख इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) लापता हैं। गौरतलब है कि सूचना के अधिकार कानून के तहत जनहित याचिका मुंबई में दायर की गई थी जिसमें इन 20 लाख ईवीएम के लापता होने की बात कही गई थी।
ट्विटर पर ‘जनता का रिपोर्टर’ की रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए चुनाव आयोग के प्रवक्ता शेफाली शरण ने लिखा है कि इस कहानी के बारे में https://frontline.thehindu.com/cover-story/article27056139.ece/ & news के रिपोर्ट्स में स्पष्ट किया गया है कि इसमें कोई सच्चाई नहीं है कि 20 लाख ईवीएम गायब हैं। समाचार रिपोर्ट आंशिक रूप से प्राप्त तथ्यों की गलत और स्पष्ट गलत व्याख्या पर आधारित है।
Regarding the story https://t.co/VzxlkMebno & news reports,it is clarified that there is no truth in contention that "20 lakh EVMs are missing". The news report is based on inaccurate & specious misinterpretation of partial facts obtained frm RTI frm multiple Public Authorities
— Sheyphali Sharan (@SpokespersonECI) May 9, 2019
आयोग ने अंग्रेजी साप्ताहिक फ्रंट लाइन में प्रकाशित एक रिपोर्ट में 20 लाख ईवीएम के गायब होने की खबर को गलत बताया है। आयोग ने उस पत्रिका के संपादक को लिखे पत्र में कहा है कि आपके 24 मई के अंक में छपी यह खबर तथ्यों से परे है कि जिन 20 लाख ईवीएम का निर्माण किया गया था वे लापता हो गई थी।
जनता का रिपोर्टर ने पिछले साल मुंबई के कार्यकर्ता मनोरंजन रॉय द्वारा प्राप्त आरटीआई के जवाबों के आधार पर एक खबर छापी थी जिसमें दावा किया गया था कि बेंगलुरु स्थित निर्माता बीईएल और हैदराबाद स्थित ईसीआईएल द्वारा आपूर्ति किए गए लगभग 20 लाख ईवीएम का कोई हिसाब नहीं है। ‘द हिंदू’ समूह की फ्रंटलाइन पत्रिका ने रॉय के आरटीआई जवाबों के आधार पर गहराई से कहानी को अंजाम देने के बाद इस सप्ताह इस खबर को गति दी।
चुनाव आयोग हिंदू समूह द्वारा प्रकाशित पाक्षिक पत्रिका फ्रंटलाइन के एक लेख का जिक्र कर रहा था। “मिसिंग” ईवीएम शीर्षक वाले लेख में दावा किया गया है कि पोल पैनल ने जून 2017 में सूचना के अधिकार के सवाल के जवाब में हाई कोर्ट को बताया कि उसे 1989-90 और 2014-15 के बीच भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड से 10,05,662 इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें मिलीं। 1989 से 90 और 2016-17 के बीच इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड से 10,14,644 वोटिंग मशीन प्राप्त हुए।
हालांकि, 2 जनवरी 2018 को भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड ने आरटीआई के जवाब में कहा कि उसने 1989-90 और 2014-15 के बीच 19,69,932 इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों को पोल पैनल को आपूर्ति की थी। इसी तरह, सितंबर 2017 में, इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड ने जवाब दिया कि उसने आयोग को 19,44,593 वोटिंग मशीनों की आपूर्ति की थी।
ये विवरण 27 मार्च, 2018 को बॉम्बे हाई कोर्ट में आरटीआई कार्यकर्ता मनोरंजन रॉय द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों का हिस्सा थे। याचिका में चुनाव आयोग द्वारा मतदान मशीनों की खरीद, भंडारण और तैनाती और मतदाता-सत्यापित पेपर ऑडिट के बारे में विवरण मांगा गया था।