बुराड़ी कांड: सीसीटीवी में हुआ खुलासा- फांसी के लिए स्टूल, तार लाए थे परिवार के लोग, अब 11 शवों की होगी ‘साइकोलॉजिकल ऑटोप्सी’

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राजधानी दिल्ली के बुराड़ी में एक ही परिवार के 11 सदस्यों के रहस्यमयी तरिके से मृत मिलने के मामले में कुछ और जानकारियां सामने आई हैं। सीसीटीवी फुटेज में परिवार के कुछ सदस्यों को उन स्टूलों और तारों को लाते देखा जा सकता है जिनका प्रयोग बाद में फांसी लगाने में किया गया। पुलिस ने 11 डायरियां बरामद की हैं जिनमें बीते 11 सालों में लिखा गया है।

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समचार एजेंसी भाषा के मुताबिक पुलिस ने कहा कि डायरियों में लिखी गई बातें कथित खुदकुशी से मेल खाती हैं। परिवार के घर के सामने वाले घर के बाहर लगे कैमरे के फुटेज में दिखता है कि परिवार की बड़ी बहू सविता और उसकी बेटी नीतू पांच स्टूल ला रही हैं। इन्हीं स्टूलों को बाद में परिवार के लोगों ने फांसी लगाने में प्रयोग किया।

इस बीच दिल्ली पुलिस बुराड़ी में इस मामले मे साइकोलॉजिकल ऑटोप्सी कराएगा। इस बारे में मानव व्यवहार एवं संबद्ध विज्ञान संस्थान (इबहास) के निदेशक निमेष देसाई ने कहा कि बुराड़ी में एक ही परिवार के 11 सदस्यों की मौत के मामले में सामने आ रही दो तरह की बातों को अलग-अलग देखने की बजाय मिलाकर देखा जाना चाहिए। गौरतलब है कि बुराड़ी कांड में एक संभावना यह जताई गई है कि मृतकों ने आध्यात्मिक विश्वास के वशीभूत होकर खुदकुशी की होगी।

दूसरी संभावना यह जाहिर की जा रही है कि मृतकों ने मनोवैज्ञानिक विकार के कारण आत्महत्या की होगी। दिल्ली पुलिस ने बुराड़ी कांड में एक जुलाई को मृत पाए गए 11 लोगों की मनोवैज्ञानिक ऑटोप्सी कराने का फैसला किया है। इस बारे में देसाई ने कहा कि ऐसा करना काफी मुश्किल होगा, क्योंकि उस मकान में रह रहे परिवार का कोई सदस्य जीवित नहीं बचा।

मनोवैज्ञानिक ऑटोप्सी में यह देखा जाता है कि व्यक्ति अपनी मृत्यु से पहले के क्षणों में किस मनोदशा में रहा होगा। यह ऑटोप्सी मृतकों के परिजन, सामाजिक संपर्क में रहे व्यक्तियों और अन्य चीजों से प्राप्त जानकारी के जरिए की जाती है। इसमें मृतकों की कुछ हफ्ते या कुछ महीने पहले की मनोदशा जानने की भी कोशिश की जाती है।

NDTV के मुताबिक देसाई ने कहा, ‘‘लेकिन यहां मुश्किल यह है कि यह सिर्फ किसी एक व्यक्ति की बात नहीं है बल्कि 11 सदस्यों की बात है और उस मकान में रहने वाला परिवार का कोई सदस्य जीवित नहीं है, जिसके कारण स्थितियों को सीमित रूप में ही रूपांतरित किया जा सकेगा। बुराड़ी कांड में पुलिस अंतिम पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट और फॉरेंसिक रिपोर्ट का इंतजार कर रही है। वह शवों के विसरा को भी फॉरेंसिक जांच के लिए भेजेगी ताकि पता लगाया जा सके कि कहीं मृतकों को जहर तो नहीं दिया गया था।

रिपोर्ट के मुताबिक शुरुआती ऑटोप्सी रिपोर्ट में कहा गया था कि सभी 11 लोगों की मौत रस्सी से लटकने के कारण हुई और उनके शरीर पर संघर्ष या चोट के कोई निशान नहीं थे। बहरहाल, लिखित रिकॉर्ड काफी हैं जिनके विश्लेषण से पुलिस के अब तक के निष्कर्षों की पुष्टि हो सकेगी। दो तरह की संभावनाओं पर चर्चा के बीच देसाई ने कहा कि उनका मानना है कि यह दोनों के संयुक्त प्रभावों के कारण हुई घटना है।

उन्होंने कहा, ‘कई साल तक आध्यात्मिक आस्था और रीति-रिवाजों को लेकर पूरे परिवार में बहुत ठोस सामूहिक संबंध होने के कारण घर में प्रभाव रखने वाले एक सदस्य की मानसिक बीमारी को इसमें सहज साथ मिल गया। बुराड़ी कांड के संदर्भ में देसाई ने मानसिक स्वास्थ्य देखभाल कानून 2017 पर फिर से विचार करने की जरूरत पर जोर दिया। केंद्र ने हाल में इस कानून को अधिसूचित किया है। उन्होंने कहा कि इससे किसी मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति का इलाज मुश्किल हो गया है।

 

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