जमीन आवंटन में हो रही देरी के खिलाफ गुजरात के पाटन में आत्मदाह करने वाले 61 वर्षीय दलित कार्यकर्ता भानुभाई वानकर की शुक्रवार रात 10 बजे एक निजी अस्पताल में मौत हो गई। गुरुवार को दोपहर में उन्होंने पाटन जिलाधिकारी कार्यालय के बाहर खुद को आग लगा ली थी। इस बीच भानुभाई वानकर की मौत के बाद उनके परिवार वालों से मिलने गए सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के विधायक को लोगों के जबर्दस्त गुस्से का सामना करना पड़ा।
Photo: Dainik Bhaskarदरअसल, दलित कार्यकर्ता से मुलाकात के लिए बीजेपी विधायक करसन सोलंकी गांधीनगर के सिविल अस्पताल गए थे। अस्पताल के बाहर भारी संख्या में लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। जब सोलंकी ने भानुभाई के परिवार वालों से मुलाकात करने की कोशिश की तो प्रदर्शन कर रहे लोग भड़क गए और भीड़ ने विधायक को परिजनों से मिले बिना ही वहां से दौड़ा दिया। आक्रोशित भीड़ ने धक्का-मुक्की करते हुए विधायक की पिटाई कर दी। पिटाई के बाद विधायक करसनभाई साेलंकी चुपचाप सिविल अस्पताल से भाग निकले।
टीवी-9 द्वारा पोस्ट किये गए एक वीडियो में एक शख्स विधायक पर हाथ चलाता हुआ भी दिख रहा है। जनसत्ता के मुताबिक गुजरात सरकार ने आत्मदाह कर चुके दलित कार्यकर्ता भानुभाई वानकर के परिवार वालों की मांगें शनिवार को स्वीकार कर लीं। इससे पहले वानकर के परिजनों ने उसका शव लेने से इंकार करते हुए कहा था कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होंगी, वह शव नहीं लेंगे।
समाचार एजेंसी भाषा की रिपोर्ट के मुताबिक, इससे पहले वानकर का शव गांधीनगर सिविल अस्पताल में पोस्टमार्टम के लिए लाया गया था। वहीं वानकर की मौत से गुस्साए दलित समाज के लोगों ने अस्पताल के बाहर परिजनों की मांग के समर्थन में सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किए। इसके बाद पाटन पुलिस ने अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। गौरतलब है कि वानकर ने गुरुवार को पाटन कलेक्टर कार्यालय के बाहर खुद को आग लगा ली थी। अगले दिन अहमदाबाद के एक निजी अस्पताल में उसकी मौत हो गई।
वह एक भूमिहीन दलित खेतिहर मजदूर हेमाबेन वानकर के लिए लड़ रहा था। हेमाबेन ने आरोप लगाया था कि अधिकारियों ने साल 2013 में उससे 22,236 रुपये तो लिए लेकिन उसे भूखंड का आवंटन नहीं किया। एक सप्ताह पहले कलेक्टर को सौंपे ज्ञापन में हेमाबेन और वानकर ने आत्मदाह की धमकी दी थी। दूधका गांव के दलित लगभग तीन साल से जमीन आवंटन की मांग कर रहे हैं।
जिग्नेश ने की SIT से जांच की मांग
गुजरात के दलित नेता और निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवानी ने वानकर के परिजनो से अस्पताल में मुलाकात की। उन्होंने इसे सरकारी हत्या कहा और एक विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित कर वानकर की मौत की जांच की मांग की। उन्होंने कहा कि विशेष जांच दल में एक सदस्य दलित समुदाय का होना चाहिए।
वहीं जिग्नेश ने कहा कि घटना के लिए जिम्मेदार राजस्व और पुलिस अधिकारियों का नाम भी एफआईआर में दर्ज होना चाहिए। वहीं पाटीदार आरक्षण आंदोलन समिति के संयोजक हार्दिक पटेल ने कहा कि जमीन के टुकड़े के लिए एक व्यक्ति को आत्मदाह करना पड़ा। यह सरकार की विफलता को दर्शाता है।