भारत में कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने मचाया तहलका, सुप्रीम कोर्ट के जज और सरकार के टॉप अधिकारी भी परिवार वालों के लिए सोशल मीडिया पर मांग रहे मदद; अस्पतालों में बेड, दवा और ऑक्सीजन का इंतजाम के लिए करनी पड़ रही है कड़ी मशक्कत

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देश भर में तेजी से पांव पसार चुके कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर ने पूरे भारत में कोहराम मचा रखा है। दिल्ली समेत कुछ राज्यों से ऐसी तस्वारें और वीडियों भी सामने आ रही है जिसे देखकर आपकी रूहें कांप उठेगी। ऐसी कई खबरें सामने आईं हैं जिनमें लोग ऑक्सीजन और समय पर इलाज ना मिलने के कारण मरीज ने दम तोड़ दिया। आम आदमी लेकर राजनेता समेत कई दिग्गज तक इलाज के अभाव में दर-दर भटक रहे हैं। कोरोना के उफान के इस दौर में कई पॉवरफुल लोग भी खुद को असहाय महसूस कर रहे हैं, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के जज और सरकार के टॉप अधिकारी भी शामिल है। उन्हें अपने परिवार वालों को अस्पतालों में बेड, दवा और ऑक्सीजन का इंतजाम करने के लिए सोशल मीडिया पर मदद मांगनी पड़ रही है। कड़ी मशक्कत के बाद तब जाकर कहीं न कहीं वह अपने परिवार वालों को अस्पतालों में बेड दिलवा पा रहे हैं।

कोरोना वायरस
फाइल फोटो

द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, संवैधानिक पद पर बैठी एक हस्ती को अपने परिवार के सदस्य के लिए तत्काल अस्पताल में बेड की आवश्यकता थी। जिसके लिए उन्होंने तमाम कोशिश की। नाकाम रहने पर उन्हें अंततः राजनैतिक नेतृत्व से मदद मांगनी पड़ी। एक शीर्ष नेता के हस्तक्षेप के बाद ही उनको अस्पताल में बेड मिल सका। लेकिन उस अस्पताल में नहीं, जहां पर वे चाहते थे।

इसी तरह सुप्रीम कोर्ट के एक न्यायमूर्ति को अपने रिश्तेदार के लिए अस्पतालों में बेड का बंदोबस्त करने के लिए कड़ी संघर्ष करना पड़ा। वहीं, सुप्रीम कोर्ट के एक पूर्व न्यायाधीश को अपनी पत्नी के लिए टॉसिलजुमैब दवा चाहिए थी। इसके लिए जज साहब को अपने युवा वकीलों के नेटवर्क को लगाना पड़ा। तब उनकी पत्नी को दवा मिल सकी। ऐसे ही ज्यादातर लोगों ने अपनों के लिए दवा, बेड या ऑक्सीजन का जुगाड़ करा ले रहे है लेकिन इसके लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ी रही है।

गृह मंत्रालय में काम करने वाले एक वरिष्ठ नौकरशाह को अस्पताल में बेड की जरूरत थी और उन्हें डीआरडीओ के वल्लभ भाई पटेल अस्पताल में दाखिल कराने के लिए कई फोन करने पड़े। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के साथ काम कर चुके एक शीर्ष अर्थशास्त्री को पिछले सप्ताह रेमडिसिवर के इंजेक्शनों की आवश्यकता थी तो उन्हें उसके लिए ट्विटर पर अपने दोस्तों से अपील करनी पड़ी, तब उन्हें दवा मिल सकी।

उत्तराखंड से भाजपा के पूर्व राज्यसभा सदस्य और आरएसएस के पांचजन्य के पूर्व संपादक तरुण विजय पिछले दिनों तमाम कुछ कोशिशों के बाद भी अपने कज़िन के लिए कुछ न कर सके। उनका 23 अप्रैल का ट्वीट है, “मेरे 93 साल के भाई के लिए न तो प्लाज़्मा है न ऑक्सीजन.. कह रहे हैं घर ले जाइए। आखिर हम किस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। वो क्या करें जिनके प्रभावशाली कनेक्शन नहीं है..जो आम आदमी हैं…। तरुण विजय के भाई की दो दिन बाद मृत्यु हो गई।”

उत्तराखंड से भाजपा के पूर्व राज्यसभा सदस्य और आरएसएस के पांचजन्य के पूर्व संपादक तरुण विजय पिछले दिनों तमाम कुछ कोशिशों के बाद भी अपने कज़िन के लिए कुछ न कर सके। उनका 23 अप्रैल का ट्वीट है, मेरे 91 साल के बड़े भाई के लिए ना कोई प्लाज्मा उपलब्ध नहीं है, कोई ऑक्सीजन सिलेंडर नहीं है। अस्पताल के डॉक्टर कह रहे हैं घर ले जाइए। आखिर हम किस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं? वो क्या करें जिनके प्रभावशाली कनेक्शन नहीं है..जो आम आदमी हैं…। दो दिन बाद उन्होंने ट्वीट किया कि उनके चचेरे भाई का निधन हो गया।

एक केंद्रीय मंत्रालय से संबद्ध एक ब्यूरोक्रेट का दर्द तो बहुत ही बड़ा है। वे परिवार के कुछ सदस्यों के साथ खुद भी कोविड पॉजिटिव हैं। वे यह सोच कर परेशान हैं कि अगर किसी को अचानक किसी सुविधा की ज़रूरत पड़ी तो वे कहां जाएंगे। नहीं पता कि कौन सा अस्पताल मेरा फोन उठाएगा।

गौरतलब है कि, भारत में कोरोना वायरस के नए मामले बढ़ने के साथ ही अस्पतालों में बेड, दवा और ऑक्सीजन की भी भारी कमी देखने को मिल रही है और जिन संक्रमित लोगों को अस नहीं मिल पा रहा है, वह अपने घर में ही बंद पड़े हुए हैं। जिसकी वजह से बहुत से मरीजों को सही समय पर उपचार न मिल पाने की वजह से उनकी जान भी जा रही है।

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