कांग्रेस ने आचार संहिता के उल्लंघन के आरोपों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को क्लीनचिट देने पर असहमति जताने वाले चुनाव आयोग के सदस्य अशोक लवासा के आयोग की बैठकों में शामिल नहीं होने से जुड़ी खबरों को लेकर शनिवार (18 मई) को मोदी सरकार पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि इस सरकार में संस्थाओं की गरिमा धूमिल हुई है।

पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने शनिवार को एक खबर शेयर करते हुए ट्वीट किया, ”चुनाव आयोग है या चूक आयोग। लोकतंत्र के लिए एक और काला दिन। चुनाव आयोग के सदस्य ने बैठकों में शामिल होने से इनकार किया। जब चुनाव मोदी-शाह जोड़ी को क्लीनचिट देने में व्यस्त था तब लवासा ने कई मौकों पर असहमति जताई।”
Election Commission
OR
Election Omission!Another Dark Day for Democracy!
Sh Ashok Lavasa, Member CEC, who dissented on multiple occasions when EC was busy giving clean chits to Modi-Shah duo, opts out of EC as the ECI even refuse to record dissent notes.
1/2 pic.twitter.com/ajbSwBCUxl— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) May 18, 2019
उन्होंने दावा किया, ”संस्थागत गरिमा धूमिल करना मोदी सरकार की विशेषता है। उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश सार्वजनिक तौर पर बयान देते हैं, रिजर्व बैंक के गवर्नर इस्तीफा देते हैं, सीबीआई निदेशक को हटा दिया जाता है। सीवीसी खोखली रिपोर्ट देता है। अब चुनाव आयोग बंट रहा है।” सुरजेवाला ने सवाल किया कि क्या चुनाव आयोग लवासा की असहमति को रिकॉर्ड करके शर्मिंदगी से बचेगा?
Erosion of Institutional Integrity is the hallmark of Modi Govt!
SC Judges going public,
RBI Guv’s resigning
CBI Director getting removed
CVC giving vacuous reports
Now Dividing Election Commission!Will EC save the embarrassment by recording Sh Lavasa’s dissent notes? 2/2 pic.twitter.com/gQxtFtCRPe
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) May 18, 2019
खबर के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को क्लीन चिट देने पर असहमति जताने वाले चुनाव आयुक्त अशोक लवासा ने अपना विरोध खुलकर जाहिर कर दिया है। उन्होंने हाल ही में मुख्य चुनाव आयुक्त को एक पत्र लिखकर कहा है कि जब तक उनके असहमति वाले मत को ऑन रिकॉर्ड नहीं किया जाएगा तब तक वह आयोग की किसी मीटिंग में शामिल नहीं होंगे।
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक अशोक लवासा ने 4 मई से लेकर अब तक खुद को हर मीटिंग से दूर रखा है। साथ ही लवासा ने जोर देकर कहा है कि वे तब ही शामिल होंगे जब उनकी असहमति वाली बात और अल्पसंख्यक निर्णय आयोग के आदेशों के रिकॉर्ड में शामिल होंगे।
हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक इस मामले के जानकार एक अधिकारी ने बताया कि, 4 मई से मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट के उल्लंघन पर चर्चा के लिए आयोग ने कोई बैठक नहीं की है। जबकि 3 मई का आयोग की बैठक में मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट उल्लंघन के सभी मामलों में मोदी और शाह को क्लीनचिट मिली थी, जिसके बाद आयोग की खूब आलोचना हुई थी। (इंपुट: भाषा के साथ)