सरकार की राजस्थान में ‘कैशलेस गांव’ बनने के दावों की खुली पोल, सिर्फ कागज़ों पर कैशलेस

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राजस्थान के किशनगढ़ के पास स्थित नयागांव को भारत का पहला कैशलेस गांव बनने का दावा किया गया था। दिसंबर में एक विशेष आयोजन के दौरान इसकी घोषणा की गई थी। तीन हफ्ते बाद ही गांव की जमीनी हकीकत कुछ और ही कहानी कहती है।

नया गांव के लोगों को कैश निकालने के लिए घंटो लाईन में खड़े होने के अलावा हरमरा शहर जाने के लिए 3 किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ती है।

 

हैरान करने वाली बात यह है कि गांव में कैशलेस हो जाने के बड़े-बड़े पोस्टर लगे हुए हैं। सब पर लिखा है कि वहां के लोग कैशलेस हो गए हैं। गांव में किसानों के साथ 1,600 की आबादी है।

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, आधिकारिक तौर पर गांव में पॉइंट ऑफ सेल (पीओएस) मशीनों के पांच केंद्र बने थे, नया गांव इंटरनेट कनेक्टिविटी की कमी से जूझ रहा है। इससे भी बदतर बात ये है कि पीओएस मशीन मुश्किल से काम कर रहीं हैं।

एक दुकानदार ने टाइन्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए कहा, “लगभग हम सभी गांव वालों पर एटीएम कार्ड है। लेकिन हम उसका प्रयोग नहीं कर सकते पीओएस मशीन काम नहीं कर रहीं हैं और हमें पास के बैंक की कतारों में घंटो खड़ा रहना पड़ता है। चीजे़ खरीदने के लिए नकदी की जरुरत होती है। कुछ नहीं बदला है।
बैंक ने दुकानदारो से चालू खाता खोलने के निर्देश दिए। गांव में चार किराने की दुकान और एक उर्वरक की दुकान है। बैंक ऑफ बड़ौदा ने इन दुकानों के लिए पीओएस मशीन प्रदान की है। लेकिन मशीने काम ही नहीं कर रहीं हैं।”

उन्होंने कहा, मशीने काम नहीं कर रहीं है और हमे नकद में सौदा देना पड़ रहा है। जैसा कि नोटबंदी से कैश की समस्या हो रही है हमे उधार पर भी सौदा देना पड़ रहा है। पीओएस मशीन से कोई नया अंतर नहीं हुआ है।”

एक अन्य ग्रामीण रम्मीया ने तंज से कहा, “कोई पैसा नहीं है और, इसलिए, हम एक ‘कैशलेस’ गांव हैं! मैं पिछले तीन दिनों  से हरमरा गांव में पैसा निकालने के लिए जा रहा हूं लेकिन पैसा निकालने में नाकाम रहा हूं।”

विडंबना यह है कि गांव में अभी भी कैशलेस गांव बनने की घोषणा वाले बैनर लगे हैं।

 

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