भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) शासित उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर हिंसा मामले में यूपी पुलिस को एक बड़ा सुराग हाथ लगा है। हिंसा में शहीद हुए इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह का मोबाइल उनकी हत्या के मुख्य आरोपी प्रशांत नट के घर से बरामद हो गया है। यूपी पुलिस के मुताबिक, इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह का मोबाइल फोन प्रशांत नट के घर से बरामद हुआ है। बता दें कि प्रशांत नट सुबोध कुमार की हत्या का मुख्य आरोपी है, जिसे पुलिस ने पहले ही गिरफ्तार कर लिया है।
गोकशी के आरोप के बाद 3 दिसंबर 2018 को बुलंदशहर में हिंसा हो गई थी। इस दौरान इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह समेत चिंगरावठी गांव के रहने वाले सुमित कुमार नाम के एक युवक की हत्या कर दी गई थी। वारदात के बाद पुलिस ने कार्रवाई करते हुए हुए सुबोध कुमार सिंह की हत्या के मुख्य आरोपी प्रशांत नट को पिछले साल दिसंबर में गिरफ्तार कर लिया था।
एसपी सिटी अतुल श्रीवास्तव ने बताया, ‘सूत्रों के हवाले से शहीद इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह के मोबाइल की लोकेशन के बारे में जानकारी मिली थी। हमने लोकेशन में सर्च ऑपरेशन चलाया, जहां से हमें फोन मिला। फिलहाल जांच जारी है। गुम हुई पिस्टल की भी तलाश चल रही है।’ उन्होंने कहा कि प्रशांत नट बुलंदशहर हिंसा केस का आरोपी है। उसे 27 दिसंबर, 2018 को गिरफ्तार किया गया था।
Atul Srivastav, SP City: Info was received through sources about the location of the mobile phone of the deceased policeman Subodh Kumar. We've recovered the phone after search operation at the location. Probe underway. Search for the pistol still underway. #BulandshahrViolence pic.twitter.com/1BPnm4ZQDd
— ANI UP (@ANINewsUP) January 27, 2019
शहीद इंस्पेक्टर सिंह पर गोली चलाने का आरोप नट पर ही है। आरोप है कि चिंगरावठी पुलिस चौकी पर पथराव और आगजनी करने वाली भीड़ को इंस्पेक्टर सुबोध ने समझा-बुझाकर शांत करा दिया था। लेकिन कथित तौर पर उसी वक्त प्रशांत नट आया और इंस्पेक्टर से भिड़ने लगा। प्रशांत ने सुबोध की पिस्टल से गोली चला दी, जिसमें उनकी मौत हो गई।बता दें कि बुलंदशहर में हिंसा के दौरान इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की हत्या कर दी गई थी।
गत तीन दिसंबर को स्याना कोतवाली क्षेत्र के चिंगरावठी इलाके में कथित गोकशी के मामले को लेकर भीड़ से संघर्ष में इंस्पेक्टर सुबोध सिंह शहीद हो गए थे। इसके अलावा सुमित नामक एक युवक की भी मृत्यु हो गई थी। इस मामले में 27 नामजद तथा 50-60 अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। इनमें से अब तक कई मुख्य आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है। वहीं, एसआईटी की टीम अब भी हिंसा की घटना की जांच कर रही है।