मुख्यमंत्री योगी के कार्यक्षेत्र गोरखपुर की बदहाल व्यवस्था को दर्शाने वाली घटना के सामने आने से हड़कम्प मच गया है। बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज में 48 घंटे के दौरान 33 और पिछले छह दिनों में 60 से अधिक मासूमों की मौत ने सबको झकझोर दिया है। लेकिन सरकार और प्रशासन अपनी किसी भी कमी और लापरवाही की बात से पल्ला झाड़ लिया है और मेडिकल कालेज के प्राचार्य को निलंबित कर अपनी जवाबदेही को दिखाया है।

गोरखपुर के बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज प्रशासन आखिरकार चेता, तब जब मासूमों की मौत का सिलसिला शुरू हो गया। जिम्मेदार नींद से जागे लेकिन तब जब उनकी बेपरवाही और लापरवाही ने 48 घंटे के अंदर 33 से ज्यादा मासूम जिंदगियां निगल लीं। शासन का चाबुक चले इससे पहले कॉलेज प्रशासन ने आक्सीजन सप्लाई करने वाली फर्म के बकाया धनराशि में से 53 लाख रुपया भुगतान कर दिया। हिंदुस्तान अखबार ने अपनी रिपोर्ट में यह जानकारी दी है।
ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली फर्म ने बीआरडी मेडिकल कॉलेज प्रशासन को पत्र लिखकर गुहार लगाई कि बकाया 68 लाख पार कर गया है। 10 लाख रुपये अधिक बकाया नहीं होना चाहिए। यह चेताया भी कि बकाया राशि नहीं मिली तो आक्सीजन की आपूर्ति रुक सकती है। फर्म ने डीएम को भी पत्र लिखा।
बताया कि भुगतान न होने पर ऑक्सीजन आपूर्ति रुक जाएगी। मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने फर्म की चिट्ठी को नजरअंदाज कर दिया। बकाया भुगतान नहीं किया और बुधवार को ऑक्सीजन की आपूर्ति रोक दी। इधर, फर्म ने ऑक्सीजन की आपूर्ति रोकी और उधर बीआरडी मेडिकल कॉलेज में हाहाकार मच गया। ऑक्सीजन की कमी की वजह से डॉक्टरों ने तीमारदारों को बुलाया और उनसे एम्बु बैग चलवाया। कब तक! वही हुआ जिसकी आशंका थी।
एक-एक कर मासूम मरने लगे तो कॉलेज प्रशासन घबरा गया। एक तरफ कॉलेज प्रशासन के पास 68.50 लाख रुपया मौजूद था। आपूर्ति करने वाली फर्म का बकाया 69 लाख रुपया पाने के लिए चक्कर लगा रही थी। फर्म का कहना था कि कॉलेज प्रशासन पार्ट-पेमेंट कर दे लेकिन ऐसा नहीं हुआ। बता दें कि गोरखपुर के इस अस्तपाल में पिछले छह दिनों में 60 से अधिक बच्चों की मौतों को लेकर विस्तृत रिपोर्ट भी मांगी गई है।