AIIMS प्रशासन ने प्रधानमंत्री राहत कोष में दान को स्वैच्छिक करने की RDA की मांग ठुकराई

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देश की राजधानी दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने प्रधानमंत्री राहत कोष में दान को स्वैच्छिक करने की रेजिडेंट्स डॉक्टर एसोसिएशन (आरडीए) की मांग को खारिज कर दिया। संस्थान का कहना है कि उसके यहां इस तरह की कोई व्यवस्था नहीं है जिससे दान को स्वैच्छिक बनाया जा सके।

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समाचार एजेंसी पीटीआई (भाषा) की रिपोर्ट के मुताबिक, आरडीए की मांग के जवाब में एम्स के पंजीयक की ओर से जारी नोटिस में बुधवार को कहा गया है कि वर्तमान में स्वैच्छिक दान के लिए कोई व्यवस्था नहीं है और ऐसे सभी स्वैच्छिक दान सीधे, चयनित कोष में जाते हैं। पत्र में यह भी कहा गया है कि इस तरह का भी कोई प्रावधान नहीं है कि रेजिडेंट डॉक्टरों से दान लेकर उसका इस्तेमाल पीपीई और स्वास्थ्य कर्मियों को अन्य उपकरण देने के लिए किया जाए।

गौरतलब है कि, एम्स के आरडीए ने अस्पताल प्रशासन को पत्र लिखकर प्रधानमंत्री नागरिक आपात स्थिति सहायता कोष (पीएम केयर्स) में दान को स्वैच्छिक बनाने की मांग की थी। साथ में यह भी मांग की गई थी जो धन एकत्र किया जाए, उसका इस्तेमाल उनके लिए सुरक्षात्मक उपकरण खरीदने के लिए किया जाए। दरअसल, एम्स प्रशासन ने सभी रेजिडेंट डॉक्टरों से कोविड-19 से निपटने के सरकार के प्रयासों में मदद के लिए पीएम केयर्स में एक दिन की तनख्वाह दान देने की अपील की थी।

एम्स के पंजीयक ने यह भी स्पष्ट किया कि पीपीई के लिए पर्याप्त धन है और रेजिडेंट डॉक्टरों से इसके लिए पैसे इकट्ठा करने के बजाय पीपीई खरीदने की जरूरत है।नोटिस में कहा गया है ‘‘ आरडीए स्पष्ट करें कि क्या वे इस कोष में दान देना चाहते है या नहीं। स्वैच्छिक दान का कोई प्रावधान नहीं है।’’

यह नोटिस विभागाध्यक्षों, केंद्रों के प्रमुखों और आरीडीए के प्रमुख को भेजा गया है। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए एम्स आरडीए के महासचिव डॉ श्रीनिवास राजकुमार टी ने कहा “पीएम केयर्स में योगदान के संबंध में प्रशासन कह रहा है कि स्वैच्छिक दान का कोई प्रावधान नहीं है। वह यह भी कह रहा है कि धन का इस्तेमाल इस संस्थान में पीपीई के लिए नहीं किया जा सकता है। ऐसे में आरडीए एम्स के पास यही विकल्प बचता है कि वह इसे पूरी तरह से खारिज करें या व्यक्तिगत तौर से इसमें हिस्सा नहीं ले।”

आरडीए ने चार अप्रैल को कहा था कि उनसे सलाह-मशविरा किए बिना दान करने के लिए नोटिस जारी करना व्यक्ति के इस अधिकार का हनन है कि वह किस तरह से देश की मदद करना चाहेगा।अपने नोटिस में एम्स ने कहा था कि किसी रेजिडेंट डॉक्टर को इस पर आपत्ति है तो वह छह अप्रैल तक इस बारे में अकाउंट अधिकारी को सूचित कर दे।

बता दें कि, भारत में जानलेवा कोरोना वायरस के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। सरकार के आंकड़े के अनुसार, देश में अब तक 5,000 से ज्यादा मरीजों की पुष्टि हुई है जबकि 150 से अधिक लोग इस खतरनाक वायरस से अपनी जान गंवा चुके हैं। देश में कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए 21 दिनों का लॉकडाउन जारी है, जो 14 अप्रैल को खत्म होगा।

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