रेल मंत्री सुरेश प्रभु के बारे में आम राय ये है कि वो अपने मंत्रालय में अच्छा काम कर रहे हैं और सोशल मीडिया का एक ख़ास तबक़ा समय समय पर उनकी तारीफ भी करता रहता है।
लेकिन अब कुछ रिपोर्ट्स सामने आ रही हैं जिन से लगता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनके काम से खुश नहीं हैं।
पिछले सप्ताह नीति आयोग में इंफ्रास्ट्रक्चर रिव्यू मीटिंग हुई जहाँ नरेंद्र मोदी ने शिकायत की कि रेलवे के महत्वपूर्ण प्रोजेक्टस पर मुश्किल से कोई “प्रभावी प्रगति” हुई है। जनसत्ता की खबर को माने तो मोदी ने कहा कि इन प्रोजेक्टस में 400 स्टेशनों का पुर्नविकास और एक रेल यूनिवर्सिटी की स्थापना शामिल है। साथ ही मोदी ने कथित तौर यह कहा कि विज्ञापनों के जरिए राजस्व बढ़ाने में भी कोई खास प्रगति नहीं हुई।
मोदी की ये कथित नाराज़गी इस लिए अहम है कि मोदी ने पिछले साल इलेक्ट्रिफिकेशन और रेल लाइनों के बिछाने के काम को लेकर रेलवे की तारीफ में टवीट किया था।
लेकिन बैठक में रेलवे अधिकारियों के प्रेजेंटेशन के दौरान, मोदी ने बदलाव की धीमी गति के बारे में बात की थी। सूत्रों के हवाले से अखबार ने लिखा कि प्रधानमंत्री ने क्रिकेट का उदाहरण देकर रेलवे अधिकारियों को यह समझाया कि कैसे रचनात्मक तरीकों के इस्तेमाल से विज्ञापनों के जरिए राजस्व कमाया जा सकता है।
मोदी की नाराज़गी का असर यए हुआ कि बैठक के बाद रेलवे बोर्ड ने आंतरिक निर्देश जारी कर अगली समीक्षा तक “प्रत्यक्ष प्रगति” को सुनिश्चित करने के लिए “तुरंत कार्रवाई करने की जरूरत” बताई।
अगली समीक्षा बैठक जुलाई के पहले सप्ताह में हो सकती है। मोदी मुख्य रूप से स्टेशनों के पुर्नविकास सम्बंधी प्रोजेक्ट को लेकर खफा नजर आए। जिन 400 स्टेशनों को निजी क्षेत्र के सहयोग से पुर्नविकसित किया जाना था, उनमें से सिर्फ भोपाल के हबीबगंज स्टेशन में ही बदलाव देखने को मिला है।