राजनीतिक पार्टियों के बीच मंगलवार को NDA की सरकार में मंत्री रहे अरुण शौरी के बयान पर गहमा-गहमी मच गई । शौरी ने वर्तमान प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को अभी तक का किसी भी सरकार के कार्यकाल का सबसे कमजोर पीएमओ करार दिया है। साथ ही शौरी ने प्रधानमंत्री कार्यालय को केंद्रीकृत करने का आरोप भी लगाया है।
शौरी ने कहा वर्तमान की NDA सरकार “थोड़ी बेहतर कांग्रेस और एक गाय” है । लगता है कि यह बयान शौरी ने देश में चल रहे बीफ विवाद पर दिया है।
एक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम के दौरान सोमवार को दिया था शौरी का यह बयान सोशल मीडिया वेबसाइट ट्वीटर पर मंगलवार को भी ट्रेंड कर रहा है।
राजनीतिक पार्टियां ने भी शौरी के इस बयान प्रतिक्रिया दी है।
बीजेपी नेता सिद्दार्थ नाथ सिंह ने कहा, “मैं तो यही कहूंगा कि हमारे सहयोगी रहे शौरी ने अपना करियर राष्ट्रवाद के लिए बिताया, लेकिन उनके दिल में दर्द का कारण वर्तमान बीजेपी की सरकार में जगह नहीं मिलना है।”
वहीं बीजेपी के प्रवक्ता मुख्तार अब्बस नकवी ने कहा, “मुझे नहीं पता कि वे इन दिनों कहां से प्रभावित होकर ऐसे आधारहीन तथ्य बोल रहे हैं।”
कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा, “मैं शौरी के बातों से सहमत हूं कि लोग पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को याद कर रहे हैं।”
शौरी ने कहा, “अब डाक्टर मनमोहन सिंह को लोग याद करने लगे हैं। सरकार की नीतियां बनाने का तरीका कांग्रेस (जैसा) है.. और गाय का मुद्दा है। नीतियां समान हैं।”
प्रसिद्ध पत्रकार और ‘बिजनेस स्टैण्डर्ड’ के पूर्व संपादक टी. एन. नयनन द्वारा लिखित पुस्तक ‘टर्न आफ द टॉरट्वाइस’ के विमोचन समारोह में सिंह, मुख्य आर्थिक सलाहकार ए. सुब्रह्मण्यम और पूर्व विदेश सचिव श्याम सरन शामिल हुए थे।
अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में तकनीकी व दूरसंचार मंत्री रहे शौरी ने कहा, “मुझे ऐसा अहसास हो रहा है कि वर्तमान में प्रधानमंत्री कार्यालय का काम करने का तरीका अभी तक की किसी भी सरकार से कमजोर है बावजूद इसके की इसमें बहुत ज़ियादा पावर केंद्रित है ।”
नरेंद्र मोदी सरकार पर तीखा हमला करते हुए भाजपा नेता शौरी ने दावा किया कि वह अर्थव्यवस्था का प्रबंधन करने का मतलब ‘सुखिर्यों का प्रबंधन’ मानती है ।
शौरी ने कहा कि दूसरा अंतर यह है कि यह साफ तौर पर मानना है कि अर्थव्यवस्था के प्रबंधन का मतलब सुखिर्यों का प्रबंधन है और वास्तव में यह काम करने वाला नहीं है।
शौरी ने भारतीय उद्योगपतियों के बारे में कहा कि मोदी सरकार के खिलाफ बोलते हुए मैं तो भयभीत हूं। उन्होंने कहा कि जो भी उद्योगपति प्रधानमंत्री से मिलते हैं वे उन्हें इस सच्चाई को नहीं बताते हैं और मिलने के बाद कहते हैं कि ‘कृपया कुछ कीजिए’। लेकिन मीडिया के सामने वे उद्योगपति सरकार को 10 में से 9 नंबर देते हैं।