बुधवार को राजस्थान विधानसभा में दो बिल पास करा कर राजस्थान में आरक्षण कोटा को 49 फीसदी से बढ़ा कर 68 फीसदी कर दिया गया है।
अब राजस्थान में कॉलेज और सरकारी नौकरी में सामान्य वर्ग की हिस्सेदारी घट कर के एक तिहाई रह गयी है।
बिल के अंतर्गत गुज्जर समुदाय को 5 फीसदी और आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को 14 फीसदी आरक्षण दिया गया है
। सुप्रीम कोर्ट के 1991 के कानून (जिसमे कहा गया था कि राज्य सरकार 50 फीसदी आरक्षण जाति के आधार पर दे सकती है) के ख़िलाफ़ 2009 के साल में राजस्थान कोर्ट ने आरक्षण कोटा को बढ़ाने वाले बिल पर रोक लगा दी थी।
राज्य सरकार के प्रवक्ता राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि केंद्र सरकार से संविधान में सुधार लाने के प्रयास के लियें गुज़ारिश की जाएगी ताकि ये कोटा बढ़ाने वाला बिल को न्यायिक प्रक्रिया से गुजारने की कोई गुंजाईश न हो।
उन्होंने साथ में ये भी कहा की 50 फीसदी से ज्यादा का जातिगत आरक्षण कोटा कर्नाटक, आंध्रप्रदेश और ओडिशा जैसे राज्यों ने भी दिया है।
नए बिल के पास होने के बाद अब राजस्थान देश का सबसे जयादा रिजर्वेशन सीट देने वाला राज्य बन गया है ।
राजस्थान कांग्रेस के सचिन पाइलट ने चुटकी ली और कहा की ये सब बकवास है और बिल हास्यास्पद है।