शाहनवाज़ मलिक
टांडो मुहम्मद ख़ान पाकिस्तान के सिंध प्रांत का एक ज़िला है। 60 के दशक में यहां दो जिगरी यार अजीज़ ख़्वाजा और सेठ दरयानो मल हुए। ख़्वाजा ज़मींदार थे और दरयानो मल कारोबारी।
दरयानो के बारे में आज भी कहा जाता है कि उन्होंने दरवाज़े से कभी कोई ख़ाली हाथ नहीं लौटा। वो दिल के शहंशाह थे लेकिन औलाद के मामले में कंगाल। उन्हें बस यही एक शिक़ायत थी, दुनिया और ऊपरवाले से।
फिर एक रोज़ जब ख़्वाजा के घर में बेटा पैदा हुआ तो दरयानो उनकी चौखट पर पहुंचकर बोला कि तेरी तो इतनी औलादें हैं ख़्वाजा…ला, अपना ये बेटा मुझे दे दे…इसे मैं पालूंगा, पढ़ाउंगा और बड़ा आदमी बनाउंगा। ख़्वाजा ने अपना बच्चा तभी एक अपने हिंदू दोस्त के हवाले कर दिया और दरयानो मल ने उसका नाम रखा अल्लाह दीनो ख़्वाजा।
वायदे के मुताबिक़ दरयानो ने अपने गोद लिए गए बेटे को उम्दा तालीम दी। मशहूर Cadet College Petaro के बाद University of Sindh भेजा। यहां से निकलते ही अल्लाह दीनो ख़्वाजा ने 1986-87 में पाकिस्तान सिविल सर्विसेज़ क्वॉलिफाई किया। पहली बार में ही विदेश सेवा के लिए चुने गए लेकिन ये कहकर ऑफर ठुकरा दिया कि उन्हें पुलिस में जाना है।
ख़्वाजा पंजाब में बतौर एएसपी और एसपी तैनात हुए लेकिन अपने ही डिपार्टमेंट के लिए काल बन गए। कभी दूधवाले तो कभी सब्ज़ीवाले के भेस में थाने पहुंचते, फिर रिश्वतखोर अफसरों को रंगे हाथ पकड़कर उन्हें सस्पेंड करते। इस बीच ख़्वाजा जब भी गांव जाते तो अपनी पेशानी दरयानो मल के क़दमों में रख देते। ख़ून का रिश्ता नहीं होने के बावजूद बाप-बेटे की मुहब्बत ऐसी थी कि ख्वाजा के साथ चलने वाला पुलिस का काफ़िला कभी उन्हें देखता तो कभी दरयानो मल को।
2011 में दरयानो का इंतक़ाल हो गया और ख़्वाजा अपने काम पर लग गए। रिश्वत लेने वाले पुलिसकर्मियों पर उनका क्रैकडाउन जारी है। सोशल मीडिया पर ख़्वाजा के फैंस उनके लिए कई पेज चलाते हैं। पंजाब सरकार ने उन्हें इसी साल मार्च में उन्हें सिंध पुलिस का इंस्पेक्टर जनरल बना दिया है।
ख़्वाजा का ज़िक्र यहां इसलिए क्योंकि उनकी पैदाइश मु्स्लिम के घर में हुई लेकिन परवरिश एक हिंदू ने की। वो मज़हब और जहालत के फर्क़ को ढंग से समझते हैं। कल जब ख़बर आई कि एक सिरफिरे कॉन्सटेबल अली हसन ने एक बुज़ुर्ग हिंदू गोकल दास की पिटाई कर दी है तो उन्होंने ही फ़ौरन कार्रवाई का हुक्म दिया। ख्वाजा को गोकल दास के बारे में ट्वीटर से पता चला था। उनकी ही सख़्ती के चलते अली हसन को गिरफ़्तार करके जेल भेजा गया। उन्हीं की बदौलत बुज़ुर्ग गोकल दास को इंसाफ मिला और दर-दर भटकना नहीं पड़ा
अजीज़ ख़्वाजा और सेठ दरयानो मल की तरह ज़िंदगी जीने और याराना निभाने के यही सारे फ़ायदे हैं। किसी अजीज़ के घर कोई अल्लाह दीनो पैदा होता और उसके कोई दरयानो पढ़ा-लिखाकर अफसर बनाता है। तभी बिना धक्के खाए कोई बुज़ुर्ग को फ़ौरन इंसाफ़ मिल जाता है।