नेशनल ग्रीन ट्रीब्यूनल (NGT) ने केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए सवाल पूछा है कि सरकार कोई एक भी जगह बताए जहां गंगा नदी साफ है। अधिकरण ने कहा कि भारी-भरकम राशि खर्च करने के बावजूद हालात बद से बदतर कैसे हो गए हैं।
गंगा की निर्मलता और अविरल प्रवाह को लेकर एनजीटी ने कहा, “हम मानते हैं कि वास्तविकता में लगभग कुछ भी नहीं हुआ है जबकि केंद्र और राज्य इतने सालों से केवल जिम्मेदारी एक दूसरे पर डाल रहे हैं और जमीन पर कुछ ठोस नहीं हुआ है।“
एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि क्या आप हमें बताएंगे कि क्या यह सही है कि 5000 करोड़ रपए से ज्यादा गंगा को बद से बदतर बनाने पर खर्च हो गए। पीठ ने कहा कि गंगा नदी के 2500 किलोमीटर लंबे क्षेत्र में से एक जगह ऐसी बताएं जहां गंगा की स्थिति में सुधार हुआ है।
वहीं इस मुद्दे पर जल संसाधन मंत्रालय की ओर से कहा गया कि 1985 से पिछले साल तक गंगा के पुनरुद्धार पर करीब 4000 करोड़ रपए खर्च किए गए हैं।
पीठ ने कहा कि हम पिछले एक साल से इंतजार कर रहे हैं। लेकिन आप किसी न किसी वजह से इस मुद्दे पर देरी कर रहे हैं। हम इस पर टिप्पणी नहीं करना चाहते। लेकिन इस बार हम इसे आपके विवेक पर नहीं छोड़ रहे। गंगा की सफाई आपकी प्रमुख जिम्मेदारी है। आपके पास बहुत कम दिन हैं। हम अचानक से आपसे सारी जानकारी नहीं मांग रहे हैं।
साथ ही NGT उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की राज्य सरकारों समेत सभी संबंधित एजेंसियों से अपने सुझाव देने को कहा है। उन्होंने कहा कि हम अपने आदेश को खाली नहीं छोड़ेंगे। हम प्रत्येक राज्य की जिम्मेदारी स्पष्ट करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने एनजीटी से गंगा को प्रदूषित कर रहीं औद्योगिक इकाइयों के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा था।