रक्षा मंत्रालय ने सेना से कहा है कि वह अपनी तमाम इकाईयों में बफेलो स्लॉटर की परंपरा को बंद करें। मंत्रालय ने कहा कि इस तरह से कुर्बानी के लिए पशु वध कानून के खिलाफ है।
दशहरा के दौरान सेना के कुछ इकाईयों में मेल बफेलो (रैंगो) का सिर काटने की परंपरा है। यह गोरखा परंपरा के तहत किया जाता है।
एक अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक मंत्रालय के एक अधिकारी का कहना है कि इसमें कोई शक नहीं है कि यह पुरानी परंपरा है, लेकिन यह भारतीय कानून के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि पशु वध की ऐसी परंपरा निर्दयता पूर्ण है जो कि पशु वध कानून के खिलाफ है।
दशहरा में मंत्रालय के तरफ से इसलिए यह नोटिस भेजा गया था जिससे कि दशहरा में गोरखा इकाई में बफेलो का वध न किया जाय।
रिपोर्ट में मंत्रालय के तरफ से कहा गया है कि हो सकता है कि कुछ लोग इस परंपरा को चलाना चाह रहे होंगे लेकिन इसके लिए नियम नहीं तोड़े जाना चाहिए और इसके लिए पशु को सरकारी मान्यता प्राप्त स्लॉटर में ले जाया जाना चाहिए।
वहीं गोरखा रेजिमेंट में रह चुके मेजर जनरल (रिटायर्ड) अशोक के. मेहता ने कहा है कि यह निर्देश स्वागत योग्य है। उन्होंने कहा कि ब्रिटिश आर्मी में गोरखा सैनिकों ने बहुत पहले यह परंपरा छोड़ दी थी।
अभी कुछ दिन पहले ही दिल्ली के केरला हाउस में भी बीफ विवाद सामने आया था।