क्यों नहीं याद है 3600 करोड़ पानी में बहाने वाली सरकार को आत्महत्या करते किसानों के आंसू

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पीएम मोदी ने आज मुंबई तट पर अरब सागर में एक द्वीप पर छत्रपति शिवाजी स्मारक की आधारशिला रखी। जिसे 3600 करोड़ रूपये की लागत में बनाया जाएगा। ये बड़े गर्व की बात है। अब इस गर्व के साथ ही हमें भुला देना चाहिए सर्वाधिक किसानों के आत्महत्या की खबर केवल 3600 करोड़ के स्मारक वाले राज्य महाराष्ट्र से ही है।

किसानों को आत्महत्या के कगार पर पहुुंचा देने वाली सरकारें ये जान ही नहीं पाती की खेती का आर्थिक दृष्टि से नुकसानदायक होना तथा किसानों के भरण-पोषण में असमर्थ होना उनकी मौत की वजह बन जाता है। सरकारे मग्न है पानी में 3600 करोड़ बहाने के लिए। इस मौके पर शायद ही पीएम मोदी को मरे हुए किसान की आंख से बहता हुआ कोई आंसू याद आया होगा।

गत् वर्ष सूखे की मार का सर्वाधिक खमियाजा महाराष्ट्र के किसानों को ही उठाना पड़ा था। इस प्राकृतिक आपदा पर मशहूर अभिनेता नाना पाटेकर ने किसानों की मदद का बीड़ा उठाया था। महाराष्ट्र के लातूर में पानी की भारी किल्लत थी तब नाना बेहद भावूक होते हुए रो पड़े थे और उन्होंने जो कहा था वो सारे देश में सुना गया था। किसानों का दर्द बयां करते हुए उन्होंने कहा था कि बताइए अब क्या करू मैं, फांसी क्यों ना लगा लूं, बच्चे खाना मांग रहे है मेरे, मां-बाप को दवा नहीं दे सकता, मर्द होने के नाते बीवी को कुछ नहीं लाकर दे सकता।

फिर मैं क्या करूं, एक रस्सी लाता है और सोचता है क्यों ना इसे ही गले में डाल लूं। जब मैं किसी के लिये कुछ कर नहीं सकता तो क्यों ना मुझे मर ही जाना चाहिए। अब ये सब हम दूर बैठे टीवी पर फोटो देखकर तो नहीं समझ सकते हैं।” महाराष्ट्र में लगातार बढ़ती आत्महत्या पर अभिनेता आमिर खान ने कई गांवों के किसानों की बढ़चढ़कर मदद को अंजाम दिया था।

उसी दौरान राज्यसभा में सूखे पर चर्चा हुई। शिवसेना ने सरकार को सूखे पर जमकर कोसा है। शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा कि देश पहले सूखा मुक्त होगा तभी कांग्रेस मुक्त भी हो पाएगा। राउत ने कहा था कि भूखे आदमी के लिए भारत माता की जय का कोई मतलब नहीं। राउत ने कहा कि अच्छे दिन का सही मतलब तभी होगा जब सूखा इलाकों में पानी आएगा। एक लाख मुआवजा के लिए कोई आत्महत्या नही करता।

इसके अलावा 3600 करोड़ को पानी में बहाने के नशे में हमें ये भी भूल जाना चाहिए कि महाराष्ट्र के किसान ही थे जिनकी प्याज को कोई 1 रूपये किलों में खरीदने के लिए भी तैयार नहीं था।

ऐसा नहीं कि सरकार मरते हुए किसानों पर ध्यान नहीं दे रही थी ग्रामीण विकास और जल संरक्षण मंत्री पंकजा मुंडे अपनी टीम के साथ सूखे के हालातों का जायज़ा लेने लातूर गई थी जहां उन्होंने सेल्फी खींची। मरते हुए किसानों के बीच मौत का जश्न मनाते हुए हमें 3600 करोड़ को पानी में बहाने का कोई गम नहीं होना चाहिए।

महाराष्ट्र सरकार की ओर से हाल ही जारी आंकड़ों के मुताबिक, जनवरी से मार्च 2015 तक प्रदेश में 601 किसान आत्महत्या कर चुके हैं थे। यानी महाराष्ट्र में हर रोज करीब 7 किसान सुसाइड कर रहे थे। इन सब से बेपरवाह सरकार पानी में पैसा बहाने में व्यस्त है।

अंग्रेजी अखबार ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ की खबर के मुताबिक, साल 2014 में महाराष्ट्र में करीब 1981 किसानों ने सुसाइड किया था। इस हिसाब से पिछले साल की तुलना में इस बार सुसाइड का आंकड़ा करीब 30 फीसदी तक बढ़ गया है। ये हालात ऐसे दौर के हैं, जब महाराष्ट्र की बीजेपी सरकार पानी में पर 3600 करोड़ बहाने के लिए तैयार बैठी है।

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