अयोध्या में विवादित बाबरी विध्वंस मामले केंद्रीय जांच एजेंसी(सीबीआई) ने गुरुवार(6 मार्च) को सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखा। सीबीआई ने शीर्ष अदालत से कहा कि बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के मामले में बीजेपी के सीनियर नेता लालकृष्ण आडवाणी, कल्याण सिंह, वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती समेत सभी पर आपराधिक साजिश के तहत मुकदमा चलना चाहिए।
साथ ही सीबीआई ने कहा कि रायबरेली की कोर्ट में चल रहे मामले को भी लखनऊ की स्पेशल कोर्ट के साथ ज्वाइंट ट्रायल होना चाहिए। वहीं, इलाहाबाद हाईकोर्ट के साजिश की धारा को हटाने के फैसले को सीबीआई ने रद्द करने की मांग की।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने रायबरेली कोर्ट का ट्रायल लखनऊ ट्रांसफर करने के संकेत दिए। कोर्ट ने कहा कि हम इंसाफ करना चाहते हैं। कोर्ट ने कहा कि तकनीकी खामियों के चलते 17 साल गुजर गए। अनुच्छेद 142 के तहत कोर्ट को पूर्ण न्याय करने की शक्ति है।
वहीं, आडवाणी और जोशी ने लखनऊ की अदालत में एक साथ मुकदमा चलाने का विरोध किया है। नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट में लिखित दलील दाखिल कर कहा है कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट पहले ही फैसला दे चुका है और वह फैसला सीबीआई पर भी बाध्यकारी है।
बता दें कि 21 मई 2010 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले में निचली अदालत का फैसला बरकरार रखा था। जिसमें मस्जिद विध्वंस के आरोपी लालकृष्ण आडवाणी, उमा भारती, राजस्थान के कल्याण सिंह, मुरली मनोहर जोशी समेत अन्य आरोपियों को निर्दोष पाया गया था। इन पर आपराधिक साजिश का का आरोप था। सीबीआई नए सिरे से याचिका नहीं दाखिल कर सकती। इस मामले में कोर्ट गुरुवार को सुनवाई करेगा।