पिछले एक महीने से सारा देश न्यूज चैनलो पर उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी परिवार की आपसी कलह के मनोरजंक नज़ारों का लुत्फ उठा रहा था, जिसका कल क्लाइमेक्स फिल्माया गया। कल का पूरा दिन न्यूज चैनलों ने समाजवादी परिवार का ड्रामा दिखाने के लिए आरक्षित किया हुआ था।
प्राइमटाइम से लेकर छोटी-बड़ी सभी डिबेट का मुख्य विषय मुलायम सिंह, अखिलेश यादव और शिवपाल के इर्द-गिर्द ही रही। करोड़ों रूपया खर्च करने पर भी इतनी मीडिया बाइट, पब्लिसिटी और जनता के बीच सहानुभूति हासिल नहीं की जा सकती थी जितनी की समाजवादी परिवार की आपसी कलह को दिखाकर हासिल की है। मायावती के प्रयास, कांग्रेस की रणनीति, बीजेपी का दलित रथ, पीएम मोदी की महुबा रैली जैसी खबरें इस हाईवोल्टेज ड्रामें के आगे बौनी साबित हो जाती है।
ताजा खबर के अनुसार रविवार को अखिलेश यादव ने जिन चार मंत्रियों को बर्खास्त किया था अब उनकी वापसी होने वाली है। इसके बाद बचे हुए मंत्रियों को भी बुला लिया जाएगा सबकी घरवापसी कराकर मीडिया में अपना बज बिना किसी खर्च के बना लिया जाता है। यूपी का भ्रष्टाचार, खराब सड़कें, बढ़ी हुई बेरोजगारी, ऊपर उठता अपराधिक ग्राफ, सरकारी अफसरों की लेटलतीफी किसी को नहीं दिखाई देता। अगर कुछ दिखाई देता है तो चाचा ने भतीजे को कैसे धक्का दे दिया? भतीजे ने चाचा से कैसे माइक छीन लिया?
सबसे बड़े प्रदेश में दिखाने के नाम पर सिर्फ इस राजनीतिक परिवार का ड्रामा ही बचा है। आम आदमी से जुड़ी परेशानी किसी न्यूज चैनल को नहीं दिखाई दे रही। सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटते लोग, घटते रोजगार और बढ़ती मंहगाई में अपना घर चलाते लोग। ऐसा कुछ भी मीडिया नहीं देख पाता है। देश की मीडिया ज़मीनी समस्याओं से परे होकर उन बातों को मुद्दा बनाती है जिसका जनसरोकार से कोई मतलब नहीं होता। कल रात सभी न्यूज चैनल पर जितनी भी डिबेट दिखाते रहे उसमें बैठे हुए एक्सपर्ट चाचा-भतीजे की आपसी रिश्तों पड़ताल करते रहे। आम आदमी किस तरह से मर रहा है ये किसी को क्यों नहीं दिखाई देता।
कल फिर कोई दूसरी राजनीति पार्टी नया ड्रामा लेकर आ जाएगी तब मीडिया उसका राग बजाना शुरू कर देगा। इससे ये पता चलता है कि मीडिया को बंधक बनाकर अपने इशारों पर नचाना कितना आसान होता है। बस जरूरत होती है किसी हाईवोल्टेज ड्रामें को क्रिएट करने की।