बधाई हो ‘बिहार’… तुम्हें ‘दंगा’ हुआ है….

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मैंने वहां से काफी रिपोर्टिंग की है…मेरी कई रिपोर्ट्स की अब भी चर्चा होती है…प्यार भी मिलता है, गाली भी… ज्यादातर प्यार… अब पता चल रहा है कि वहां छिटपुट दंगे शुरू हो गए हैं…पहले भागलपुर, अब औरंगाबाद… और ये सब जब बीजेपी चोर दरवाजे से सत्ता मे दाखिल हुई है….वाकई निशब्द हूं…बीजेपी के सत्ता मे आने पर नहीं… वहां धीरे-धीरे बिगड़ते माहौल पर….

यह तस्वीर समस्‍तीपुर जिले के रोसड़ा कस्‍बे का है जहां हिंदुत्ववादी उपद्रवियों ने मस्जिद पर चढ़कर भगवा झंडे लगा दिए।

जिस राज्य ने खुद को हमेशा सांम्प्रदायिक उन्माद से दूर रखा…वो उसमे दफ्न हो रहा है? क्यों? मैं जानता हूं ये शूरुआत भर है…मगर ये एक चेतावनी है… हर बिहारी के लिए… हमें खुद को बांटने की वजह नहीं चाहिए…पहले से ही ढ़ेंरो कारण हैं…ये कैसे लोग हैं जो लोगों मे दरारें पैदा कर रहे हैं? ये कैसे लोग हैं जिनके लहू की प्यास नहीं मिटती….

कैसे लोग हैं ये? और एक आम बिहारी इसे क्यों बर्दाश्त कर रहा है… और क्या कर रहे हैं सुशासन बाबू? क्या नीतीश कुमार वाकई अपनी रीढ़ गिरवी रखवा दी है? कहां गया आपका प्रशासनिक हंटर…आपका जौहर जिसकी वजह से आपको हम लोगों ने सुशासन बाबू का दर्जा दिया था….

और आम बिहारी से फिर वहीं सवाल… क्या आपको अंदाज़ा है कि आप खुद को किस गर्त मे दफ्न कर रहें हैं… क्या आप जानते हैं कि आप खुद को कैसे बदल रहे हैं? सिर्फ इसलिए कि एक राजनीतिक पार्टी अपना कद बढाना चाहती है? क्या इस बात से इंकार किया जा सकता है कि बिहार मे दंगों की घटनाएं…बीजेपी की राजनीतिक महत्वाकांक्षा से जुड़ी है?ये कैसे सोच हैं जो लोगों मे दोहराव को सियासत मानती है…और वो कैसे लोग होेंगे जो इस सोच से इत्तेफाक रखते हैं? और क्या आपको अपने बच्चों की परवाह है…कैसा माहौल तैयार कर रहे हैं आप उनके लिए…आप कैसा बिहार चाहते हैं भई? अभी औरंगाबाद भागलपुर है…कल कई और हिस्से इसकी जद मे आएंगे…

आपके घर इसके चपेट मे आएंगे….फिर क्या कीजिएगा? अगर ये हिंदू अस्मिता का मुद्दा होता तो बिहार मे ऐसे कई मौके आए हैं…जब ये उबाल आ सकता था….आडवाणी की रथ यात्रा याद होगी आपको…ये सिर्फ और सिर्फ एक पार्टी की सोच, उसकी राजनीति चमकाने का जरिया भर है और कुछ नहीं….

मैं बिहार से मोहब्बत करता हूं और मेरे दोस्त इस बात को जानते हैं…इसलिए चिंता होती है…. मेरी इस बात को एक पत्रकार की तरह नहीं एक आम इंसान की चिंता के तौर पर लीजिएगा…..

(अभिसार शर्मा वरिष्ठ पत्रकार हैं। इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के अपने विचार हैं, इस लेख को अभिसार शर्मा के फेसबुक पेज से लिया गया है)

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