क्या पहलाज निहलानी ने बख्श दिया अनुपम खैर की फिल्म को?

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इरशाद अली

13 मई को अनुपम खैर के लीड रोल वाली ‘बुद्धा इन ए ट्रैफिक जाम’ फिल्म रिलीज होने वाली है। ये फिल्म बेहद विवादास्पद मानी जा रही है। फिल्म में कई आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग किया गया है। इसके अलावा फिल्म में कई दृश्य ऐसे है जिन्हें सेंसर बोर्ड किसी भी कीमत पर पास ही नहीं कर सकता था, जैसे कि फिल्म में जलते हुए झंडे को दिखाना या भारत माता और 26 जनवरी जैसे शब्दों का अनुचित प्रयोग।

पिछले दिनों फिल्म का ट्रेलर लांच का कार्यक्रम रखा गया था। इस मौके पर फिल्म के निर्देशक विवेक अग्निहोत्री ने खुद हैरान होकर बताया कि सेंसर बोर्ड ने फिल्म को बिना किसी कट के ही पास कर दिया है। विवेक अग्निहोत्री ने आगे इस पर बोलते हुए बताया कि ‘‘सेंसर बोर्ड के सदस्यों में से एक ने फिल्म देखने के बाद मुझसे बातचीत में कहा, ‘इस फिल्म में कम से कम 150-170 कट होने चाहिए, लेकिन फिर फिल्म का मतलब नहीं रह जाएगा, इसलिए हम इसे बिना किसी कट के पास करेंगे।

विवेक अग्निहोत्री ने खुद माना कि वह इन दृश्यों को हटाने के लिए तैयार थे, लेकिन बाद में एक सदस्य की आपत्ति के कारण फिल्म को इन दृश्यों को हटाए बिना ही पास कर दिया गया। फिल्म में नक्सलवाद के मुद्दों को उठाया गया है। अब इतनी विवादास्पद फिल्म बिना एक भी आपत्ति के कैसे बाहर आ गयी। इसका सीधा-सीधा मतलब समझा जा सकता है कि सेंसर बोर्ड अब पूरी तरह से भगवा रंग में रंग गया है, चूंकि फिल्म में अनुपम खैर साहब लीड कर रहे है और सेंसर की कैंची पहलाज निहलानी लेकर बैठे है तो ऐसे में आसानी से समझा जा सकता है कि मोदी भक्तों की चांदी काटने का यही समय है।

जब फिल्म का निर्देशक खुद दृश्य हटाने के लिये तैयार है लेकिन निर्देशक महोदय नहीं समझते कि फिल्म में अनुपम खैर साहब का जैक लगा हुआ है तो भला किसकी हिम्मत बनती है कि फिल्म से कोई सीन भी काट लिया जाए। अब अगर मोदी जी के गुणगान का इतना भी फायदा अनुपम खैर साहब को नहीं मिला तो फिर दुम हिलानें का क्या मजा रह जाएगा।

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