कल सर्जिकल स्ट्राइक के रूप में जो देश की सेना ने किया, पूरा देश उसपर गर्व महसूस कर रहा है। पुरे देश में एक जश्न का माहौल है । सबसे ज्यादा जश्न उन 18 परिवारो में है जिनके बहादुर बेटो ने पाकिस्तान की तरफ से हुए हमले में अपनी शहादत दी। और जख्म सूखने से पहले ही देश की सेना ने उनके कलेजे को ठंडक पंहुचा दी । देश की सेना हमेशा से ही दुश्मन के छक्के छुड़ाती रही है और ऐसी बहादुर सेना पर हम सबको गर्व है सेना ने अपना काम बखूबी और मुस्तैदी से किया है।
लेकिन ऐसा लग रहा है मानो कुछ छुट रहा है । एक भला पूरा समृद्ध परिवार जिसके ऊपर भर्ष्टाचार के आरोप लगे और राशि थी महज 9 लाख रूपये की, केस की जांच सीबीआई के हाथो होती है।
घर के 4 सदस्यों में से पहले 2 लोग आत्महत्या करते है और कुछ दिन बाद 2 और लोग आत्महत्या कर लेते है, आत्महत्या करने वाले लोग सुसाइड नोट लिखते है मगर उसे घटनास्थल पर नहीं छोड़ते बल्कि उसे कई मीडिया हाउस को चिट्टी भिजवाते है।
इन चारो आत्महत्या को लेकर कुछ सवाल खड़े होते है उस सुसाइड नोट लिखा है के सीबीआई अफसर संजीव निगम ने उनको और उनके परिवार को इतना प्रताड़ित किया के उन्हें ये कदम उठाना पड़ा। उनके सामने उनकी बीवी और बेटी को प्रताड़ित किया गया , गालिया दो गयी और इस हद तक यातना दी गयी के उन्हें सुसाइड करना पड़ा । शायद सीबीआई के डर से ही उन्होंने सुसाइड नोट घटना स्थल पर नहीं छोड़ा।
इस सुसाइड नोट ये भी लिखा है के DIG संजीव निगम ने कहा “मैं अमित शाह का खास आदमी हु तुम मेरा कुछ नहीं बिगाड़ पाओगें, तुम्हारी पत्नी और बच्चों का वो हाल करूँगा के तुम्हारी रूह कॉप उठेगी” इस सुसाइड नोट में DIG संजीव निगम और बीजेपी के अध्यक्ष अमित शाह का नाम साफ साफ होने के बावजूद कोई कार्यवाही शुरू क्यों नहीं हुयी?
इस जश्न में हम ये ना भूले के एक अफसर के परिवार के 4 लोगो ने खुदखुशी की है।
इस सब घटनाक्रम से कुछ सवाल उठ खड़े हुए है;
क्या इस देश का कानून, सीबीआई, पुलिस अपना काम इसी मुश्तैदी के साथ करेगी या नहीं ? क्या क़ानून बंसल परिवार के हत्यारो को सजा दिलवा पायेगा या नहीं ?
क्या दिल्ली पुलिस, सीबीआई इन्हें गिरफ़्तार कर इनकी भूमिका की जांच करेगी? क्या लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ कहे जाने वाला पत्रकार समाज इस बात को उतनी घम्भीरता से रख रहा है?
ये सवाल बना रहना चाहिए क्योकि बात निकलेगी तो दूर तलक जायेगी
जय हिन्द
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