बापू के संत्संग में ‘भक्तों’ का स्वागत है!

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इरशाद अली

ये ब्रांडिंग का ज़माना है। नेता से लेकर अभिनेता तक अपने आप को एक कम्पनी प्रोडक्ट में तब्दील कर रहे है तो ऐसे में प्रवचन करने वाले संत महात्मा कहां पीछे रहने वाले है। चूंकि इस दौर में कई सारे संत-महात्माओं का स्थायी निवास जब जेल होता जा रहा है तो वे अपनी छवि को या तो अभिनेता में बदल रहे है या फिर राजनीतिक पृष्ठभूमि की उनको आवश्यकता पड़ रही है।

अब इन बाबाओं में एक नयी परम्परा का आरम्भ कर दिया है मोरारी बापू ने। मोरारी बापू की छवि कारपोरेट घरानों को आध्यत्मिक छत्रछाया देने वालें के रूप में मशहूर है। जिस समय अंबानी बंधुओं में रिलायंस के बटवारें को लेकर घमासान मचा हुआ था तब कोकिला बेन ने मोरारी बापू की मदद से दोनों भाईयों के बीच बंटवारा किया था।

इसके अलावा भी बापू देश के कई प्रतिष्ठित व्यापारिक घरानों में मुख्य भूमिका निभाते है। तो बापू को चंदे की कमी तो है नहीं इसलिये इस बार उन्होंने प्रवचन को सातवें आसमान पर ले जाकर करने की ठान ली है। जिस तरह से पीएम मोदी ने अच्छे दिनों के ब्रांडिंग के लिये बड़ी विज्ञापन कम्पनियों की मदद ली थी और अच्छे दिनों के नाम पर देश के प्रधानमंत्री पद की कुर्सी को हासिल कर लिया तो ऐसे ही इस बार मोरारी बापू एक भव्य कथा प्रवचन का आयोजन करने जा रहे है।

आप दिल्ली के जिस भी मेट्रो स्टेशन से गुजरेगें वहां आपको इस कथा से सम्बधिंत बड़े-बड़े विज्ञापन नजर आएगें, इसके अलावा दिल्ली के मुख्य मार्गो और नुक्कड़ों पर हमें बापू संत्संग में बुलाने के लिये रिझा रहे होगें। यहीं नहीं प्रमुख टिवी चैनल लगातार बापू के विज्ञापन को दिखा रहे है।

अब बापू कथा कैसे करेगें ये डिसाइड करेगी विज्ञापन ऐजेसिंया। वहां के क्रिऐटिव कंटेट राइटर और ब्रांड इमेज बनाने वाले थीम बेस कथा को करवायेगें। इस बार की थीम होगी महात्मा गांधी के विचारों पर आधारित सत्य, प्रेम और करूणा बेस।

कथा के लिये बकायदा राजघाट को चुना गया है क्योंकि कोई भी मैदान या मंडप वो वाली फील नहीं देता जो आनी चाहिये थी। गांधी जो को आधार बनाकर मोरारी बापू ज्ञान लुटाने वाले है।

आने वाले दिनों में लोगों को इन कथाओं में बुलाने और प्रभावित करने के लिये खाना और नाश्ता भी देने वाले बाबा तैयार हो चुके है। इसके अलावा कई बाबा प्रतिस्पर्धा के इस दौर में भक्तों को प्रसाद के रूप में बड़े-बड़े इनाम देने का प्रलोभन भी देने वाले है। पीएम मोदी के राज में भले ही हम आधुनिक भारत की तरफ चाहे ना बढ़े लेकिन दिखावों के भीड़तंत्र में जरूर अव्वल रहेगें।

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