संकटकाल में पाइलट कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का धीरज

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बीते दशकों में दुनिया भर में राजनैतिक षड्यंत्र के अनगिनत क़िस्से सामने आते रहे हैं। शक्ति का ग़लत इस्तेमाल
देश-विदेश में सैकड़ों बार किया जा चुका है। हमारे अपने देश में ही पिछले चार सालों में पत्रकारों, दलितों,
महिलाओं, यहां तक कि एक बड़े जज तक को रास्ते से हटाने के लिए मौत के घाट उतार दिया गया है।

file photo

गवाहों और सबूतों को कुचलते हुए सत्ता पक्ष के लोग आगे बढ़ने की ख़ुशफ़हमी में दिन गुज़ार रहे हैं। कल की हवाई जहाज़ दुर्घटना भी शायद एक राजनैतिक षड्यंत्र ही थी… कम से कम विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस का तो यही
कहना है। राहुल गांधी जिस प्राइवट प्लेन से कर्नाटक दौरे पे जा रहे थे, वो उड़ान के दौरान तेज़ी से नीचे की ओर
गिरने लगा। कुछ क्षणों के लिए सब को लगा कि अंतिम समय आने ही वाला है। जब हम हवाई जहाज़ में सफ़र
करते हैं और अचानक मौसम ख़राब हो जाता है, एक सन्न करने वाली घबराहट दिलो-दिमाग़ को जकड़ लेती है।

ये अंदाज़ा लगाना मुश्किल नहीं होगा कि जब एक छोटा प्लेन उन्मुक्त हो के धरती की ओर बढ़ने लगता है तो कैसा
महसूस होता होगा। लेकिन राहुल गांधी के चेहरे पे डर का नामो निशान तक नहीं था। उड़ान में उनके साथ सफ़र
करने वाले कौशल विद्यार्थी और फोटोग्राफर राहुल रवि ने ट्वीट किया कि राहुल गांधी उस समय विमान के पाइलट
के पास चले गए और दुर्घटना से बचने की पुरी ज़ोर कोशिश में लग गए। अपने पिता और चाचा की तरह राहुल भी
एक ट्रेंड पाइलट हैं।

ज़ाहिर है कि क्राइसिस के उन अंतहीन मिनटों में सब उम्मीद से कोसों दूर थे। प्लेन में सवार चार में से तीन यात्री सहम गए थे। सोचने-समझने को कुछ बाक़ी नहीं था लेकिन राहुल गांधी, जो गए कुछ वर्षों में अपनी राजनैतिक सूझ-बूझ और मानवीयता का कई बार प्रमाण देते रहे हैं, धैर्य से काम लेते हुए उठकर पाइलट के पास गए और उनके साथ खड़े रहकर मुश्किल पलों का सामना निडरता से किया।

जहां एक ओर देश के प्रधान सेवक सेल्फ़ी खिंचने और अहम मुद्दों पे चुप्पी साधने में कुशल हैं, वही राहुल कम उम्र में भी साहस और सहयोग का मोल जानते हैं। प्लेन में मौजूद पाइलट और बाक़ी यात्रियों को राहुल की मानसिक स्थिरता देखकर कुछ तसल्ली मिली। देश के एक मज़बूत नेता के रूप में राहुल गांधी एक बार फिर उभर आए।

कौशल विद्यार्थी उस सफ़र में कांग्रेस पार्टी प्रेजिडेंट राहुल गांधी के साथ थे। उन्होंने सिवल एवीएशन के डी. जी.
को शिकायत भेज दी है। पुलिस में भी एफ.आई.आर. दर्ज करा दी गयी है। विद्यार्थी का कहना है कि बाहर धूप थी
और उड़ान के लिए मौसम एकदम अनुकूल था। जब प्लेन नीचे की ओर गोता खाने लगा, तब उसकी एक तरफ़ से
ज़ोरों से थर्राने की आवाज़ें भी आ रहीं थीं।

हुबली में लैंडिंग की तीन कोशिशों के बाद, चौथी बार में विमान धरती पर उतारा जा सका। जहां एक ओर डी.जी. सी.ए. ने मामले की जाँच का आदेश दे दिया है, वहीं हुबली के डी.सी.पी. (क्राइम) ने बताया कि उन्होंने आई.पी.सी. की धारा 287, 336 और एर्क्रैफ़्ट ऐक्ट सेक्शन 11 के अंतर्गत रिपोर्ट दर्ज कर ली है। इस सिलसिले में हमने एयर ट्रैफ़िक कंट्रोल से भी सम्पर्क करने की कोशिश की लेकिन जांच के चलते किसी ने भी हमसे बात करने से इंकार कर दिया।

मामला केवल ‘ऑटोपाइलट मोड’ की गड़बड़ी का नहीं है। देश के विपक्ष के सबसे बड़े नेता की सुरक्षा का है।
मामला मोदी-भक्त होने का भी नहीं है। आप चाहे पक्ष में हों या विपक्ष में, किसी पे जानलेवा हमला करने के
ख़िलाफ़ तो हम सब को एकजुट होकर खड़ा होना होगा। जहां हर एक उड़ान से पहले प्लेन की बरीक़ी से जाँच-
पड़ताल होती है, वहां इस तरह की तकनीकी ख़राबी भी महज़ एक संयोग नहीं हो सकती।

एक ओर विपक्षी दल ख़ुश हैं कि दुर्घटना टल गयी और राहुल गांधी के साहस का प्रमाण भी सबके सामने आ गया,
वहीं सत्ता पक्ष के दामन पे ख़ून के छीटें बढ़ते जा रहे हैं। शब्दों की लड़ाई फ़ेस्बुक और ट्विटर पे लड़ी जाती है जहां
इस घटना के बाद कई लोग राहुल गांधी के पक्ष में सहानुभूति व्यक्त करते दिखे। एक अनजान कवि ‘बेबाक़ गौतम’
ने ये शेर ट्वीट किया: “किसी धोबी को दे दो कुर्ता, सारे दाग़ धो देगा, ‘तिशु पेपर’ से यूं ख़ून के दाग़ नहीं जाते!”

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