आजाद भारत के इतिहास में शुक्रवार (12 जनवरी) को पहली बार सुप्रीम कोर्ट के चार मौजूदा जजों ने मीडिया के सामने आकर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की प्रशासनिक कार्यशैली पर सवाल उठाए। प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद चारों जजों ने एक चिट्ठी जारी की, जिसमें कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं।
PHOTO: PTIइन चार जजों में जस्टिस जे चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ शामिल हैं। ये चारों जज सुप्रीम कोर्ट में वरीयता के मामले में जस्टिस दीपक मिश्रा से नीचे दूसरे से पांचवें नंबर पर हैं। आइए आपको बताते हैं कौन हैं ये चार जज…
जस्टिस जे चेलमेश्वर
आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में 23 जून 1953 को जन्मे जस्टिस जस्ती चेलमेश्वर दक्षिण भारत के प्रतिष्ठित मद्रास लोयला कॉलेज से भौतिकी विषय से स्नातक की पढ़ाई की। इसके बाद आंध्र विश्वविद्यालय से 1976 में कानून की पढ़ाई की। इसके बाद 13 अक्टूबर, 1995 में चेलमेश्वर एडिशनल एडवोकेट जनरल बने। इसके बाद वह केरल और गुवाहाटी हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रहे हैं। 10 अक्टूबर, 2011 में वह सुप्रीम कोर्ट के जज बने थे।जस्टिस जस्ती चेलमेश्वर और रोहिंगटन फली नरीमन की 2 सदस्यीय बेंच ने 2012 में उस विवादित कानून 66 ए को खारिज किया जिसमें पुलिस के पास किसी के खिलाफ आपत्तिजनक मेल करने या इलेक्ट्रॉनिक मैसेज करने के आरोप में गिरफ्तार करने का अधिकार था। उन्होंने इस नियम पर लंबी बहस की बात कही थी। उनके इस फैसले की देशभर में जमकर तारीफ हुई और बोलने की आजादी को कायम रखा।
जस्टिस रंजन गोगोई
18 नवंबर 1954 को जन्में जस्टिस रंजन गोगोई असम से आते हैं। जस्टिस गोगोई ने अपने करियर की शुरूआत गुवाहाटी हाई कोर्ट में प्रैक्टिस से की। 28 फरवरी 2001 में उन्हें गुवाहाटी हाई कोर्ट में स्थाई जज नियुक्त किया गया। इसके बाद साल 2010 में जस्टिस गोगोई का तबादला पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में कर दिया गया। और अप्रैल 2012 को जस्टिस गोगोई को सुप्रीम कोर्ट में जज नियुक्त किया गया।जस्टिस रंजन गोगोई उस बैंच में शामिल रहे हैं जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश मार्कंडेय काटजू को सौम्या मर्डर केस पर ब्लॉग लिखने के संबंध में निजी तौर पर अदालत में पेश होने के लिए कहा था। वरिष्ठता के आधार पर अक्टूबर, 2018 में वह देश की सबसे बड़ी अदालत में जस्टिस दीपक मिश्रा के रिटायर होने के बाद मुख्य न्यायाधीश बनने की कतार में हैं।
जस्टिस मदन भीमराव लोकुर
31 दिसंबर 1953 को जन्में जस्टिस मदन भीमराव लोकुर की स्कूली शिक्षा नई दिल्ली में हुई। उन्होंने 1974 में दिल्ली विश्वविद्यालय के सैंट स्टीफंस कॉलेज से इतिहास (ऑनर्स) में स्नातक की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से ही कानून की डिग्री हासिल की। 1977 में उन्होंने अपने वकालत करियर की शुरुआत की। उन्होंने दिल्ली हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में वकालत की।2010 में वह फरवरी से मई तक दिल्ली हाई कोर्ट में कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रहे। इसके बाद अगले महीने जून में वह गुवाहाटी हाई कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश पद पर चुन लिए गए। इसके बाद वह आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के भी मुख्य न्यायधीश रहे। उन्हें 4 जून 2012 को सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया था। जस्टिस लोकुर और उदय ललित की बेंच ने जुलाई 2017 में सीबीआई को बीते एक दशक में मणिपुर में हुए एनकाउंटरों की जांच करने का आदेश दिया था।
जस्टिस कुरियन जोसेफ
30 नवंबर 1953 को केरल में जन्मे जस्टिस कुरियन जोसेफ ने 1979 में अपनी वकालत करियर की शुरुआत की। इन्होंने केरल लॉ एकेडमी लॉ कॉलेज से तिरुवनंतपुरम से कानून की पढ़ाई की थी। सन 2000 में वह केरल हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश चुने गए। इसके बाद फरवरी, 2013 में उन्हें हिमाचल प्रदेश का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया।8 मार्च, 2013 को वह सुप्रीम कोर्ट में जज बने। जस्टिस जोसेफ कुरियन इसी साल 29 नवंबर 2018 में सेवानिवृत्त हो जाएंगे। कुरियन पांच जजों की उस बेंच का हिस्सा रहे हैं जिन्होंने तीन तलाक के मुद्दे पर अपना फैसला सुनाया था। जस्टिस जोसेफ ने ही 2016 में उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने के केंद्र सरकार के फैसले को निरस्त कर दिया था।