मैं आभारी हूँ भारतीय मीडिया में मौजूद अपने साथियों का जिन्होंने एक मर्तबा फिर से मुझे निराश नहीं किया है। उन्होंने बिजली की जिस गति से अपने विवादित भाषणों और अल्पसंख्यकों के खिलाफ ज़हर उगलने के लिए मशहूर यूपी के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को विकास पुरुष बनाने की जो मुहीम शुरू की है वो बेहद सराहनीय है। जिस निष्ठा के साथ अपने कर्त्तव्य का पालन करते हुए हमारे मीडिया बंधुओं ने मामूली पपीते के लिए योगी के प्यार को दर्शाया है वो यक़ीनन पत्रकारिता जगत में नए रिकॉर्ड स्थापित करता है।
जी हां, आपने सहीं सुना, यही मुख्य विचार रहा है उस मीडिया के एक हिस्से का जिसके जांबाज़ सिपाही आम तौर पर सरकार के पक्ष में काम करते हैं और अपनी दृढ़ता और लगन में भाजपा के जुझारू कार्यकर्ताओं को भी मात दे देते हैं। मंगलवार को भी कुछ ऐसा ही हुआ।
बीजेपी के आईटी सेल ने आदित्यनाथ के सकारात्मक छवि को प्रस्तुत करने की मुहीम शुरू की तो मीडिया में उनके परम मित्रों की मण्डली ने नए मुख्यमंत्री के दिनचर्या और खाने-पीने की आदतों के बारे में रिपोर्टिंग का आगाज़ कर दिया।
सीतापुर के निकट नैमिषारण्य आश्रम के स्वामी विद्याचेतन महाराज के हवाले से मीडिया के हमारे कर्मठ साथियों ने ये बताने की अनथक कोशिश की कि किस तरह आदित्यनाथ एक महान पुरुष होने के बावजूद बिलकुल एक आम आदमी की तरह जीवन व्यतीत करते हैं।
कहा गया कि सुबह के नाश्ते में वो सिर्फ ऊबला हुआ चना, सेब, पपीता, छाछ, दलिया और फल खाते हैं। वहीं लंच में आदित्यनाथ चपाती-दाल और उबली सब्जी खाते हैं। और अगर वह लंच नहीं करते तो मेवा खाते हैं। उनके डिनर में दो चपाती-दाल और हरी सब्जी होती है। अगर आदित्यनाथ डिनर नहीं करते हैं तो एक सेब खाकर रात 11 बजे सोने चले जाते हैं।
इन रिपोर्टों को पढ़ने के बात ऐसा लगा की उत्तर प्रदेश के आम लोग तो बस हर समय फाइव स्टार का भोजन करते हैं और बस हमारे नए मुख्यमंत्री महोदय ही सिर्फ फलों पर गुज़र बसर करते हैं।
ये वही बाते हैं जिनकी ओर मैंने 17 मार्च को इशारा किया था और कहा था कि अब मेरे पेशे के लोग योगी को एक महान और अद्भुत व्यक्ति के रूप में प्रस्तूत करने की मूहिम में जूड़ जाएंगे।
और ऐसा हो भी क्यों ना। योगी से जुडी सारी नकारात्मक बातें तो बस झूठ का एक पुलंदा और विरोधियों की सोची समझी साज़िश ही तो रही है।
यह सब हमारी ही गलतियां थी कि हमने उनके ऊपर नफरत फैलाने वाले भाषणों का आरोप लगाया था। उन्होंने तो कभी मुस्लिम लड़कियों को हिंदू धर्म में परिवर्तन के लिए कहा ही नहीं। पांच बार के सांसद रह चुके योगी का उग्र हिन्दुत्वा से भी कुछ लेना-देना नहीं रहा है।
उन्होंने 2015 में अभिनेता शाहरुख खान की उनके मुस्लिम नाम की वजह से आतंकी हाफीज सईद से तुलना भी नहीं की थी। उसी साल ये महान नेता ने ये भी नहीं कहा था कि जो व्यक्ति सूर्य नमस्कार नहीं करता वो भारत को छोड़ दें।
यूपी चुनाव के पहले ये भी कुछ शरारती तत्वों की साज़िश थी जिन्होंने उनपर गलत तरीके से लव जिहाद और कैराना से हिंदू परिवारों के कथित पलायन पर भड़काऊ बयान देने का इलज़ाम लगाया था। अगर हम देखे तो मीडिया ने 2005 में भी गलत रिपोर्टिंग की थी जब आदित्यनाथ पर यूपी के एटा में शुद्धिकरण की एक मुहिम चलाकर 1800 ईसाईयों को हिंदू धर्म में परिवर्तन करवाने का आरोप लगाया था।
वहीं, जनवरी 2007 में हमने फिर इस महान आत्मा को बदनाम किया, जब हमने कहा कि गोरखपुर में दंगों को उकसाने के लिए उन्हें(सीएम योगी) 15 दिनों के लिए हिरासत में लिया गया था। इस बात में भी कोई सच्चाई नहीं थी कि उसी दौरान उनके चरमपंथी संगठन हिन्दू युवा वाहिनी के सदस्यों द्वारा मुंबई-गोरखपुर गोदान एक्सप्रेस के कुछ डिब्बों में आग लगा दी गयी थी। जिसमें कई यात्री बाल-बाल बच गए।
शायद यह खबर भी झूठी ही थी। क्योंकि उनके संसदीय क्षेत्र गोरखपुर में कभी भी कोई तनाव या दंगे हुए ही नहीं थे। और एक बार फिर, मैं यह कहना चाहता हूं कि वो वीडियो ही फ़र्ज़ी था जिसमें उन्हें बैठे हुए दिखाया गया था और उनकी मौजूदगी में वहीं पर एक आदमी मंच से धमकी दे रहा था कि मृत मुस्लिम महिलाओं को उनकी कब्र से निकालकर उनका बलात्कार करना चाहिए।
पपीता को लेकर पागल मैं अपने मीडिया के कुछ दोस्तों से सहमत हूं कि उन्हें एक अच्छे आदमी की छवि को झूठी और मनघड़न्त कहानियों के ज़रिये खराब नहीं करना चाहिए। ऐसा आदमी जो कि सहीं मायने में एक महान आत्मा है और यूपी के गरीबों का मसीहा है। मुझे डर है कि हम वही गलती दोहरा रहे हैं जो हमने पीएम नरेंद्र मोदी को लेकर की थी।
उस समय भी हमने ये दिखाया कि मोदी के मुख्यमंत्री रहते गुजरात में हजारों निर्दोषों को मौत के घात उतार दिया गया। उस समय भी हमने एक महान आत्मा को पहचानने में गलती की और इस बात को भूल गए कि वह एक कुत्ते के बच्चे को भी गाड़ी से चोट खाया हुआ देखकर दुखी हो जाता है।
हमने जब थोड़ा सब्र किया तो हमे यह बात मालूम हुई कि वही राजनेता लड़कियों की सशक्तिकरण की बात करता है, मन की बात के ज़रिये लोगों से एकतरफा वार्तालाप स्थापित करना चाहता है और कब्रिस्तान और श्मशान के रास्ते देश की उन्नति की बात करता है।
तो अंत में सोशल मीडिया के बेकार यूजर्स (जिनमें मैं भी शामिल हूँ ) केलिए मेरा एक मुफ्त का सुझाव। अपनी जिंदगी में कुछ सार्थक मक़सद डालो और हमेशा इन महान आत्माओं के पीछे पड़ने की हिमाक़त मत करो। भूलो मत की उत्तर प्रदेश का नया मुख्यमंत्री वो महान आत्मा है जिसे गोरखपुर की जनता ने पांच बार चुन कर लोकसभा भेजा है उत्तर प्रदेश की इसी जनता ने उनकी पार्टी को इतनी भारी बहुमत से जीत दी है। अब तुम और हम ज़्यादा अक़लमंद हैं या फिर यूपी की जनता ? तो ज़्यादा शेखी मत बघारो और तुम भी पपीते का मज़ा लो।
Since we now have stories on Yogi ji's breakfast and his love for papaya, really want to know his toothpaste preferences.
— Nidhi Razdan (@Nidhi) March 21, 2017
https://twitter.com/threeinchfooll/status/844191175443734530
Now that we have stories on Yogi ji's breakfast and his love for papaya, I am curious to know his views on Kapil and Sunil's fight.
— Jet Lee(Suitcase wale Vasooli Bhai) (@Vishj05) March 21, 2017
https://twitter.com/sachinpTOI/status/844377531721531396
Its better to concentrate on how @yogi_adityanath is handling UP administration rather than his toothpaste and papaya.
— d ?? (@djbanggud) March 21, 2017