हत्या के किसी आरोपी की मृत्यू पर उसकी लाश पर ससम्मान तिरंगा लपेटना प्रथम दृष्ट्या तिरंगे का अपमान है

0

उत्तर प्रदेश मे ध्रुवीकरण की राजनीति अपने चरम पर है, ये राजनीति हर रोज अपनी सियासी बिसात के लिये नये नये चेहरे तलाश रही है, अभी सर्जिकल स्ट्राइक पर सियासत थमी भी नही थी की अखलाक अहमद की हत्या के आरोपी रवि की मौत पर सियासत शुरू हो गई.

 

रवि की मौत बीमारी से हुई या जेल प्रशासन की लापरवाही से ये अपने आप में जाँच का विषय हो सकता है मगर रवि की मौत पर ऐक संवेदनशील गाँव जो पिछले साल अखलाक अहमद की हत्या के बाद से लगातार सांप्रदायिक रूप से संवेदनशीलता की कगार पर खड़ा है उसे एक बार फिर रवि की मौत पर सियासत की बुरी नजर लगती दिखाई दे रही है.

बिसाहड़ा गाँव के तनावपूर्ण हालात मे साध्वी प्राची जैसे लोगो का रवि की लाश पर सियासी दांव गाँव के हालात पर आग मे घी डालने जैसा साबित हो सकता है.

उत्तर प्रदेश सरकार को इसे रोकना होगा, रवि की लाश पर तिरंगा लपेटकर प्रशासन से उसे शहीद का दर्जा और एक करोड़ रुपए मुआवजे की मांग जो भारतीय संविधान के हिसाब से नामुमकिन और असंवैधानिक है और कभी पूरी नही की जा सकती एक सोची समझी राजनीतिक चाल नजर आती है.

रवि की लाश को तिरंगे मे लपेटकर पूरे उत्तर प्रदेश पर संप्रदायिक रंग चढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है. हत्या के किसी आरोपी की मृत्यू पर उसकी लाश पर ससम्मान तिरंगा लपेटना प्रथम दृष्ट्या तिरंगे का अपमान नज़र आता है, अमूमन तिरंगा देश के लिये जान देने वाले वीर शहीदों की लाश पर ही लपेटा जाता है,

उत्तर प्रदेश की अखिलेश सरकार अक्सर संप्रदायिक मामलो पर देर से जागती है मगर इस मामले मे उत्तर प्रदेश सरकार की हीला हवाली के गंभीर परिणाम हो सकते है. मुख्य मंत्री अखिलेश यादव को इस मामले को स्वयं संज्ञान मे लेकर स्थित नियंत्रण मे करना होगा अन्यथा उत्तर प्रदेश की सियासी बिसात पर रवि की लाश पर राजनिति मंहगी पड़ती दिखाई दे रही है.

Previous articleYou are in my ‘domain,’ GoAir dares rival Indigo airlines
Next article40% of PM 2.5 pollutants in Delhi originate outside capital: study