रात के 1 वाले है लगभग पूरी दिल्ली नींद की आगोश मे जाने की तैयारी मे है, सर्दी का थोड़ा-थोड़ा एहसास होने लगा है, मगर जामिया का अंसारी आडिटोरियम मैदान हजारों लोगो की भीड़ से खचाखच भरा हुआ है।
सामने एक मंच बना हुआ है जो शहीद अशफाकुल्लाह खान की जयंती के आयोजन मे होने वाले मुशायरे के लिए बनाया गया है। मंच पर दिल्ली सरकार के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया जी और आम आदमी पार्टी के दिग्गज नेता कुमार विश्वास और संजय आजाद सिंह मंचासीन है, शेरो शायरी का दौर चल रहा है सारे शायर अपने अपने कलाम पेश कर रहे हैं, सिलसिला चलता चला जा रहा है।
तकरीबन एक बजे 28, 29 साल का नौजवान माईक को अपने हाथों मे थामता है और जिस वक्त वो बोलना शुरू करता है दर्शको की भीड़ से इमरान इमरान का शोर उठना शुरू हो जाता है। दर्शक अपनी जगह पर खड़े होकर तालियों की गड़गड़ाहट के साथ उसका स्वागत करते हैं।
दर्शक दीर्घा मे एक नयी ऊर्जा का संचार हो जाता है। जी हाँ ठीक पहचाना आपने मै इमरान प्रतापगढ़ी की ही बात कर रहा हूँ। आज की पीढ़ी के हिंदुस्तान के सबसे लोकप्रिय शायर, इमरान के माईक थामते ही मुशायरे का माहौल इंक़लाबी हो जाता है।
अपने चिरपरिचित अंदाज मे इमरान ने माईक पर आते ही मुशायरे को आंदोलन की शक्ल मे बदल दिया, अपनी क्रांतिकारी नज़्मों और संप्रदायिक ताकतो के खिलाफ अपने बेजोड़ मिसरों के जरिए शायरी की दुनियाँ मे एक अलग मुकाम हासिल करने वाला ये नौजवान मंचो से लोगो का दर्द गाने लिए मशहूर है।
आज जामिया के इस मंच से देश के दो ज्वलंत मुद्दों झारखंड के मिनहाज अंसारी और JNU के लापता छात्र नजीब के मुद्दे को इमरान ने जिस बेबाकी और जिस जीवटता से अपनी नज़्मो के जरिये उठाया वो वाकई लोगो के दिलों मे घर कर गई, यकीनन इमरान ने मिनहाज अंसारी की पुलिस हिरासत मे मौत और उसके इंसाफ की लड़ाई को अपने मंच के माध्यम से एक नया आयाम दिया है।
और JNU के गुमशुदा छात्र नजीब की लड़ाई लड़ रहे साथियो की आवाज मे आवाज मिलाकर उनके हौसले को उनकी हिम्मत को सलाम किया है, अपनी चिरपरिचित शैली मे सिस्टम पर कटाक्ष करती उनकी नज़्मो ने दर्शको के साथ मंच पर दिल्ली सरकार के दिग्गजो को भी दाद देने पर मजबूर कर दिया।
इमरान यहीं नही रुके बल्कि इससे भी कई कदम आगे बढ़कर मुशायरे मे मिलने वाली पूरी फीस को मिनहाज अंसारी के परिवार को आर्थिक मदद स्वरूप देने का ऐलान भी किया साथ ही साथ मिनहाज अंसारी की 8 माह की बेटी जिसके सिर पर अब पिता का साया नही रहा उसके लिए अजीवन हर महीने 2 हज़ार रुपए की आर्थिक मदद देने की भी घोषणा की, और साथ ही साथ मंच के सामने मौजूद हजारों दर्शको को भी उनकी मानवीय जिम्मेदारी का ऐहसास दिलाते हुए गरीब मिनहाज अंसारी के परिवार को आर्थिक मदद देने के लिए प्रोत्साहित भी किया।
उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े अवार्ड यश भारती से सम्मानित इमरान प्रतापगढ़ी ने आज एक बार फिर साबित कर दिया की वो यूंही आवाम के दिलो पर राज नही करते। कुछ बात तो है जो उन्हें औरो से जुदा करती है, कुछ बात तो है उनके अंदर जो उन्हें अदब के दायरे से बाहर निकल कर आवाम की आवाज को अपनी नज़्मो मे पिरोकर दुनियाँ के सामने रखने का हौसला देती है, उन्हें हौसलो की सीमाओं से परे जाकर शेर जैसी हिम्मत और अपनी बात को अपने अंदाज़ मे रखने का सलीका देती है, कुछ बात तो है।